आलोक कुमार
पटना.भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की सरकार ने बिहार को बर्बाद करने का ठेका ले रखा है.दोनों पार्टियों के नेता बिहार की जनता से लगातार झूठ बोल रहे हैं और बिहार का भविष्य खतरे में डाल रहे हैं.हाल ही में सीएजी की रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया कि बिहार में अधिकारी और मंत्री लूट का एक बड़ा तंत्र चला रहे हैं और आम आदमी के पैसों को लूट कर मालामाल हो रहे हैं.इसके ठीक बाद सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट सामने आई है.यह रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है.
रिपोर्ट बता रही है कि देश में सबसे तेजी से बिहार में बेरोजगारी बढ़ रही है. बेरोजगारी का राष्ट्रीय औसत 6.9 फ़ीसदी है.जबकि बिहार का औसत 12 फ़ीसदी है.राष्ट्रीय औसत से लगभग 2 गुना.इसमें लॉक डाउन की वजह से पैदा हुई बेरोजगारी को शामिल कर लें तो यह आंकड़ा पहुंच जाता है 47 फ़ीसदी तक.
सीएमआईई की रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलता है कि 2018 के बाद से बिहार में बेरोजगारी इतनी तीव्र गति से बढ़ी जितनी आजादी के बाद से कभी नहीं बढ़ी.20 से 24 साल तक के 60 फ़ीसदी उच्च डिग्रीधारी युवा और इसी उम्र की 58 फ़ीसदी उच्च डिग्रीधारी युवतियों के पास कोई काम नहीं है.राज्य के 40 फ़ीसदी ग्रेजुएट सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षाएं देकर दो और 3 सालों से रिजल्ट और नियोजन, नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं.हाल ही के 3 सालों में सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर चुके 8 लाख युवा परीक्षा और रिजल्ट के इंतजार में अपनी नौकरी की उम्र सीमा गंवा चुके हैं.बेहद शर्मनाक बात यह है कि राज्य की 20 से 24 साल की 95 फ़ीसदी युवतियों के पास कोई काम नहीं है.
नीतीश सरकार को यह जवाब देना होगा कि सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर चुके युवाओं को रिजल्ट और नियोजन नियुक्ति के इंतजार में बैठा कर उनकी नौकरी पाने की उम्र सीमा खत्म करवाने के पीछे किसकी साजिश है? आखिर सरकार और सरकारी तंत्र ने इन युवाओं की जिंदगी बर्बाद करने की सुपारी किससे ले रखी है? इतना ही नहीं सरकार को यह भी बताना होगा कि 2018 के बाद आखिर ऐसी कौन सी आपदा आ गई कि अचानक सरकार ने नौकरियां देनी या तो बंद कर दी या इतनी कम कर दी कि बेरोजगारी का आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से दोगुना हो गया? चुनावी मंचों पर झूठ बोलने वाले भाजपा और जदयू के नेताओं को जनता के बीच आकर इन आंकड़ों पर जवाब देना चाहिए, या फिर उन्हें सार्वजनिक तौर पर यह स्वीकार करना चाहिए कि वे लोग झूठ गिरोह का सदस्य हैं और उनका काम ही है झूठ बोलकर लोगों को धोखा देना है.इतना ही नहीं नीतीश सरकार एक श्वेत पत्र जारी कर राज्य की जनता को यह बताए कि सरकार के अलग-अलग विभागों में अलग-अलग श्रेणियों के कुल कितने पद रिक्त हैं और कितने दिनों से वो पद रिक्त हैं.सरकार यह भी बताए कि विभागों में कर्मचारियों और अधिकारियों की घोर कमी के बावजूद बिहार के पढ़े-लिखे युवकों को दूसरे प्रदेशों में जाकर मजदूर बनने के लिए कौन विवश कर रहा है. सरकार यह जान ले कि बिहार के युवक-युवतियों की जिंदगी को बर्बाद करने की भाजपा जदयू की यह साजिश नाकाबिले बर्दाश्त है और निश्चित तौर पर बिहार के ये बेरोजगार सरकार से जवाब तलब करेंगे. कांग्रेस पार्टी इस मसले पर चुप नहीं बैठेगी और बिहारी युवक-युवतियों के सहयोग से रोजगार के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी करेगी.असित नाथ तिवारी हैं प्रदेश प्रवक्ता, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी.
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