म्यांमार में फौज के दमन से भाग रहें हैं लोग

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

म्यांमार में फौज के दमन से भाग रहें हैं लोग

पंकज चतुर्वेदी                                                                        
हालांकि मणिपुर सरकार ने अपना वह आदेश वापिस ले लिया है जिसमें म्यामार से आये शरणार्थियों को सहयोग करने से मना किया गया था . लेकिन यह कड़वा सच है कि पूर्वोत्तर भारत में म्यामार से शरणार्थियों का संकट बढ़ रहा है , यह हमारे लिए इस लिए भी दुविधा की स्थिति है कि उसी म्यांमार से आये रोह्न्गीय के खिलाफ देश भर में अभियान और माहौल बनाया जा रहा है लेकिन अब जो शरणार्थी आ रहे हैं वे गैर मुस्लिम ही हैं . यही नहीं रोहंगियाँ के खिलाफ हिंसक अभियान  चलाने वाले बौद्ध संगठन अब म्यांमार फौज के समर्थक बन गए हैं .  
पड़ोसी म्‍यांमार में सैन्‍य तख्‍तापलट के बाद से सैकड़ों बागी पुलिसवाले और दूसरे सुरक्षाकर्मी चोरी-छिपे नॉर्थ ईस्‍ट के प्रांत मिजोरम में आ रहे हैं. इस काम में उनकी मदद एक्टिविस्‍ट और स्‍वयंसेवकों का एक नेटवर्क कर रहा है. ये लोग सेना की कार्रवाई से बचने के लिए सीमापार भारत में शरण ले रहे हैं. 
घने जंगल के बीच ये कार, मोटरसाइकिल और पैदल चलकर बॉर्डर क्रॉस कर रहे हैं. हालांकि अधिकांश मामलों में सीमा के दोनों तरफ मौजूद स्‍वयंसेवकों को समूह मदद कर रहे हैं. एक बार भारत में आने के बाद स्‍थानीय कार्यकर्ता और निवासी उन्‍हें भोजन और रहने की जगह मुहैया कराते हैं. 
म्‍यांमार से भागकर आए कुछ पुलिसकर्मियों ने कहा कि वे म्‍यांमार से इसलिए भाग आए क्‍योंक‍ि उन्‍हें डर था कि अगर उन्‍होंने प्रदर्शनकारियों को गोली मारने के सेना का आदेश नहीं माना तो उन्‍हें सजा मिलेगी. फरवरी के बाद से अबतक करीब 1000 लोग म्‍यांमार से भारतीय सीमा में मिजोरम आ चुके हैं. 
यह जानकारी मिजोरम से राज्‍यसभा सांसद के वनलालवेना ने दी. मिजोरम के एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने बताया कि इनमें करीब 280 म्‍यांमार पुलिसवाले, और दो दर्जन से ज्‍यादा अग्निशमन विभाग के कर्मचारी शामिल हैं.मिजोरम के विभिन्न शिविरों में रह रहे कुल 642 म्यांमार नागरिकों की पहचान की गई है. इसके साथ ही खुफिया एजेंसियां अन्य 91 शरणार्थियों की नई आमद की पहचान करने की कोशिश कर रही हैं. इन्हें एजेंसियों द्वारा 'अपुष्ट' श्रेणी में रखा गया है. म्यांमार से भागकर आने वाले ज्यादातर लोग 18 मार्च से 20 मार्च के बीच भारत में दाखिल हुए. 
एक खुफिया एजेंसी की आंतरिक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अधिक शरणार्थी चंपई जिले में रह रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 324 चिन्हित शरणार्थी चंपई जिले में हैं और 91 व्यक्तियों का एक नया जत्था, जिनका अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं है, वे भी इसी जिले में रह रहे हैं. चंपई के बाद, सीमावर्ती जिले सियाहा में कुल 144 शरणार्थी रह रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 83 लोग हेंथिअल में, 55 लॉन्गतालाई में, 15 सेर्चिप में, 14 आइजोल में, तीन सैटुएल में और दो-दो नागरिक कोलासिब और लुंगलेई में रह रहे हैं. 
म्‍यांमार के शरणार्थियों के इस तरह मिजोरम में शरण लेने से केंद्र और मिजोरम सरकार के बीच समस्‍या खड़ी हो सकती है. केंद्र सरकार इन्‍हें दूर रखना चाहती है वहीं मिजोरम सरकार स्‍थानीय लोगों की भावनाओं को देखते हुए इन्‍हें शरण देना चाहती है. असल में, मिजोरम में रहने वाले जनजातीय समुदाय और म्‍यांमार में सीमा के पास रहने वाले चिन समुदाय में नजदीकी संबंध हैं. 
भारत और म्यांमार 1,643 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं और दोनों ओर के लोगों की जातीय संबद्धता के कारण पारिवारिक संबंध भी हैं. मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड भी ऐसे भारतीय राज्य हैं, जो म्यांमार के साथ सीमाएं साझा करते हैं, लेकिन तख्तापलट के बाद पड़ोसी देश से भारत आई आमद मिजोरम तक सीमित हो गई है, जो म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. इन लोगों की आमद राज्य में एक संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि सीमाओं के दोनों ओर के लोगों में जातीय संबद्धता है. 
1 फरवरी को म्‍यांमार की सेना ने यह कहते हुए तख्‍तापलट कर दिया था कि 8 नवंबर हुए चुनावों में म्‍यांमार की राजनेता सू की की पार्टी की जीत फर्जी थी. राष्‍ट्रीय चुनाव आयोग ने यह मानने से इनकार कर दिया इसके बाद से सेना ने देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया था. सेना ने दोबारा चुनाव कराने का ऐलान किया है पर तारीखों की घोषणा नहीं की है. 







 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :