स्वयं सहायता समूह की महिलायें प्रदर्शन करेंगी

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

स्वयं सहायता समूह की महिलायें प्रदर्शन करेंगी

आलोक कुमार  
पटना.आज स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के सामूहिक कर्जमाफी और अन्य मांगों को लेकर ऐपवा व स्वयं सहायता समूह सह जीविका संघर्ष समिति की बैठक भाकपा-माले विधयाक दल कार्यालय पटना में संपन्न हुई, जिसमे राज्य भर से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की. 

इस अवसर पर ऐपवा की महासचिव का. मीना तिवारी ने कहा कि वर्ष 2020 में लाकडाउन की अवधि में हमने समूह से जुड़ी महिलाओं के कर्जमाफी और जीविका कार्यकर्ताओं से जुड़े इस मुद्दे को उठाया और कई कार्यक्रम हुए. फिर विधानसभा चुनाव के बाद 5 मार्च को पटना में इन मांगो को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन किया गया.पर बिहार के हालिया बजट में इन्हें कोई राहत नहीं दी गयी और केन्द्र की मोदी सरकर ने इन कर्जों को वसूलने के फैसला कर इन महिलाओं को निराश कर दिया है. 

अभी हम देख रहे हैं कि कई राज्यों में समूह से जुड़ी महिलाओं की कर्जमाफी एक मुद्दा बन रहा है. आंध्र प्रदेश के बाद तमिलनाडु, असम और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावो में भी महिला समूहों द्वारा लिए गए कर्ज को माफ करने की मांग भी मुद्दा बनकर उभरी है. 

तानाशाह और असंवेदनशील मोदी सरकार की नीतियों से कर्ज के दलदल में फंसी गरीब और हाशिए की महिलाओं का लॉकडॉन के बाद रोजगार समाप्त हो गया है और कई मामलों में उन्होंने उसी कर्ज के पैसे से उस अवधि में आय का कोई स्रोत नहीं रहने पर घर चलाया है. 

हमारे उस अवधि की पहलकदमी के कारण कई जगहों पर माइक्रो वित्त कंपनियों की मनमानी रोकी गयी,पर बड़े पैमाने पर उनके कर्ज और उस पर बहुत ही अधिक ब्याज वसूलने की समस्या यथावत है. प्राइवेट वित्त कंपनियां की मनमानी को राज्य में रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नही उठाया है और बड़े पैमाने पर इनके उत्पादों के खरीद की गारंटी नही हुई है. बिहार सरकार के ग्रामीण मंत्रालय द्वारा संचालित ‘जीविका’ समूह से ही सिर्फ 1 करोड़ 10 लाख महिलाएं जुड़ी हैं. इसमें प्राइवेट वित्त कंपनियों और एनजीओ द्वारा संचालित समूहों को जोड़ें तो यह काफी बड़ी महिला आबादी है जो कर्ज के महादलदल में ढकेल दी गयी हैं. 

इस अवसर पर ऐपवा की राज्य सचिव का. शशि यादव ने कहा कि कर्ज लेने महिलाओं के जीवन में आने वाली आपदा की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं. यहां तक कि कर्ज व ब्याज वसूलने के लिए निजी वित्त कंपनियों के एजेंटो द्वारा महिलाओं के साथ लगातार बदसलूकी की जा रही है. 

इस अवसर पर संघर्ष समिति की राज्य संयोजक रीता बर्नवाल ने कहा कि ऐसे में जब अन्य राज्यों में मामला जोर पकड़ रहा है, तो बिहार में इस आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए कर्जमाफी, पुनः स्व-रोजगार के लिए ब्याजमुक्त कर्ज, इन कर्जो के नियमन के लिए राज्य प्राधिकार का गठन, जीविका महिला कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, पहचानपत्र, बीमा और 21,000 रुपये मानदेय देने की मांग पर 28 अप्रैल को बिहार राज्य के सभी प्रखंडो पर कार्यक्रम किया जाएगा। 

इसके साथ डॉ प्रेमा देवी, दौलती देवी, दीपा कुमारी, अनुराधा देवी, रूबी मांझी व अन्य कार्यकर्ताओं ने भी बैठक को संबोधित किया। 

इस बैठक के जरिए काॅ. रीता बर्नवाल, अनुराधा देवी, दीपा कुमारी, माला देवी, मनमोहन सहित छह सदस्यीय राज्य संयोजन समिति और 18 सदस्यीय राज्य कमिटी के भी गठन किया गया.का. रीता बर्नवाल को सर्वसम्मति से राज्य संयोजक चुना गया.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :