वीर विनोद छाबड़ा
अभी कुछ दिन पहले हमने एक वीडियो देखा, जिसमें बताया गया कि दिलीप कुमार को देवानंद लाइक नहीं करते थे. इसकी वज़ह थी मशहूर सिंगर-एक्ट्रेस सुरैया. देवानंद-सुरैया का इश्क़ जग-ज़ाहिर था. दोनों ही एक दूसरे को बेसाख़्ता चाहते थे, लेकिन सुरैया की नानी नहीं मानीं. वो सुरैया को डराती थीं, देवानंद का ख़्याल दिल से निकाल दो, हिन्दू-मुस्लिम फ़साद हो सकता है...और सुरैया डर जाती थीं. नानी ने उस अंगूठी को भी समंदर में फिंकवा दिया जो देवानंद ने सुरैया की उंगली में पहनाई थी. कामिनी कौशल ने भी एक लेख में दोनों के इश्क़ का ज़िक्र किया है. तब देव-सुरैया की 'शायर' में कामिनी थर्ड एंगल किरदार में थीं. उन्होंने दोनों के बीच पोस्टमैन का काम किया.
इस्मत चुग़ताई उर्दू की मशहूर अफ़सानानिगार थीं. उनके पति शाहिद लतीफ़ ने कई फ़िल्में डायरेक्ट की हैं, जिनमें दिलीप कुमार और देवानंद की फ़िल्में भी रही हैं. इस्मत आपा खुद भी स्क्रीनप्ले-डायलॉग लिखती रहीं और क्लासिक 'गर्म हवा' की कहानी भी उन्होंने ही लिखी थी. उन्होंने सुरैया पर लिखे एक आर्टिकल में ज़िक्र किया है कि सुरैया के बेशुमार आशिक़ थे. एक आशिक़ जालंधर से बाक़ायदा बारात लेकर आ गया. बहुत मुश्किल पेश आयी थी, उसे वापस भेजने में. पुलिस तक बुलानी पड़ गयी. शादी-शुदा कई मशहूर डायरेक्टर भी सुरैया से शादी करने को बेक़रार रहे. ज़हर खाकर मरने की धमकी देने वाले तो कई थे. एक ने तो सचमुच ज़हर खा लिया था.
दरअसल, सुरैया थीं ही बहुत खूबसूरत और आवाज़ तो सुरीली थी ही. कोई भी उनके प्यार में दीवाना हो जाता था. बताया जाता है कि दिलीप कुमार का नाम भी सुरैया के चाहने वालों की फ़ेहरिस्त में था. जब दिलीप फ़िल्मों में संघर्ष कर रहे थे तो सुरैया टॉप क्लास एक्ट्रेस-सिंगर थीं. दिलीप कुमार उनके साथ एक फ़िल्म करके पैर जमाना चाहते थे. लेकिन सुरैया ने कोई दिलचस्पी नहीं ली. दिलीप ने दिल में गाँठ बाँध ली, सबक सिखा दूंगा एक दिन. कुछ साल बाद जब दिलीप का सितारा बुलंदी पर आया तो उनके दोस्त के.आसिफ़ ने 'जानवर' (1952) में दिलीप-सुरैया की जोड़ी को पहली बार कास्ट किया. उन दिनों का ये बहुत बड़ा कास्टिंग कूप माना गया. उस दौर की गॉसिप फ़िल्मी मैग्ज़ीनों की मानें तो सुरैया को दिलीप कुमार ने बहुत परेशान किया. एक्टिंग में रियलिटी का टच देने के लिए दिलीप कुमार ने उन्हें कई बार पीटा. एक बार तो इस क़दर पीटा कि उनकी पीठ पर ज़ख्म बन गए जिन्हें ठीक होने में महीना भर लगा. सुरैया-दिलीप के बीच के.आसिफ एक 'किस शॉट' भी फ़िल्माना चाहते थे. लेकिन सुरैया ने मना कर दिया, सेंसर बोर्ड इसकी कतई इजाज़त नहीं देगा. आसिफ़ ने सुरैया को समझाने की बहुतेरी कोशिश की, लेकिन वो नहीं मानीं. जब ज़ोर ज़्यादा पड़ा तो सुरैया ने फ़िल्म ही छोड़ दी. वो फ़िल्म कभी पूरी नहीं हो पायी.
कहा जाता है यही वज़ह रही कि देवानंद के दिलीप से रिश्ते अच्छे नहीं रहे. हालांकि दोनों ने जैमिनी की 'इंसानियत' (1955) में एक साथ काम भी किया. हैरानी होती है कि देवानंद की बायोग्राफी 'रोमांसिंग विद लाईफ़' और दिलीप की बायोग्राफी 'सब्सटेंस एंड शैडो' में ऐसे किसी मनमुटाव का ज़िक्र नहीं है। दिलीप-देव-सुरैया की क़रीबी रहीं इस्मत आपा से तो हमने पर्सनली भी इस सिलसिले में एक बार पूछा था. लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया था, दिलीप और देवानंद के रिश्ते बहुत अच्छे थे. एक दूसरे के हर दुःख-सुख में शिद्दत से शरीक़ हुए. गॉसिप मैग्ज़ीनों को तो बस मसाला चाहिए होता है, जो नहीं होता है, वो इन्हें दिखता है. फोटो साभार
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