बिल्लो बाई से देश के प्रधानमंत्री माफी मांगे.

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

बिल्लो बाई से देश के प्रधानमंत्री माफी मांगे.

आराधना भार्गव 
एक अप्रैल 2021 को  किसान संघर्ष समिति के नेतृत्व में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा मध्यप्रदेश के मुलताई जिला बैतूल से प्रारंभ होकर छिंदवाड़ा, सिवनी, नरसिंहपुर, सागर, दमोह से होते हुए जब छतरपुर जिले के महाराजपुर तहसील पहुंची तब यह ज्ञात हुआ की 14 जनवरी 1931 मकर संक्रांति के मेले में चरणपादुका में हो रही सभा को अंग्रेजों की सेना ने घेर लिया और आमसभा में उपस्थित निहत्थे लोगों पर बेरहमी से मशीनगनों और बंदूकों से गोलियों की बौछार की गई. इस गोली चालन में एक महिला क्रांतिकारी सहित 21 लोगों की मृत्यु हुई और 26 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. निहत्ते आम नागरिको को घेरकर गोलियों से भून डालने की घटना केवल 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के जलियावाला बाग में ही नही हुई थी, बल्कि ऐसी घटनायें आगे भी होती रही. 1930 में मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के चरण पादुका नामक कस्बे में असहयोग आंदोलन में शामिल गाँधीवादियों पर गोली चालन किया गया जिसमें कई लोग घायल हुए थे. 
अगर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा छतरपुर के चरण पादुका नामक स्थान पर नही पहुँचती तो हमें पता ही नही चलता कि अंग्रेजों द्वारा जलियावाला बाग से भी बरबर तरीके से असहयोग आन्दोलनकारियों पर गोली दागी गई क्योंकि इतिहास में हमें कही यह पढ़ने को भी नही मिला और ना ही अब तक की मध्यप्रदेश सरकार ने इसका कोई प्रचार प्रसार किया. साल में एक बार 14 जनवरी को सरकार द्वारा एक शासकीय कार्यक्रम कर लिया जाता है. चरण पादुका नामक स्थान पर ना तो देश के प्रधानमंत्री पहुंचे और ना ही प्रदेश के मुख्यमत्री. जिस तरीके से आज किसान आंदोलन पूरे शबाब पर है उसी तर्ज पर 1930 में महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन पूरे शबाब पर था, जिसका पूरा असर बुंदेलखंड पर भी देखने को मिला, यहां भी विदेशी चीजो का बहिष्कार और देशी सामान को कैसे बढ़ावा दिया जाय इसको लेकर आस पास के गाँव के लोग लगातार बैठक कर रहे थे और इसी उद्देश्य को लेकर 14 जनवरी 1931 को चरण पादुका नामक कस्वे में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया था, जिसमे लगभग 7,000 लोग शामिल हुए थे सभा मे नेताओ ने विदेशी बस्तुओं की होली जलाने, देशी वस्तुओं का उपयोग तथा लगान भुगतान ना करने की अपील की थी. सभा मे मौजूद लोगों ने एकजुट होकर ऐलान किया, कि वे लगान नही पटाईगे.  जिसके बाद राजनगर के निकट खजुआ गांव मे लोगो पर गोलियां बरसाई गयी ,घटना में सैकड़ों आंदोलनकारी घायल हो गए थे, जिसमें कुछ बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल थे. 14 जनवरी 1931 का वह काला दिन जबकि मकर संक्रांति के मेले में चरण पादुका में हो रही सभा को अंग्रेज सेना ने चारों तरफ से घेर लिया तथा आम सभा में उपस्थिल लोगों पर बंदूकों से गोली दागी गयी जिसमे से 21 लोग शहीद हुए और 26 लोग गंभीर रूप से घायल हुए. स्वतंत्रता के इस यज्ञ मे बलिदानियों मेे, गिलोहां के सेठ सुंदर लाल गुप्ता, खेरवा के धरमदास महतों, गोमा के रामलाल, पिपट के चिंतामणि, कटिया के रघुराज सिंह, करण सिंह, हलकईं अहीर, हल्के कुर्मी, लोड़ी के गणेशा चमार सहित महिला क्रांतिकारी श्रीमती रामकुंवर शहीद हुए थे. अंग्रेजों ने आन्दोलनकारियों पर ही फर्जी मुकदमें लादे, जिसमें से 21 व्यक्ति गिरफ्तार किये गए. इनमें से सरजू दउआ को चार वर्ष तथा शेष 20 को तीन तीन वर्ष के सश्रम कारवास की सजा सुनाई गई. अंग्रेजों द्वारा असहयोग आंदोलन पर इतनी बर्बरता पूर्वक गोली चालन किया गया था कि पेड़ों पर बैठे लाखो पक्षी गोली चालन से मारे गए थे तथा पेडों के पत्ते भी नही बचे थे गांधी जी के इस असहयोग आंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. देश के इस आजादी के आंदोलन में छतरपुर की महिलाओं ने सहादद दी थी, उन्हीं में से एक घायल क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीमती लल्ला बाई, उम्र लगभग 110 वर्ष, आज एकमात्र जीवित योद्धा है, जिन्हें आंखों से दिखाई नहीं देता, कानों से सुनाई नहीं देता, फिर भी देश प्रेम का अद्भुत जज्बा है, जो आज अत्यंत दयनीय एवं उपेक्षित परिस्थिति में है. हमारे प्रधानमंत्री पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की माँ की पैर पड़ने के लिए पाकिस्तान जा सकते है किन्तु उन्हें श्रीमती लल्ला बाई से मिलने, व उनके चरण छूकर आशीर्वाद लेने व उनका हालचाल जानने की फुर्सत नही है. चरण पादुका मध्यप्रदेश के छतरपुर में स्थित है. मुख्यमंत्री कई बार चुनावी सभाओं में छतरपुर गए किन्तु देश को आजादी दिलाने वाले शहीदों को नमन करने चरण पादुका नही पहुँचे, ना ही मुख्यमंत्री ने कभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लल्ला बाई की कोई खोज खबर ली. देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री ने चरण पादुका नामक स्थल पर ना पहुँचकर शहीदों का घोर अपमान किया है यह अपमान मध्यप्रदेश की जनता कभी बर्दास्त नही कर पायेगी. 
तीन किसान विरोधी कानून रद्द करने तथा सभी कृषि उत्पाद की समर्थन मूल्य पर खरीदी का कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली की सिंघु, गाजीपुर, टिकरी और शाहजहांपुर बॉर्डर पर जो किसान साथी शहीद हुए है उनके समृति में शहीद स्तंभ बनाने के लिए देश भर से मिट्टी सत्याग्रह यात्रा निकाली गई, जिसमें मुलताई में 12 जनवरी 1998 में जो 24 किसान शहीद हुए, शहीद स्थल की मिट्टी छिन्दवाड़ा में अदानी के गुण्डों द्वारा मुझ पर तथा डाॅ. सुनीलम् जी पर प्राणा घातक हमला किये जाने की जगह से जहाँ पर मेरा खून गिरा था वहाँ की मिट्टी, सिवनी जिले के पलारी ग्राम की मिट्टी जहाँ पर खेतों में नहर से पानी मांगने पर किसानों पर गोली चालन किया गया था कि मिट्टी, नरसिंगपुर जिले के 18 गांव की मिट्टी सागर, दमोह, टीकमगढ़, पृथ्वीपुर, स्वर्गीय गौरीशंकर शुक्ला जी की कर्मस्थली की मिट्टी, निमाडी, दतिया, डबरा, ग्वालियर, झाँसी की रानी की शहादत की मिट्टी एकत्रित कर शाहजहाँपुर, टिकरी, गाजीपुर तथा सिंघू बार्डर पर बनाए जा रहे शहीद स्तम्भ पर मिलाई गई. 
मिट्टी सत्याग्रह यात्रा से मध्यप्रदेश के किसानों में किसान आन्दोलन के प्रति अभूतपूर्व उत्साह था जिस जगह पर यात्रा नही पहुँच पाई किसानों ने यात्रियों से आग्रह किया कि आप हमारे जिले की मिट्टी भी किसान आन्दोलन में शहीद हुए किसानों की स्मृति में बन रहे शहीद स्तम्भ पर भी ले जाते तो खुशी होती. मिट्टी सत्याग्रह यात्रा में छतरपुर के बड़े किसान नेता दिलीप शर्मा (दीपु भैय्या) सुश्री सोना आदिवासी, अमित भटनागर, रमन शर्मा, एडवोकेट आराधना भार्गव छिंदवाड़ा, देवेंद्र सिंह बगोता ,अरविंद शर्मा दतिया मिट्टी सत्याग्रह यात्रा देश के 17 राज्यों से मिट्टी संग्रह करके शहीद स्मारक बनाने हेतु दिल्ली के चारो बाॅर्डर शाहजहाँपुर, टिकरी, गाजीपुर, सिंघु बाॅर्डर पर पहुँची थी जहाँ पर शहीद स्थल पर सभी ने अपनी श्रृद्धान्जली थी तथा अपनी मिट्टी बाॅर्डर पर बैठे किसानों को सौंप कर अपनी भावनाओं से उन्हें अवगत कराया. सीमा पर बैठे किसानों ने देश के अलग अलग राज्यों से लाई गई मिट्टी सत्याग्रह यात्रा का शहीदों आपके सपनों को मंजिल तक पहुँचायेंगे के नारों के साथ जोरदार स्वागत किया. 
शाहजहाँपुर बाॅर्डर पर आयोजित किये गये कार्यक्रम में योगेन्द्र यादवजी, पूर्व विधायक अमरराम चैधरीजी, टिकरी बाॅर्डर पर योगेंदर सिह उग्राहा, इंद्रजीत सिंह, जसवीर कौर, गाजीपुर बाॅर्डर पर राकेश टिकैत, सिघु बाॅर्डर पर हनान मौला, सत्यवान सहित अनेक संगठनों ने मिट्टी सत्याग्रह यात्रा का स्वागत किया. शाहजहाँपुर बाॅर्डर पर बने स्मारक का निर्माण अहमदाबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट  आॅफ डिजाइनर के कलाकार लालोन द्वारा, गाजीपुर और सिंधु बाॅर्डर के लिए स्मारक का डिजाइन पटियाला के कुलप्रीत द्वारा, टिकरी (मेट्रो स्टेशन) बाॅर्डर के स्मारक का डिजाईन पश्चिम बंगाल के कलाकार द्वारा तथा टिकरी (बहादुरगढ़) शबनम हाशमी जी एवं साथियों द्वारा किया गया. चारों जगह के शहीद स्मारक देखने योग्य है. तीन किसान विरोधी कानून निरस्त होने तथा सभी कृषि उत्पाद की खरीदी समर्थन मूल्य पर खरीदने का कानून बनने के पश्चात् किसान अपने अपने घरों को चले जायेगे पर मिट्टी सत्याग्रह यात्रा एवं किसान आन्दोलन में अपनी शहादत देने वाले किसान हमेशा याद किये जायेंगे.

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :