अंबरीश कुमार
उपहार तो तरह तरह के मिलते रहते हैं .अपने चौधरी साब यानी खांटी समाजवादी राजेंद्र चौधरी अपने गांव से जब लौटते हैं तो बिना उर्वरक वाले गन्ने का बना गुड़ भेज देते है .या फिर मथुरा का मशहूर पेडा या कलाकंद आदि पर मीठे से अपने को दूर ही रहना पड़ता है पर दूसरे लोग तो है ही .और सविता को मीठे से कोई दिक्कत भी नहीं है इसलिए वे पसंद करती है .खासकर गुड की चाय तो बनती ही है .पर बहुत कम गुड की जिससे मुझे लगता भी नहीं कि चाय में मीठा डाला भी गया है .खैर किस्सा तीन दिन पहले मिले उपहार का है .पड़ोस में रहने वाले विभूति नारायण राय साहब के घर दावत थी .प्रोफ़ेसर दीपक मलिक और उनकी पत्नी प्रोफ़ेसर मीरिया जो स्वीडेन की नागरिक हैं वे आमंत्रित थी जो आजकल यही हैं पर चार दिन बाद स्वीडेन जा रही हैं .शाम सात बजे जब राय साब के घर पहुंचे तो वहां संख्या कुछ ज्यादा ही दिखी .देखा तो पूर्व आईजी पुलिस शैलेंद्र प्रताप सिंह और उनके साथ एक परिवार आया हुआ था .सिंह साहब उत्तर प्रदेश के बहुत से जिलों में एसपी ,एसएसपी रह चुके हैं और भवाली से ऊपर घोडाखाल सैनिक स्कूल के सामने रहते हैं .उनके घर से भीमताल का दृश्य दिखता है तो बगल में ही वह जगह है जहां मशहूर फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार और वैजंती माला का गीत फिल्माया गया था मधुमती फिल्म का .सिंह साहब भवाली का इतिहास लिख चुके है जो अल्मोड़ा जेल की नेहरु बैरक से शुरू होकर भवाली के कमला नेहरु सेनेटोरियम तक फैले इतिहास तक ले जायेगा .किताब आ जाए तो पढनी चाहिए .पुलिस में पढने लिखने वाले अफसर भी बहुत है सिर्फ मुठभेड़ वाले ही नहीं होते .वे कुछ महीने पहले तस्मानिया से लौटे हैं और तभी मुलाकात हुई .वे पढने लिखने और घुमने के साथ बहुत अच्छे कुक भी हैं.पिछली बार मैं रामगढ़ से सीधे गोरखपुर जा रहा था तो उन्होंने रात के खाने के लिए खुद की बनाई मकुनी और फिश कबाब के साथ हरी मिर्च नींबू और चार जिंदा प्याज भी पैक करा दिया था जो दूसरे दिन गोरखपुर तक चला . बात चली तो बोले मैं रेनबो ट्राउट लेकर आया हूं भीमताल में फिशरीज विभाग की हैचरी से .भीमताल में फिशरीज विभाग महाशीर के बाद अब रेनबो ट्राउट पालन को प्रोत्साहित कर रहा है .मेरे घर के बगल में भी एक नौजवान ने दो तालाब में ट्राउट पाला हुआ है .इसका नाम बहुत सुना था पर स्वाद लेने का कोई मौका नहीं मिला था .पर एक समस्या थी कि कौन मछली को काटेगा इसलिए अपन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई .पर राय साहब ने कहा ,एक ट्राउट मीरिया को दें और एक मुझे .क्योंकि राय साब तो सुबह नोयडा निकल रहे थे .मैंने कहा दोनों मीरिया जी को ही दे दें क्योंकि मुझे मछली काटना नहीं आता और सविता तो शुद्ध शाकाहारी हैं पर बना देती है .खैर तय यह हुआ मीरिया जी इसे बनायेंगी .कल प्रोफ़ेसर दीपक मालिक और मीरिया जी साबुत ट्राउट बना कर ले आई .बताया कि इसे ओवन में बेक किया है .जैसा विदेशी लोग करते हैं .पर मुझे बेक की गई मछली का कोई अनुभव नहीं था क्योंकि सरसों पेस्ट वाली मछली ही भाती थी .साथ ही यह भी चेतावनी मिल गई थी कि इसे आज ही ठिकाने लगाना है क्योंकि कल से नवरात्र शुरू हो रहा है .इसलिए अलग बर्तन और चूल्हा भी दे दिया गया .मैंने उसे टमाटर की ग्रेवी के साथ बनाया .करीब तीन पाँव की ट्राउट थी यह .बाद में स्वाद लिया .यह मछली भीतर से कुछ गुलाबी रंगत लिए हुए थी .और स्वाद अदभुत था.मैंने लक्ष्यदीप में टूना का स्वाद लिया है तो मुंबई में पैम्फ्रेट का .कोलकाता के मशहूर सोलह आना बंगाली रेस्तरां में हिल्सा और चिंगरी का भी .अपने घर में रोहू ,कतला ,टेंगन ज्यादा बनती है .बचपन में सिंघी ज्यादा बनती थी .पर यह ट्राउट तो इन सब पर भारी है स्वाद के मामले में .ऐसा स्वाद किसी मछली में भी नहीं मिला .पद्मा जी ने बताया कि जब राय साहब बीएसएफ में कश्मीर के श्रीनगर में पोस्टेड थे तो ठंढ में हरी सब्जी नहीं मिलती थी आसानी से .आलू मिलता था पर ट्राउट तो आलू के भाव ही मिल जाती थी इसलिए उन्होंने काफी बनाया है इसे .
ट्राउट मछली में ओमेगा थ्री फैटी एसिड नामक तत्व होता है जो बहुत अच्छा पोषक तत्व है. इसमें विटामिन डी होता है. स्वस्थ दिल के लिए ट्राउट बहुत ही बेहतर है.बहरहाल शैलेंद्र प्रताप सिंह का यह उपहार याद रहेगा .और प्रोफ़ेसर मीरिया ने जिस यूरोपीय ढंग से बनाकर दिया वह भी .आसपास कहीं यह मछली मिले तो जरुर मंगाएं .मांग ज्यादा है इसलिए यह महंगी जरुर होती है
कुछ राज्यों में जहां इसका पालन होता है, उनमें हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड का नाम प्रमुख है. उतराखंड में इसको बढ़ावा देने के लिए भीमताल के फिशरीज डिपार्टमेंट का भी आभार .वजह इससे बहुत से नौजवानों को रोजगार मिलने लगा है .
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