हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी टर्मिनेट

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हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी टर्मिनेट

आलोक कुमार 
पटना.खेत खाए गदहा, मार खाए जोलहा.यह कहावत कब और किसके लिए और किसने कही, यह तो ठीक ठीक नहीं मालूम है पर पटना मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ आईएस ठाकुर ने चरितार्थ कर दिया.यहां पर अधीक्षक महोदय ने जिंदा मरीज को मरा बताकर परिवार वालों को दूसरे की डेड बॉडी देने का प्रकरण में सीधे कसूरवार पटना मेडिकल कॉलेज के कोविड कंट्रोल रूम में तैनात हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी को कसूरवार ठहराकर टर्मिनेट कर दिया गया.टर्मिनेट करने का अधिकार अधीक्षक को नहीं है.उन्होंने सीमा पार कर कार्रवाई कर दी.इस मामले में अधीक्षक आयुक्त के पास संस्तुति भेज सकते हैं.बस इसी को आधार बनाकर हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी ने बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के द्वार पर दस्तक दे मारी हैं. 

बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में मामले पहुंच जाने से जांच होगी.कोरोना से मरने वाले राज कुमार को भी न्याय मिल जाएगा.जिसकी मौत के बाद शव की दुर्गति की गई. पीएमसीएच में हुए इस घटनाक्रम में निलंबित की गई हेल्थ मैनेजर ने आयोग में न्याय की गुहार लगाई है.जांच में पीएमसीएच  में मरीजों और परिजनों के अधिकारों के हनन पर भी न्याय मिल सकेगा. 

पटना मेडिकल कॉलेज के कोविड कंट्रोल रूम में तैनात हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी ने मंगलवार को बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से न्याय की गुहार लगाई है. हेल्थ मैनेजर का कहना है कि 11 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड जिंदा मरीज की मौत बताकर कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया गया इस मामले में दूसरे मृत की बॉडी दूसरे के जिंदा व्यक्ति के परिजनों को सौंप दी गई.इस मामले में मेरे ऊपर कार्रवाई की गई है. 

हेल्थ मैनेजर ने कहा है कि 11 अप्रैल को कोविड से संक्रमित मरीज का शव दूसरे के परिजनों को सौंपने का आरोप लगाकर बिना मुझसे स्पष्टीकरण मांगे या इस मामले की सच्चाई बिना जाने कार्रवाई कर दी गई.यह नियम का उल्लंघन है.11 अप्रैल से मुझे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.हेल्थ मैनेजर का कहना है कि उसकी बर्खास्तगी का आदेश पूरी तरह से गलत और अनुचित है. 

हेल्थ मैनेजर अंजली ने पत्र में कहा है कि मृत मरीज के डेथ सर्टिफिकेट संबंधित ऑन ड्यूटी डॉक्टर के द्वारा दिया जाता है तथा कोविड से संक्रमित मरीज के शव की पैकिंग टॉली मैन और वार्ड ब्वाय के द्वारा की जाती है. इन दोनों कार्य में स्वास्थ्य प्रबंधक का कोई रोल नहीं होता है. अंजली का कहना है कि 11 अप्रैल को भी ऐसा ही हुआ, जिसमें उनका कोई रोल नहीं था.कोई संलिप्तता नहीं थी. इसके बाद भी मेरे ऊपर कार्रवाई कर दी गई. इस मामले में बिना जांच किए कार्रवाई किया जाना बड़ा सवाल है.इस मामले में बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से हेल्थ मैनेजर अंजली ने कार्रवाई की मांग की है. 


उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि जब हेल्थ मैनेजर को आयुक्त नियुक्त करते हैं तो फिर उस पर कार्रवाई अधीक्षक कैसे कर सकते हैं.इस मामले में अधीक्षक आयुक्त के पास संस्तुति भेज सकते हैं. पटना मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ आई एस ठाकुर ने इस घटना में तत्काल प्रभाव से हेल्थ मैनेजर को टर्मिनेट कर दिया था और इसकी जानकारी भी दे दी.अब इस कार्रवाई के बाद आयुक्त के अधिकार का प्रयोग करने को लेकर चर्चा है.हालांकि इस संबंध में पीएमसीएच कुछ बोलने को तैयार नहीं है. 

बताते चले कि स्वास्थ्य विभाग अपने 'कारनामे' के लिए पहले भी चर्चित रहा है. फिलहाल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में एक बेहद अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां जिंदा व्याक्ति को ही मृत घोषित कर उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया. मामला बाढ़ थाने के मोहम्मदपुर निवासी नवल किशोर के 48 वर्षीय बेटे चुन्नू कुमार का है. पीएमसीएच के एक चिकित्सक ने बताया कि बाढ़ थाने के मोहम्मदपुर निवासी चुन्नू कुमार को ब्रेन हेमरेज के बाद नौ अप्रैल को पीएमसीएच में भर्ती कराया था. इलाज के क्रम में ही उनकी कोरोना जांच कराई गई, जिसमें वे पॉजिटिव पाए गए. इसके बाद कोरोना वार्ड में उन्हें भर्ती करा दिया गया और उनका इलाज प्रारंभ किया गया. 

अस्पताल प्रशासन द्वारा रविवार को उनकी पत्नी और भाई को सूचना दी गई कि चुन्नु की मौत हो गई. मौत के बाद शव को हटाने की आपाधापी में अस्पताल प्रशासन ने मरीज के शव को सीलपैक कर चुन्नू के भाई मनोज कुमार को सौंप दिया और मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया. प्रशासन की देखरेख में शव के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें ले जाया गया. इस क्रम में मृतक की पत्नी ने पति के अंतिम दर्शन करने की जिद करने लगी. परिजनों के मुताबिक जब अंतिम दर्शन करने के लिए शव पर से कपड़ा हटाया गया, तो शव चुन्नू का नहीं किसी और निकला. इसके बाद तो सभी हैरान रह गए. 

बांसघाट से लौटने के बाद परिजनों ने अस्पताल के कोविड वार्ड के गेट पर करीब आधा घंटा तक हंगामा किया. वहीं, बाद में अस्पताल प्रशासन ने चुन्नू के छोटे भाई मनोज को पीपीई किट पहनाकर कोविड वार्ड के अंदर भेजा. इसके बाद मनोज ने भाई से बातचीत की. फिर मामला शांत हुआ. 

इस घटना के बाद पटना मेडिकल कॉलेज की अक्षमता उजागर हो गई. इसके बाद सरकार को बड़ा निर्णय लेना पड़ा.सरकार ने निगरानी के और संस्थानों पर मनमानी के लिए पटना मेडिकल कॉलेज, नालंदा मेडिकल कॉलेज और पटना एम्स में IAS अधिकारियों को तैनात कर दिया गया.बदहाल हुई व्यवस्था के बाद अब ISA अफसरों को इस लिए तैनात किया गया है जिससे वह सरकार को सीधा रिपोर्ट करें.

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