अमित प्रकाश सिंह
अपने जमाने के गिनेचुने पत्रकारों में श्याम खोसला अब नहीं रहे.वे भाजपा समर्थक पत्रकार माने जाते थे .अंग्रेजी में लिखते थे इसलिए हिंदुस्तान भर में उनका मान था.इंडियन एक्सप्रेस में थे .चंडीगढ के ट्रिब्यून के वे समूह संपादक भी रहे. उनकी बेटी कोविड संक्रमित मरीजों के लिए फ्रंट रनर थी .वह इस काम में संक्रमित हो गई. उसे अस्पताल में बेड मिल जाए .इसके लिए नब्बे साल का यह बूढा पत्रकार भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को अपने लेखों ,अपने स्तंभ 'कूपमण्डूक' की याद दिलाता भटकता रहा.
लेकिन देश में पार्टी की अपनी ही सरकार उस पत्रकार की मदद करना तो दूर,उसे आश्वासन देकर टालती रही . वे पत्रकार संघ एनयूजे में भी महत्वपूर्ण पदों पर रहे. लेकिन एन यूजे के भी लोग उनके काम नहीं आए.वे भी अपनी जबान चलाते रहे .हमदर्दी जताते रहे .इस पत्रकार संगठन से ऐसी उम्मीद तो कतई नहीं थी.फिर देश का सूचना मंत्रालय तो ऐसे मामलों में गहरी नींद में ही रहता है ।
परेशान और बदहवास श्याम जी आखिर स्वास्थ्य मंत्रालय में मंत्री तक किसी तरह पहुंचे.उन्होंने अपनी कोरोना स॔क्रमित बेटी के लिए बैड की प्रार्थना मंत्री महोदय से की . मंत्री जी को उनका नाम ध्यान में आया .उन्होंने कोशिश की .आखिर श्याम जी की बेटी को बेड मिला. लेकिन इस दौड़धूप में नब्बे साल का यह पत्रकार थक हार चुका था .वह बीमार हो गया .पता चला वे खुद कोरोना पाजिटिव हैं . और अपने जमाने के इस मशहूर पत्रकार श्याम खोसला के लिए भी उसी आर एमएल अस्पताल में बेड जुगाड़ा गया .पर श्याम जी बचाए नहीं जा सके.
बेटी को बचाने की कोशिश में थके बूढे बाप को मौत को गले लगाना पडा.एक पत्रकार जो समाज मे सक्रिय होता है .काम के दौरान वह भविष्य मे सुशासन की उम्मीदें पालता है कि शायद समाज बेहतर हो .और जब वाकई उसका सपना सत्ता में बदला सच बनता है तो सबसे ज्यादा वही खुश होता है . पर उसकी उम्र की ढलान के साथ सत्ता के अहंकार में भूले नेता और अफसर जब बूढे पत्रकार को भुला देते हैं .तब वही कहीं अंदर टूट जाता है. यही भुगतना पडा अपने जमाने के जाने माने पत्रकार श्याम खोसला को.
उम्मीद तो यही थी कि पहले के जनसंघ और आज की भाजपा ,में ऐसा बदलाव होना नहीं चाहिए था .लेकिन सत्ता की लालच में बडे पैमाने पर पार्टी में जो दलबदल हुआ उसके चलते आज की भाजपा कहीं से भी उस जनसंघ से जुडी नहीं दिखती जिसके सामने आदर्श थे.नैतिकता थी .एकदूसरे का सम्मान था. तब पार्टी का ध्येय , जनता में पांव जमाने के लिए काम करना था .आज है किसी भी तरह सत्ता पर काबिज होना .क्या आपने कभी सोचा था ऐसा .
फोटो में बीच में श्याम खोसला
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