ऐसे पीएम का क्या करे कोई

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ऐसे पीएम का क्या करे कोई

हिसाम सिद्दीकी 
नई दिल्ली! गुजिश्ता बरस जब कोरोना की वबा आई थी तभी दुनिया ने कहा था कि कोरोना की दूसरी लहर बहुत खतरनाक और जानलेवा होगी किसी के पास उसका कोई इलाज नहीं रहेगा. इस वार्निग के बावजूद देश के वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी कोरोना से लड़ाई की तैयारियों के बजाए मगरिबी बंगाल की सत्ता पर काबिज होने की कोशिशों में मसरूफ रहे. जब पूरा मुल्क कोरोना से कराह उठा तो पीएम मोदी साहब बीस अप्रैल को रात पौने नौ बजे टीवी पर नमूदार हुए. कौम के नाम अपने खिताब में उन्होंने कोरोना से लड़ने के कामों का जिक्र करने के बजाए कोरोना वैक्सीन की बात की और यह बताया कि वह इस खतरनाक बीमारी से लड़ने के लिए आइंदा क्या-क्या करने वाले हैं. उनके पास यह बताने को कुछ नहीं था कि आखिर एक साल में आक्सीजन का माकूल बंदोबस्त क्यों नहीं किया गया. दिल्ली समेत बाकी प्रदेशों में अस्पतालों में ज्यादा बिस्तरों का इंतजाम क्यों नहीं किया जा सका, वेंटीलेटर्स का क्या हुआ. मोदी की इस बकवास से पहले पूरे देश में अस्पतालों में बिस्तरों, आक्सीजन और वेंटीलेटर्स की कमी की वजह से हाहाकार सा मच चुका था. देश के नाम उनके खिताब के अगले ही दिन महाराष्ट्र के नासिक में डाक्टर जाकिर हुसैन मेडिकल कालेज में बीस मिनट तक आक्सीजन की सप्लाई रूक जाने से बाइस मरीजों की दम घुटने से मौत हो गई. मोदी ने अपनी बकवास में यह बताया कि आक्सीजन के कितनी प्लाण्ट लगाए जाने वाले हैं वह यह नहीं बता पाए कि एक साल में एक भी आक्सीजन प्लाण्ट क्यों नहीं लगा और नए अस्पताल क्यों नहीं बन पाए. इसीलिए कहा जा रहा है कि ऐसे पीएम का क्या करे कोई जो आग लगने पर कुआं खोदने की बात करता है. 
प्राइम मिनिस्टर्स केयर फण्ड पर शुरू से ही उंगलियां उठती रही है. मोदी ने सरकारी मोहकमों पब्ल्कि सेक्टर इदारों के साथ-साथ तमाम कारपोरेट सेक्टर और छोटे बड़े सनअतकारों से हजारों करोड़ रूपए इस फण्ड में लिए वह पैसा कहां गया? उस फण्ड से जो वेंटीलेटर बनवाए गए उन्हें बनाने का ठेका बीजेपी के अपने लोगों को दे दिया गया उन लोगों ने पैसा तो मोटा ले लिया लेकिन वेंटीलेटर के नाम पर घटिया माल सप्लाई कर दिया. राजस्थान को जो वेंटीलेटर दिए गए उनमें नव्वे फीसद खराब और फर्जी निकले. राजस्थान के अलावा बेश्तर वेंटीलेटस बीजेपी सरकारों वाले प्रदेशों को दिए गए तो उन सरकारों ने खराब होने की शिकायत भी नहीं की. 
नरेन्द्र मोदी के अपने पार्लियामानी हलके बनारस समेत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर, नोयडा, गाजियाबाद समेत आधा दर्जन से ज्यादा शहरों में कोविड-19 मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर, आक्सीजन, वेंटीलेटर, दवाओं और रेमडिसिविर इंजेक्शन की शदीद किल्लत तो थी ही मरने वालों को श्मशानों और कब्रस्तानों में जगह नहीं मिल पा रही है क्या मोदी के पास यह खबर नहीं पहुंची कि बनारस और लखनऊ जैसे शहरों में अर्थियां जलाने के लिए दस से पन्द्रह घंटे में नम्बर आता है यही सूरते हाल मध्य प्रदेश के कई शहरों में भी देखी गई. यह खबर उन्हें जरूर मिली होगी और अगर नहीं मिली तो वह इस लायक नहीं है कि एक सौ पैंतीस करोड़ के देश के वजीर-ए-आजम कहलाएं. 
आक्सीजन की किल्लत का आलम यह कि दिल्ली के मैक्स अस्पताल को इक्कीस अप्रैल को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. उत्तर प्रदेश ने शिकायत की कि उसके हिस्से की आक्सीजन दिल्ली को दे दी गई. हरियाणा में आक्सीजन प्लाण्ट से दिल्ली आने वाले आक्सीजन ट्रक को हरियाणा सरकार ने यह कहकर रोक लिया कि इसपर पहला हक हरियाणा का है. इक्कीस अप्रैल को दिल्ली के एम्स के अलावा तकरीबन तमाम अस्पतालों ने यह कहकर कोविड मरीजों को दाखिल करना बंद कर दिया था कि उनके पास एक से तीन घंटों तक के लिए ही आक्सीजन है जिसके खत्म होने की सूरत मेंं वह मरीजों का न तो इलाज कर पाएंगे और न ही उनकी जान बचा पाएंगे. सरकार की नाअहली का आलम यह है कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने अट्ठारह अप्रैल को एलान किया कि सरकार ने देश भर में एक सौ बासठ (162) प्रेशर स्विंग एडजार्प्शन (पीएसए) प्लाण्ट लगाने की मंजूरी दी है यह प्लाण्ट पब्लिक हेल्थ सेण्टर्स पर लगेंगे. सवाल है कि आखिर एक साल से यह प्लाण्ट लगाने पर गौर क्यों नहीं किया गया. जब चारों तरफ से आक्सीजन की कमी का हंगामा मच गया तभी सरकार की आखें क्यों खुली कि प्लाण्ट लगने चाहिए. 
वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी को मगरिबी बंगाल की सत्ता हासिल करने की ऐसी तड़प है कि बंगाल समेत पूरा मुल्क कोविड-19 के जाल में बुरी तरह फंस गया कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने बंगाल की अपनी तमाम एलक्शन रैलियां रद्द कर दीं. उनके बाद लेफ्ट फ्रण्ट और तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी ने भी अपनी रैलियां रद्द कर दीं लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह समेत बीजेपी की रैलियां जारी रहीं. जब एलक्शन कमीशन ने यह तय कर दिया कि किसी भी रैली में पांच सौ से ज्यादा लोग शामिल नहीं होंगे तभी बीजेपी की रैलियों का जोर कुछ कम हुआ. तेलंगाना की नागार्जुन सागर असम्बली सीट का बाईएलक्शन हो रहा था चीफ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव ने वहां एक रैली कर ली तो चीफ मिनिस्टर समेत साठ लोग कोविड की चपेट में आ गए. 
बीजेपी की चुनावी रैलियां बाइस अप्रैल तक जारी रहीं हालांकि उस वक्त तक बंगाल से दस हजार कोविड मरीजों की खबरें आ चुकी थीं. कोलकाता हाई कोर्ट ने बाइस अप्रैल को एलक्शन कमीशन पर सख्त फटकार लगाई हाई कोर्ट के आर्डर के बाद भारतीय जनता पार्टी जागी और उसने पीएम मोदी की बाकी रैलियां रद्द कर दीं. बीजेपी की रैलियां रद्द हुई उसके बाद ही एलक्शन कमीशन ने चुनावी रैलियां, रोड शो, मोटर साइकिल रैलियांं और दीगर तरीके की चुनावी कम्पेन पर रोक लगाने का एलान किया. 
कोविड की दूसरी लहर की वजह से दिल्ली, मुंबई की हजारों फैक्ट्रियों ने काम बंद कर दिया और मजदूरों को निकाल दिया हफ्तों से लाखों मजदूर मुंबई और दिल्ली से उत्तर प्रदेश और बिहार वापस चले गए इसके बावजूद बीस अप्रैल को वजीर-ए-आजम मोदी ने कहा कि मजदूर जहां हैं वहीं रूकें उनका काम बंद नहीं होने दिया जाएगा और उन्हें किसी किस्म की कोई परेशानी नहीं होगी यह कैसा हाकिम है जिसे मजदूरों की वतन वापसी की खबर तक नहीं लगी. मोदी ने पिछले साल कहा था कि हम ‘आपदा को अवसर’ यानी वबा को मौके में तब्दील कर देंगे तो उनकी बात पर अमल करते हुए उनके ही लोगों ने दवाओं और रेमडिसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी शुरू कर बीस-पच्चीस हजार तक में यह इंजेक्शन बेचे जाने लगे चूंकि कालाबाजारी करने वाले सभी का ताल्लुक बीजेपी से है. इसलिए एक भी शख्स पकड़ा नहीं गया. दिल्ली पुलिस की स्पेशल और क्राइम ब्रांच मुस्लिम बदमाशों को तो कब्रस्तान तक से पकड़ लाती है लेकिन बीस-पच्चीस हजार में सात-आठ सौ का इंजेक्शन फरोख्त करने वालों को नहीं पकड़ सकी. वह भी तब जब कई टीवी चैनलों ने स्टिंग आप्रेशन करके ब्लैक मार्केटिंग करने वालों के मोबाइल फोन नम्बर उनकी शक्लें और पते तक दिखा दिए.जदीद मरकज़

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