हमारे देश को क्या हो गया

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हमारे देश को क्या हो गया

हिसाम सिद्दीक़ी  
गुजिश्ता छः-सात सालों से भारत जो बन गया है यह मुल्क ऐसा कभी नहीं था. वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने गलत बयानी करने के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए, 2013 से अब तक उन्होने जितने वादे किए थे एक भी पूरा नहीं हुआ. वजीर-ए-आजम के ओहदे का वकार (गरिमा) तार-तार होकर सबसे निचली सतह तक पहुंच गया, एक सौ तीस करोड़ से ज्यादा आबादी वाले देश के वजीर-ए-आजम ने महज एक प्रदेश मगरिबी बंगाल की सत्ता हथियाने के लिए जिस सतही किस्म की तकरीरें की हैं उन्हें किसी भी बावकार इंसान को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए था. ममता बनर्जी के लिए जिस दिन नरेन्द्र मोदी एक पब्लिक मीटिंग में कहा ‘दीदी-ओ-दीदी’ हर पढे लिखे शख्स को बहुत नागवार गुजरा, लेकिन मोदी को भगवान का दर्जा देने वालों की नजरों में वह भगवान ही हैं. साढे छः साल की सराकर में मोदी ने देश के लिए क्या किया जब उनके हामियों से सवाल किया जाता है तो जवाब में तीन बातें वह लोग बताते हैं एक तीन तलाक के खिलाफ कानून, दूसरा कश्मीर से दफा-370 खत्म करना और तीसरा शहरियत कानून. इन तीनों से देश को क्या फायदा हुआ इस सवाल पर मोदी भक्त बगलें झांकने लगते हैं. 
नरेन्द्र मोदी ने मुल्क का वजीर-ए-आजम बनने के बाद सबसे पहला हमला देश की जम्हूरियत (लोकतन्त्र) पर किया, कर्नाटक, गोवा और नार्थ-ईस्ट की कई रियासतों के अवाम ने वोट किसी दूसरी पार्टी को दिए थे लेकिन खरीद-फरोख्त के जरिए मोदी ने उन प्रदेशों में सरकार बीजेपी की बनवा दी. यह सिलसिला मध्य प्रदेश तक पहुंचा सवाल यह है कि अगर इन प्रदेशों के अवाम ने बीजेपी के खिलाफ वोट दिए थे फिर भी कालेधन की ताकत पर दूसरी पार्टियों के मेम्बरान असम्बली को तोड़ कर बीजेपी की सरकारें बना ली गईं तो फिर जम्हूरियत (लोकतन्त्र) कहां रह गयी. इसके साथ ही मोदी ने अदलिया के सबसे बड़े इदारे सुप्रीम कोर्ट से रियासती हाई कोर्टों और एलक्शन कमीशन तक सभी संवैधानिक इदारों को अपने कण्ट्रोल में करने का काम किया अगर दिल्ली हाई कोर्ट की तरह किसी जज ने बीजेपी के गुण्डों और दंगाइयों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आर्डर पुलिस को दे दिया तो उस जज को आधी रात में हटाकर पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में भेज दिया गया. निचली अदालतों की तो बात ही करना बेकार है. बेश्तर निचली अदालतें सरकार के इशारे पर नाचना फख्र समझती है. वह खुद को सरकारी मुलाजिम समझ कर काम कर रहे हैं. 
2013 से 2019 तक दोनों लोक सभा एलक्शनों में मोदी ने जितने भी वादे किए एक भी पूरा नहीं किया उल्टे नोटबंदी करके और जीएसटी लादकर पूरे मुल्क खुसूसन गरीबों की कमर ही तोड़ दी. हठधर्मी यह कि उन्हें अपने इन नाकिस फैसलों पर पछतावा नहीं उल्टे फख्र है. उन्होने दो करोड़ मुलाजमतें हर साल पढे-लिखे नौजवानों को देने का वादा किया था हुआ उल्टा बेरोजगारी के मामले में देश ने गुजिश्ता पैंतालीस सालों का रिकार्ड तोड़ दिया. अब तो मोदी सरकार ने बेरोजगारों का रिकार्ड रखना ही खत्म कर दिया है. उन्होने मुल्क में सौ स्मार्ट शहर बनाने का वादा किया था साढे छः सालों में शहर तो क्या दो गांव भी स्मार्ट नहीं बन पाए. उल्टे शहरों की हालत इतनी खराब हो गई है कि मुल्क की राजधानी दिल्ली और मुल्क की सबसे बड़ी रियासत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. बहुत हुई महंगाई की मार अबकी बार मोदी सरकार का नारा देने वाले मोदी सरकार में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के साथ-साथ तमाम जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छूने लगीं. बहू बेटियों की इज्जत बचाने के वादे के साथ सत्ता में आई बीजेपी के मेम्बरान असम्बली, लीडरान और चिंम्यानंद जैसे साबिक मरकजी वजीर तक बेटियों और बहनों की इज्जत पर हाथ डालने लगे. मोदी ने बमुश्किल तीन महीने पहले बिहार के अवाम से वादा किया था कि अगर बिहार में बीजेपी जीती तो कोविड-19 की वैक्सीन मुफ्त में पूरे बिहार के लोगों को लगाई जाएगी. बिहार में उनकी और नितीश कुमार की साझा सरकार भी बन गई वैक्सीन का नाम तक का जिक्र अब मोदी और उनकी पूरी पार्टी नहीं कर रही हैं. 
आजकल पूरे देश में कोरोना की आफत सी आई हुई है. यूपी की राजधानी लखनऊ में किसी भी अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के लिए बिस्तर नहीं है, मरीजों को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं है. अस्पताल में बिस्तर हैं तो आक्सीजन नहीं है, वेंटीलेटर नहीं है, दवाएं नहीं हैं इतने लोगों की मौतें हो रही हैं कि श्मशान घाटों पर एक साथ दर्जनों लाशें जलाई जा रही हैं. इसके बावजूद लाशों के जलाने के नम्बर आठ-दस घंटों बाद आ रहा है. कब्रस्तानों में जगह कम पड़ गई है. मगरिबी बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, केरल, तमिनाडु, बिहार, राजस्थान समेत मुल्क के तमाम प्रदेशों में कोरोना की आफत मची हुई है. हमारा प्राइम मिनिस्टर किस किस्म का बेहिस इंसान है जिस ने बंगाल एलक्शन के लिए अपनी पार्टी की रैलियां बंद नहीं कराई सत्ता की ऐसी भूक तो दुनिया के किसी भी सियासतदां में नहीं है. 
लखनऊ में अस्पतालों में बिस्तरों की कमी पर हंगामा मचा तो सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर मुसलमानों नहीं हिन्दुओं की पोस्ट वायरल होने लगीं लोगों ने लिखा कि आपने तो मंदिर, हिन्दुत्व, राष्ट्रवाद और मुसलमानों को सबक सिखाने के नाम पर मोदी को वोट दिए थे अस्पताल के लिए तो दिए नहीं थे फिर अब रोना किस बात का आंख बंद करके आपने वोट दिए थे तो आप भुगतिए और आपके साथ वह साठ फीसद हिन्दू भी भुगतें जिन्होंने नरेन्द्र मोदी जैसे गैर जिम्मेदार डिक्टेटर को वोट नहीं दिए थे. 
मोदी ने ही उत्तर प्रदेश में कब्रस्तान और श्मशान की बात उठाई थी कि दोनों के साथ बराबर का सुलूक होना चाहिए फिर बीजेपी लीडरान ने कहना शुरू कर दिया था कि अगर गांव-गांव में कब्रस्तान हो सकते हैं तो श्मशान क्यों नहीं हो सकते अब कोविड-19 के जरिए मौका मिला तो मोदी उनकी पार्टी और उनकी रियासती सरकारों ने अपना वादा पूरा करते हुए गांव-गांव को श्मशान बना दिया, हिन्दुत्व भी आ गया, मुसलमानों को सबक भी मिल गया, मंदिर भी बन रहा है, कश्मीर से दफा-370 भी हट गई. इतने सारे काम करने वाले मोदी ने अगर कोविड-19 से निपटने में लापरवाई कर दी तो क्या हुआ हर मकसद पूरा करने के लिए कुर्बानियां भी तो देनी ही पड़ती है. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का नारा था तुम हमें खून दो हम तुम्हें आजादी देंगे. अब वह नारा तब्दील होकर यह हो गया है तुम मुझे वोट दो मैं तुम्हें कोरोना दूंगा, मैं तुम्हें मौत दूंगा. 
जदीद मरकज़

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