चंचल
केजरीवाल को सटीक शब्द नही बोल रहा हूँ वजूहात दो हैं, एक वह, रेहन पर चीफमिनिस्टर है , दूसरा वह गिरोह का चंचल है . प्रायोजित विपक्ष . जनाब मोदी जहां जाते हैं, इसे कांख में दबाए रखते हैं . मोदी गए बनारस चुनाव लड़ने इस ' दमदार ' को खीसे में लटकाए गए . मोदी गिरोह ने पहला काम किया- पूरे बनारस में यह हवा उड़ाया की मोदी का मुकाबला कांग्रेस के अजय राय से नही, झाडुवाले केजरीवाल से है .
बहस मुड़ गयी अजय से झाड़ू पर . कल असल मुद्दा जेरे बहस न हो , सरकार की नालायकी पर चर्चा न हो तो फिर केजरीवाल और उसका प्रोटोकॉल आ गया . सरकार की नालायकी प्रोटोकॉल में घुस गई और धीरे धीरे लीक कर रही है . जनाबेआली !, अब तो पारदर्शी बनो . कुछ तो सबक सीख लेते पूर्व प्रधानमंत्री मरहूम लाल बहादुर शास्त्री से . मुल्क में खाने को अन्न नही था , गरीबी गुरबत में पूरा देश खड़ा था प्रधानमंत्री दस लाख की कोट पहन कर नमस्ते ट्रैम्प नही कर रहा था .
एक प्रधानमंत्री वह भी था अपनी फ़टी धोती अपने हाथ से सिल रहा था . चुपचाप . उनकी मौत के बाद यह घटना खुली . उसी प्रधान मंत्री ने चुनौती दिया था अमरीका को - हम एक दिन उपवास कर लेंगे लेकिन स्वाभिमान नही गिरने देंगे . जनाबे आली ! वही स्वाभिमानने आज देश की अन्न समस्या को ही नही हल किया ,आज हम दुनिया के बारह देशों को अन्न खिला रहे हैं .
प्रोटोकॉल की चादर हटाओ , दिखाओ शरीर पर जख्म कितने हैं ? कौन आक्सीजन से कटा है कौन वैक्सीन से ? उसे तोप कर सड़ाओ मत . उसका इलाज करना है .
सेफ्टीवाल ?
चुआ गुरु बताएंगे .
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