केरल से मेडिकल प्रबंधन तो सीखना चाहिए

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केरल से मेडिकल प्रबंधन तो सीखना चाहिए

रति सक्सेना  
कल फिर मुख्यमंत्री जनता के समक्ष आये, जब घर का मुखिया आप से आपकी भाषा में बातें करता है, तो बहुत अपना सा लगता है.इसलिए उनके आने के वक्त लोग टीवी खोलकर रखते है, साधारण भाषा, सादा भेष, वे बताते है कि कहां पर परेशानी आ रही है, खास तौर से वेक्सीनेशन के लिए, इसके लिए हमने कम्पनियों से बात चीत शुरु कर दी है, भरोसा दिलाया कि आप सब को वेक्सीनेशन मिलेगा, कृपया धैर्य रखें, उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी सरकार बस सरकारी केन्द्रों में वेक्सीनेशन देगी.प्राइवेट अस्पताल चाहें तो अपने आप खरीद सकते हैं, उन्होंने यह भी भरोसा दिलवाया कि प्राइवेट अस्पतालों को कोविद केन्द्र के रूप में खौला जायेगा, लेकिन पूरी तरह से राज्य के कन्ट्रोल में, कोई भी प्राइवेट अस्पताल मनमर्जी चार्ज नहीं कर पायेगा. 
उन्होंने कहा कि शादी के लिए बस बीस से ज्यादा लोग न एकत्रित हों. मरण के वक्त घर के बेहद करीब दस बीस लोग. 
साथ ही उन्होंने वह संख्या बताई जो मास्क न पहनने के कारण पकड़े गये.यह संख्या युवाओं की अधिक रही, जिसके बारे में उन्होंने चिन्ता जतलाई. 
वैक्सीनेशन की समस्या मुझे भी है, दूसरी शाट कैसे मिले, चिन्ता है, लेकिन मेरे घर के सामने रहने वाले कामगार परिवार के युवा ने सहायिका जी के हाथ मेसेज भेजा, आण्टी को समझा देना कि वे अपने आप  वैक्सीनेशन लेने न जायें, जब पास के केन्द्र में उपलब्ध होगा, मैं सूचना दे दूंगा. 
फिर भी मन नहीं माना तो सरकारी सहायता दिशा केरलम केन्द्र में फोन किया. जो कोविड के लिए खोला गया है, मेरा नम्बर 13 था, लेकिन लाइन नहीं कटी, धीरे -धीरे मैं जब लाइन पर आई, तो मुझ से मेरा नाम पूछा गया .उस ओर के व्यक्ति को मेरा नाम समझ नहीं आया क्यों कि केरलीय नहीं है, तो पूछा कि कहां से फोन कर रही हूं, मैंने कुमारापुरम बतलाया और वैक्सीनेशन के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि आप अभी इंतजार करे, कुछ दिनों में समस्या संभलेगी जनरल अस्पताल जाकर भीड़ ना लगाये.प्राइवेट अस्पताल में अभी मिलने की संभावना नहीं है, दो मिनिट के भीतर उन्होंने बात पूरी की. 
सरकार ने ध्यान दिलवाया  कि हमारे पास आक्सीजन की कमी नहीं है. लेकिन उसके बाद की खबरों में दिखाया गया कि किस तरह शराबियों ने हंगामा मचाया, जब पुलिस मदिरालय सात बजे बन्द करवाने पहुंची, केरल में शराब की खपत शायद चावल की खपत से ज्यादा है.शाम से लोग मदिरालयों के सामने लाइन लगाने लगते हैं, उनके अनुशासन को देख कर अजीब सा लगता है.लेकिन इसी शराब ने लाकडाउन में घर में रहने वाली महिलाओं की जिन्दगी नरक सी कर दी है.पुलिश उनसे सख्ती से निपट रही है. 

आज तेइस तारीख को पूरम महोत्सव का दिन है, यह केरल का महाकुंभ ही माना जा सकता है.केरलीय पंचवाद्यम कलाकारों के लिए जीविका का प्रमुख साधन, हाथियों के गुजारे का आधार.बहुत सरकारी चर्चाए चली, अन्त में सांकेतिक मनाने का निश्चय किया गया, आम जनता के लिए रास्ता बन्द हो गया.यह दुनिया का सबसे विशाल संगीत मेला माना जाता है. 
यहां भी अनेक मठ भाग लेते हैं, कुल पचास मठ भाग लेते हैं, हर मठ को अपना अपना पंचवाद्य प्रदर्शित किया जाता है.बाद में विजित टीम को पुरस्कार भी मिलता है.इस बार केवल 3000 के करीब कलाकारों ने भाग लिया.उन सबकों दोनों वेक्सीनेशन दी गईं. और करोना टैस्ट भी करवाया, और हाथी के सम्मुख होने पर भी मास्क पहनने के लिए निर्देश दिये गये.पुलिस ने सख्ती से नियम पालन करवाया. 
पूरम उत्सव राजा वर्मा कुन्जी पिल्लै तम्बुरान (1790-1805), जो कि कोच्ची के महाराजा थे, ने आरम्भ करवाया था.उससे पहले अराट्टुपुषा नामक पूरम चलता था. 
एक बार इतनी बरसात हुई कि  कलाकार  अराट्टुपुषा समय पर नहीं पहुंच पाये, तो उन्हें भाग नहीं लेने दिया. 
शक्तन तम्पुरान ने निर्णय लिया कि वडाक्कुन्नाथन के आस पास के दस मन्दिर के लोग मिल कर पूरम मनाएंगे.इसमें केरल के सभी मन्दिर के देवताओं और पुजारियों को आमन्त्रित किया जाता है , जिससे वे पूरम में भाग लें.संभवतया आप जानते होंगे कि साम्यवादी प्रान्त होते हुए भी मन्दिर सम्बन्धी आचारों का बड़ी शिद्दत से पालन किया जाता है. 
तो अभी पूरम चल रहा है, नियमों का पालन किया जा रहा है, यह धर्म, आचार और कला का समावेश है.सभी मठाधीषों को धन्यवाद, जिन्होंने स्थिति की गंभीरता को समझा, कभी कभी धर्म की अफीम शराब के नशे पर भारी पड़ जाती है. 
 

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