फिलिपोज मार क्राइसोस्टम का निधन

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फिलिपोज मार क्राइसोस्टम का निधन

तिरुवल्ला (केरल).मार क्राइसोस्टम का जन्म 27 अप्रैल, 1918 को कार्तिकप्पल्ली में हुआ था. उन्हें अपने पिता से सेवा भाव से प्रेरणा मिली. उन्होंने अलवाए स्थित यूनियन क्रिश्चियन (यूसी) कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी. साल  1944 में उन्हें ‘डीकॉन ऑफ चर्च’ बनाया गया था. इसके 9 साल बाद साल 1953 में उन्हें बिशप बनाया गया था. वह 68 साल तक बिशप रहे थे.  

मलंकरा मार थोमा सीरियन चर्च के पूर्व प्रमुख और भारत में सबसे लंबे समय तक बिशप के रूप में अपनी सेवा देने वाले डॉ फिलिपोज मार क्राइसोस्टम का 103 साल की उम्र में निधन हो गया. चर्च के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मार क्राइसोस्टम को मंगलवार को तिरुवल्ला में अस्पताल से छुट्टी दी गयी थी. वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. इसके बाद उन्होंने कुम्बानाद में एक निजी अस्पताल में देर रात करीब एक बजकर 15 मिनट पर आखिरी सांस ली. 
मानवीय दृष्टिकोण रखने वाले मार क्राइसोस्टम को 2018 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था. उन्होंने आजीवन गरीब और बेसहारा लोगों की मदद की और उनके अच्छे भविष्य के लिए कई योजनाएं तैयार की थी.  

मार क्राइसोस्टम अपने सरल स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे. उन्हें एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में भी जाना जाता था. साल 1999 में वे मलंकरा मार थोमा सीरियन चर्च के मेट्रोपोलिटन बने थे. उनके भाषणों को लोग गौर से सुनते थे और उसका अनुसरण करते थे. उनके भाषणों को किताब के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया गया. उनके भाषणों पर कई किताबें प्रकाशित हुई हैं. 

अपने शांत एवं विनम्र स्वभाव के लिए मशहूर बिशप को हास्य विनोद से भरपूर उनके बयानों और दिल को छू लेने वाले भाषणों के लिए जाना जाता है। उनके भाषणों पर कई किताबें प्रकाशित हुई हैं और वृत्त चित्र बने हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फिलिपोस मार क्रिसोस्टम मार थोमा वालिया के निधन पर शोक जताया.राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने अपनी धर्मनिष्ठा, करुणा और सेवा भाव से लाखों लोगों के जीवन को स्पर्श किया. 

राष्ट्रपति भवन ने रामनाथ कोविंद के हवाले से ट्वीट किया। इसमें लिखा था, 'डॉ. फिलिपोस मार क्रिसोस्टम मार थोमा वालिया ने भारत में सबसे लंबे समय तक बिशप के रूप में अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने अपनी धर्मनिष्ठा, करुणा और सेवा भाव से लाखों लोगों के जीवन को स्पर्श किया. खासतौर पर जरूरतमंद और कमजोर वर्ग के लोगों को। उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं.' 
 

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