सरकारी मशीनरी से भरोसा उठा रहा है

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सरकारी मशीनरी से भरोसा उठा रहा है

आलोक कुमार 
बेतिया.के.आर. हाई स्कूल के विघार्थी रहे हैं सुशांत फेलिक्स.यहां पर सुशांत फेलिक्स सीनियर थे.एक साल का जूनियर समीर रेमी हैं.सुशांत फेलिक्स कैनरा बैंक के अधिकारी बन गये.समीर रेमी संत जेवियर स्कूल के शिक्षक हैं.इस बीच बैंक अधिकारी सुशांत फेलिक्स को महामारी कोरोना हो गया.राजकीय चिकित्सा महाविघालय अस्पताल में अंतिम सांस ली.वह महज 36 साल के थे.अपने पीछे विधवा और एक साल की लड़की को छोड़ गये. 

अपने सीनियर सुशांत फेलिक्स की मौत हो जाने से जूनियर समीर रेमी को जोरदार सदमा लगा.हालांकि दर्जनों मौत को जरूर समीर रेमी ने देखा है.इस मौत ने उसे खामोश रहने नहीं दिया.उसने सोशल मीडिया में मुखर होकर लिख डाला.जो इन दिनों व्यापक चर्चा का विषय बन गया है. 

सोशल मीडिया में समीर रेमी ने लिखा नमस्ते सर, सुशांत फेलिक्स के निधन की खबर पाकर मैं बुरी तरह से हिल गया.भावुक जो हो गया था.मैंने इस संदेश को सेंट जेवियर्स बेतिया के अपने कक्षा 10 एण्ड 12 व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज दिया. उन्हें भी यह खबर दिल को लुभाने वाली लगी. 

यह जग जाहिर है कि स्कूल में हर कोई सुशांत को उनके खेल कौशल और सौहार्दपूर्ण व्यवहार के लिए जानते थे, हालांकि वह हमारे लिए एक साल वरिष्ठ थे.मेरे कुछ गैर ईसाई मित्रों ने मेरे पोस्ट के तुरंत बाद मुझे फोन किया.उनमें से एक के.आर. बैच के संकल्प समूह का एक हिस्सा है.उन्होंने मेरे स्वास्थ्य के बारे में पूछा और फिर उन्होंने कुछ कठिन सवाल किए, जिनके लिए मेरे पास कोई जवाब नहीं था. 

उसने मुझसे मदद की गुहार लगाई कि संकट के इस क्षण में हम चर्च से प्राप्त कर रहे हैं.उन्होंने दावा किया कि उन्होंने सुशांत की तस्वीर को रिक्शे पर अस्पताल ले जाया हुआ पाया.उसने मुझसे पूछा कि चर्च मदद के लिए आगे क्यों नहीं आ रहा है कि इसे विभिन्न क्षमताओं में बढ़ाया जा सकता है. 

चर्च एक समर्पित अस्थायी COVID अस्पताल के लिए मिशन स्कूल के कुछ कक्षाओं को समर्पित क्यों नहीं कर सकता है? चर्च द्वारा कितने ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था की गई है? क्या बिशप हाउस या के.आर.स्कूल परिवार एक साथ अस्थायी एम्बुलेंस के लिए अपने वाहनों की व्यवस्था नहीं कर सकते? 

यदि चर्च एक कदम आगे बढ़ाता है, तो मुझे यकीन है कि कैथोलिक समुदाय दो कदम आगे ले जाएंगे.इस संबंध में कुछ सहायता के लिए युवाओं को जुटाया जा सकता है. कम से कम वे फोन पर चीजों को चैनटलाइज कर सकते हैं. 

आइए हम एक कोष बनाएं जो हमें स्टोर में कुछ ऑक्सीजन सिलेंडर ला सके. मास के अलावा, बिशप या पल्ली पुरोहित को मासिक सहायता के लिए संकट के इस समय के दौरान YouTube पर ईसाई समुदाय को संबोधित करने दें. सर कुछ करने की जरूरत है. हमारे अलावा सभी समुदाय बहुत सक्रिय हैं. अब हम और मौतें नहीं देख सकते. 

हम सरकार की मशीनरी पर अधिक भरोसा नहीं कर सकते हैं. कृपया इसे अपने समूह के सदस्यों को भेजें. कृपया ध्यान दें कि मैं चर्च के खिलाफ नहीं बोल रहा हूं. मुझे किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है.लेकिन कुछ सवालों के जवाब देने की जरूरत है.धन्यवाद! सादर,समीर रेमी. 


यह गंभीर मुद्दों को फोरम में रखा गया  

समाज का विकास स्थानीय लोगों की मानसिकता पर निर्भर करता है. लेकिन दुर्भाग्य से वे स्वयं के स्वार्थी कारणों से सीमित हैं और समाज का विकास बलिदान है.यह हमेशा पैसा मायने नहीं रखता है, नेतृत्व और स्थानीय निकाय मानसिकता मायने रखती है.यदि आप यीशु के नाम पर एक ईमानदार कदम उठाते हैं, तो आपको वह आशीर्वाद मिलेगा जो आप विकसित करेंगे.200 बीघे ज़मीन एक बड़े ईसाई क्वार्टर में बदल गई. चर्च अथॉरिटी में उनका योगदान नहीं था, वे न केवल एक पुजारी थे, बल्कि वे एक रचनात्मक नेता थे.उन्होंने हमें समुदाय के लिए अच्छा होना सिखाया. 

अब आपको चर्च प्राधिकरण पर निर्भर नहीं होना चाहिए 

आप अनुशासन में और ईसाई भावना पर आधारित अपनी योजना के साथ बाहर आते हैं.हमारे पास स्थानीय पुजारियों की कम संख्या है, हमारी कमजोरी है कि हमारी आवाज दब गई है.ऐसे कई कारण हैं जिनसे हम रूबरू होते हैं.लेकिन लगातार यीशु से प्रार्थना करते हैं और वह रास्ता खोजेगा यदि आप विकास के लिए संपर्क करेंगे.तो प्रार्थना प्रार्थना तोड़ सकती है. 

यह उल्लेखनीय है कि गैर सरकारी संस्था चलाते हैं मिशनरी.हमलोग लाभार्थी (Beneficiary) हैं.ईसाई समुदाय को संस्था संचालकों के द्वारा प्रोजेक्ट के अनुसार व्यवहार करते हैं.उसी के अनुरूप Beneficiary से काम लेते है.संस्था संचालकों के द्वारा Beneficiary को संस्था पर ही निर्भर रहने को सीखाया जाता है. 

बता दें कि ईसाई Beneficiary के पास कुछ भी संसाधन नहीं है.संस्था संचालक के पास ही संसाधनों को बढ़ाने वाली कुंजी है.गैर सरकारी संस्था होने के नाते देसी-विदेशी फंड पर एकाधिकार है.जमीन,स्कूल, कॉलेज,अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र आदि है. Beneficiary के पास गिड़गिड़ाने वाले स्थल चर्च और ग्रोटों हैं.जो उनके लिए धनोपार्जन का केंद्र बन गया है. 

वहीं Beneficiary केवल चर्च की मजबूती के लिए और कब्रिस्तान के बारे में ही सोचते है. जब गैर सरकारी संस्था और Beneficiary का संबंध विकसित है.तब Beneficiary तो गैर सरकारी संस्था के कर्ताधर्ता से ही मांग करेंगे.  

बताया गया कि यह एक लीडरशिप क्राइसिस है ,जो प्रभु इस बात को भलीभांति जानता है ,हम में से लोग ही जो अपने मकसद के लिए समाज को तोड़ा है. कोई भी समुदाय धर्मप्रांत में प्रवेश कर नहीं तोड़ सकता है.जब तक स्थानीय लोग उनका साथ न दे. पर आज की स्थिति में socio economy एंड soci-poltical स्थिति ठीक नहीं है जिसका स्थनीय लोगो पर पड़ेगा.पर हमेशा से मैं कहते आया हूँ की प्रभु के हाथों में दे दो और विश्वास करो सब ठीक कर देगा.उसके साथ अपनी आवाज समाज में रखो ताकि  वे समाज समझ सके की अब लोग अवेयर हो चुके हैं. पर माता marium से दुआ करो.मास में अपनी प्रेयर petition रखो और प्रभु से सही माने में बिनती करो . 

मुझ पर बहुत भारी  दबाव रहता है पर हम पिता से यही दुआ करते हैं की हमारे मिट्टी को आशिषमय बना दे . 
यहां पर बिशप से बोला जा सकता है कि आप ग्राउंड लेवल पर नहीं जा सकते हैं तो आप एडवोकेसी कर सकते हैं.ईश्वर का प्रतिनिधि और ईसाई समुदाय का  नेतृत्व करने वाले है. कई दर्जन वाहन मिशनरियों के पास रहने के बावजूद बैंक अधिकारी सुशांत फेलिक्स को भारी भरकम सिलिंडर को लेकर रिक्शा पर घुमना पड़ा. 

इस समय प्रभु -प्रभु चिल्लाया जा रहा है. क्यों प्रभु का नाम व्यथ लिया जा रहा है? क्यों प्रभु की शक्ति को चुनौती दे रहे हैं? यह बीमारी महाबीमारी है.प्रार्थना अधिकारियों से करें जो आफत में सहयोगी बन सके.पल्ली पुरोहित,पल्ली परिषद,महिला संघ,यूथ पादरियों द्वारा पोषित संस्था कहां है?      

अालोक यह एक बहुत ही दुखदायी समय है जो सबको चपेट में ले रहा है .मैं आज बात करूंगा कुछ फादर लोगों से .और आपका भी मुझे सहायता चाहिए.

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