रवि भोई
जोगी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने एक खुला पत्र लिखकर राज्य के व्यापारियों से सहयोग मांगा है.उन्होंने छत्तीसगढ़ में जोगी कांग्रेस का ही भविष्य बताते हुए व्यापारियों को छत्तीसगढ़ का अडानी -अंबानी बनने का ऑफर भी दिया है.कोरोना के कारण उद्योग-धंधे बंद हैं और कांग्रेस की सरकार का अभी ढाई साल से अधिक समय बचा है, ऐसे में सवाल उठता है कि कौन उद्योगपति जोगी कांग्रेस के लिए अपना खजाना खोलेगा ? जोगी कांग्रेस के पास अभी चार विधायक हैं, जिनमें देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा का सुर अलग चलता है तो धरमजीत सिंह भी टीएमसी के पक्ष में प्रचार करने के अमित जोगी की बात से सहमत नहीं हुए थे . रेणु जोगी तो अमित के साथ रहेंगी ही . 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कई लोग जोगी कांग्रेस छोड़कर चले भी गए. अभी पार्टी के साथ कोई बड़ा चेहरा या कोई पुराना ब्यूरोक्रेट दिखाई नहीं पड़ रहा है. ऐसे में अमित का दांव कितना सटीक बैठता है, यह समय ही बताएगा ?
राजनीति में उलझी कांग्रेस - भाजपा
कोरोनाकाल में भी भाजपा और कांग्रेस राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं. कोरोना संकट से निपटने के लिए सुझाव देने हेतु भाजपा नेता मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से व्यक्तिगत तौर से मिलना चाहते थे. मुख्यमंत्री ने व्यक्तिगत चर्चा की जगह कुछ दिन बाद वर्चुअल चर्चा के लिए समय दिया ,तब भाजपा नेताओं ने इंकार कर दिया. इसके पहले दोनों दल एक-दूसरे के सांसदों की तलाश में लगे रहे , वहीँ भाजपा ने वर्चुअल धरना दिया तो कांग्रेस के लोगों ने अगले दिन फूल भेंट की राजनीति की. नेताओं को समझाना होगा, इस सब से कुछ फायदा नहीं होने वाला.लोग कोरोना में अपनों को खो रहे हैं , उन्हें संत्वना देने और उनके दुख दर्द बाँटने की जरुरत है. बैड और दवा के लिए परेशान लोगों को सहायता मुहैया कराएं.कोरोना में माता-पिता खोने वाले बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाने और छात्रवृति देने के भूपेश सरकार के फैसले को जरूर मानवीयता वाला कहा जा रहा है.
कांग्रेस विधायक को खनिज पट्टा चर्चा में
कांग्रेस की एक विधायक को लाइम स्टोन के खनन का पट्टा आबंटन चर्चा में है. कहते हैं लाइम स्टोन के खनन का पट्टा पहले विधायक के रिश्तेदार के नाम पर था. रिश्तेदार के न रहने से खनन करीब दो साल बंद रहा. कहते हैं खनन बंद होने पर पट्टा ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. कहा जा रहा है कि विधायक को खुश करने के लिए खनिज विभाग के कुछ अफसरों ने नियम-कानून को दरकिनार कर दिया और कांग्रेस विधायक की मर्जी के मुताबिक पट्टा ट्रांसफर कर दिया.अपनी सरकार है तो फायदा लेने में बुराई क्या ? और फिर कहावत भी है- जिसकी लाठी, उसकी भैंस.
बिजली बोर्ड का खेल
कहा जा रहा है छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल ने अप्रैल 2020 के बिल को आधार बनाकर सभी को अप्रैल 2021 में एवरेज बिल भेज दिया. इसमें 400 यूनिट तक खपत की छूट भी नहीं दी गई है.इसके चलते मार्च के मुकाबले लोगों को अप्रैल महीने का भारीभरकम बिल मिल गया . विद्युत मंडल का कहना था मई में रीडिंग वाला बिल मिलेगा और उपभोक्ताओं को छूट भी दी जाएगी.पर इस बीच मंडल ने अप्रैल 2021 में उपभोक्ताओं से वसूली गई राशि को उनके खाते में एडवांस के तौर जमा कर दिया. पर एक बात साफ़ है कि पैसा लोगों की जेब से निकलकर मंडल के खाते में चला गया. याने एक तो कोरोना की मार, उस पर बिजली बोर्ड का प्रहार. सरकार ने 31 मई तक लाक डाउन कर दिया है ऐसे में मई महीने भी मीटर रीडिंग की संभावना तो दिख नहीं रही है।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं.)
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