फिर भी विकास मित्र नाखुश हैं

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फिर भी विकास मित्र नाखुश हैं

आलोक कुमार 
पटना.समाज के किनारे रह जाने वाले समुदाय के लोगों को सीएम नीतीश कुमार ने विकास मित्र बनाया. आज रहे या कल न रहे की चिंता को दूर कर सीएम ने विकास मित्र को 60 साल की उम्र तक काम करने का तोहफा दे रखा है. 

फिर भी विकास मित्र नाखुश हैं.इनको फ्रंटलाइन वॉरियर्य नहीं माना जा रहा हैं,जबकि कोरोना काल में अन्य वॉरियर्स के साथ कंधे से कंधे मिलाकर फिल्ड में कार्यरत हैं.कोरोना वैश्विक महामारी में फ्रंटलाइन वर्कर की तरह काम करने वाले विकास मित्र को जब टीका लेने की बारी आई तो टीका कर्मियों ने फ्रंटलाइन वर्कर मानने से इंकार कर दिया.इससे नाराज होकर एक विकास मित्र ने त्यागपत्र दे दिया. 

जिला परिवहन कार्यालय में प्रतिनियुक्त विकास मित्र नागमणि कुमार रामनगर का रहने वाला है.नगर पंचायत ,रामनगर में बतौर विकास मित्र काम करने के बाद पिछले ढाई वर्षों से जिला पथ परिवहन कार्यालय में प्रतिनियुक्त पर कार्य कर रहा है.उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष जब लॉकडाउन लगा प्रवासी मजदूर बसों और ट्रेनों से आने लगे तो उसकी ड्यूटी बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन बतौर फ्रंटलाइन  वर्कर लगी थी.वर्ष 2020 में फ्रंटलाइन वर्कर और 2021 में फ्रंटलाइन  वर्कर नहीं रहे. 

सरकार की योजनाओं को दलित के बीच पहुंचाने के लिए विकास मित्र के बहाली दलित समाज से किया गया है.50 महादलित परिवार पर एक विकास मित्र का चयन अनुमंडल पदाधिकारी के अध्यक्षता मे किया गया है.विकास मित्र का चयन 2010 मे किया गया था.चयन के समय इनका मानदेय 3000(तीन हजार) रूपये था.इस कोरोना काल मे विकास मित्र को 50 लाख का बीमा होना बहुत जरूरी है. 

दलितों और महादलितों को विकास का लाभ देने के लिए प्रत्येक पंचायत और वार्ड में पदस्थापित हैं विकास मित्रों. सबसे पहले 4 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता था.राज्य सरकार ने दलितों में अत्यंत पिछड़े महादलितों के वास क्षेत्रों के विकास के लिए मुख्यमंत्री शताब्दी महादलित टोला विकास योजना के तहत पेयजल, शौचालय, नाली, सड़क आदि सुविधा पहुंचाने के लिए शुरू की थी. नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति विभाग से कहा कि सभी विकास मित्रों को एसएसटी अत्याचार निवारण कानून का सारांश उपलब्ध कराये. 

बिहार में दलितों की विकास योजनाओं का लाभ पहुंचाने के दूत के रूप में लोकप्रिय विकास मित्रों को अब प्रतिमाह 5000 रुपये का मानदेय सरकार की ओर से दिया जाएगा. मुख्यमंत्री कहते हैं कि हमने दलितों को बांटा नहीं, बल्कि उन्हें मजबूत बनाना चाहते हैं.विकास मित्रों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है.उन्हें बीच में नहीं हटाया जाएगा.उनके मानदेय को 6000 से बढ़ाकर 7000 रूपये प्रति माह किया जाएगा. इसमें समय-समय पर वृद्धि होती रहेगी.इस समय विकास मित्र काे 12,056 रू.मिलता है.बिहार मे लगभग 9500 विकास मित्र कार्यरत हैं.अप्रैल 2021से विकास मित्र का मानदेय नहीं मिला है.इसके कारण आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गया है. 

विकास मित्र विजय कुमार कहते है कि आज के महंगाई के समय मे इतना कम(12,056) रुपये मे जीवनयापन मुश्किल से होता है.बच्चों को पढ़ाई लिखाई सही ढंग से नहीं हो पाता है.अगर विकास मित्र बीमारी से ग्रसित हो जाते है तो पैसे के अभाव मे सही से इलाज नहीं करा पाते हैं.समय से मानदेय भी नहीं मिलने से और आर्थिक संकट उत्पन्न हो जाता है। 

बताया जाता है कि जबकि महादलित विकास मिशन द्वारा अप्रैल और मई 2021 का आवंटन जिला कल्याण कार्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है. 
फिर भी मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है.विकास मित्र को ससमय मानदेय नहीं मिलने से आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।भूखमरी के कगार पर है सर। 
एक तो मानदेय कम मिलता है.जो भी मिलता है समय पर नहीं मिलता है. 

बिहार महादलित विकास मिशन के द्वारा सरकार द्वारा जो कार्य मिलता है, उनका निर्वहन विकास मित्र के द्वारा किया जाता है.सरकार की योजना को महादलित परिवारों के बीच पहुंचाने मे विकास मित्र का योगदान बहुत बड़ा होता है.प्रखंड कार्यालय मे भी बिना विकास मित्र के बगैर काम नहीं होता है.इस कोरोना काल मे बिना सुरक्षा के विकास मित्र अपनी जिंदगी के परवाह किए बिना कार्य को कर रहे हैं.इसलिए विकास मित्र को भी 50लाख का बीमा होना जरूरी है. 

राशनकार्ड , पेंशन, आवास योजना, शौचालय योजना,जनगणना सरकार की सात निश्चय योजना से संबंधित विकास मित्र कार्य को करते हैं.बहुत से विकास मित्र विधानसभा चुनाव मे भी कार्य किए.हम ही खुद विधानसभा चुनाव मे कार्य किए.इसके अलावा प्रखंड कार्यालय के द्वारा जो भी कार्य मिलता है उसे विकास मित्र के द्वारा किया जाता है.मिशन के द्वारा जो भी कार्य मिलता है.

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