जनादेश ब्यूरो
मुम्बई.84 साल के फादर स्टैन स्वामी नवी मुंबई की जेल में बंद हैं.आठ माह से तलोजा जेल में है.यहां पर तरोताजा नहीं है. गिरफ्तारी के पूर्व 08 अक्टूबर 2020 तक चल सकता था.यहां पर आने के बाद चलना-फिरना दुस्वार हो गया है.आदमी था काम का बेकार हो गया.
वीडियो कांफ्रेंस के जरिए उनकी पेशी हुई. उन्होंने कोर्ट से अपील की कि उन्हें उन्हें अंतरिम जमानत दे दीजिए, वरना वह जेल में मर जाएंगे.
एल्गार परिषद-माओवादी मामले में आरोपी पादरी स्टैन स्वामी ने शुक्रवार 21 मई को बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा कि नवी मुंबई के तलोजा जेल में गत आठ महीने से कैद रहने के दौरान उनकी सेहत में लगातार गिरावट आ रही है. स्वामी ने अंतरिम जमानत देने का आग्रह करते हुए कहा कि कहा , 'मैं मर जाऊंगा, मुझे अंतरिम जमानत दिये जाए. '
न्यायमूर्ति एसजे कथावाला और न्यायमूर्ति एसपी तावडे की पीठ के समक्ष 84 वर्षीय स्वामी तलोजा जेल से ही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पेश हुए. वह इस जेल में विचाराधीन कैदी के तौर पर रह रहे हैं.जेल प्राधिकारियों ने भी स्वामी की चिकित्सा रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश की.अदालत के आदेश के अनुरूप स्वामी का चिकित्सकीय परीक्षण पिछले सप्ताह मुंबई के जेजे अस्पताल में कराया गया था.
पीठ ने चिकित्सा रिपोर्ट पढ़ी जिसके मुताबिक स्वामी को दोनों कानों से सुनने में परेशानी है, उनके शरीर के ऊपरी हिस्से कमजोर हैं और चलने के लिए छड़ी की मदद की जरूरत है. हालांकि, उनकी कुल मिलाकर स्थिति जैसे उनकी नब्ज आदि स्थिर है.स्वामी ने अदालत को बताया कि जेल में रहने के दौरान उन्होंने बहुत कष्ट सहा.
उन्होंने कहा, 'आठ महीने पहले यहां लाया गया था.जब मुझे तलोजा जेल लाया गया तो मेरी पूरी प्रणाली, मेरा शरीर काफी सक्रिय था लेकिन इन आठ महीनों में मेरे शरीर के काम करने के स्तर में तेजी से गिरावट आई है.'
स्वामी ने कहा, ‘‘मुख्य मुद्दा यह है कि आठ महीने पहले मैं खुद स्नान कर लेता था, मैं टहल लेता था, मैं खुद कुछ लिख लेता था लेकिन अब यह सब खत्म हो गया है.अत: तलोजा जेल ने मुझे ऐसी स्थिति में ला दिया है जहां पर न तो मैं खुद लिख सकता हूं न ही स्वयं टहल सकता हूं. मैं खुद खा भी नहीं सकता, किसी अन्य को मुझे चम्मच से खिलाना पड़ता है.’’
इस पर पीठ ने स्वामी से पूछा कि क्या वह सरकारी जेजे अस्पताल में भर्ती होने को इच्छुक हैं? इस पर स्वामी ने कहा कि वह दो बार उस अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं.मैं व्यवस्था के बारे में जानता हूं.मैं वहां नहीं जाना चाहता.'
स्वामी ने इसकी बजाय अंतरिम जमानत देने का आग्रह करते हुए कहा कि कहा , 'मैं परेशान ही होऊंगा और संभवत: मर जाऊंगा. इसकी बजाय मैं रांची में अपने दोस्तों के साथ रहना चाहूंगा.'
पीठ ने कहा कि अदालत इस समय केवल अस्पताल में भर्ती होने की बिंदु पर चर्चा कर रही है न कि अंतरिम जमानत पर.स्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने पीठ से अनुरोध किया कि इस मामले की सुनवाई एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दी जाए और उन्हें स्वामी से बात करने की अनुमति दी जाए ताकि वह उन्हें अस्पताल में भर्ती होने के लिये राजी कर सकें. अगली सुनवाई सात जून को है.
इस पर अदालत ने उन्हें दुबारा आने की छूट प्रदान कर दी, क्योंकि हो सकता है कि स्वामी अस्पताल में भर्ती होने के बारे में अपने विचार में बदलाव कर लें.
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