अंबरीश कुमार
गांव में आड़ू तैयार है पर बाजार तो बंद है .यहां की ज्यादातर प्रजाति के आड़ू खाड़ी देशों को निर्यात किये जाते हैं खासकर जो सेब के आकार के होते हैं .इन्हें रेड जोन कहा जाता है .अपने बगीचे में अब बस एक पेड़ बचा है बाकी लेट वेरायटी वाले हैं .बीते दो तीन साल में आड़ू के चार पेड़ सूख गए .कीवी पर ज्यादा जोर देने की वजह से आडू ,खुबानी और सेब के नए पौधे नहीं लगवा पाया .अब इस वर्ष उम्मीद है कुछ पौधे लगवा दिया जायेगा .
आड़ू का यह मौसम है .लाक डाउन के चलते फलों की पैकिंग और ढुलाई जैसी गतिविधियाँ बंद है .मल्ला का बाजार भी तो बंद है .दो साल पहले तक देर रात तक फलों से लदे छोटे ट्रक चलते थे .भट्ट जी का ढाबा भी खुला रहता था .चाय समोसा ,चंपावत के छोटे साइज के मसालेदार सूखे आलू और तरह तरह के पराठे भी देर रात तक मिल जाते थे .पर अब तो दोपहर में ही बाजार में सन्नाटा छा जाता है .
यही आड़ू मुंबई में ढाई सौ रूपये किलो मिलता है जो भवाली में पचास से साठ रूपये मिल जायेगा .बड़े आकार का .छोटे साइज के आडू लखनऊ ,बनारस ,भोपाल जैसे शहरों में जाता है .आड़ू में पाया जाने वाला पोटैशियम, आपके किडनी के लिए बहुत फायदेमंद है. यह आपके यूरिनरी ब्लैडर के लिए एक क्लेजिंग एजेंट की तरह काम करता है जिससे यह हमें किडनी से जुड़ी बीमारियों से दूर रखता है.
आंखों को स्वस्थ्य और उनकी विजन पॉवर बढ़ाने के लिए इस फल का सेवन करना फायदेमंद रहता है. आड़ू में बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो शरीर में विटामिन ए के बनने के लिए जरूरी है. विटामिन ए रेटिना को स्वस्थ रखने में बहुत मदद करता है.
आड़ू में पाये जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट आपको कैंसर से तो बचाते ही हैं वहीं कुछ अध्ययनों में यह बात पता चली है कि ये कीमोथेरेपी के साइड इफ़ेक्ट से बचने की क्षमता को भी बढ़ाते हैं.
पर यह जान लें यह आड़ू भी चीन से आया है हालांकि कुछ वैज्ञानिक इसे ईरान का मानते हैं .पर देश में काफी समय से है और संस्कृत में इसे आरूकम् और पिचुकम् कहते हैं .
#noontelhaldi #janadeshcharcha
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments