आलोक कुमार
गया.सरकारी अस्पताल की दुर्दशा को उजागर करने वाले दैनिक भास्कर के पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर नीतीश कुमार ने बिहार में भी तानाशाही का एलान कर दिया है.इस महामारी में सरकार के फर्जी सुशासन की ढोल की पोल खुल चुकी है. अब वह निष्पक्ष पत्रकारों पर केस दर्ज करवा उन्हें डराने-धमकाने पर उतर आयी है.
अब अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के इलाज में लापरवाही बरते जाने और पत्रकार पर मुकदमा के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ना शुरु कर दिया है. मंगलवार को दैनिक भास्कर के गया संस्करण में अस्पताल की लापरवाही संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद न सिर्फ विपक्षी बल्कि सत्ताधारी दल के नेताओं ने भी अधीक्षक के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है.
इसके पहले नीतीश कुमार के खामियों को उजागर करने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव पर अधीक्षक के कहने पर एफआईआर किया जा चुका है.इस बार लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ पत्रकारिता के पत्रकारों को धमकाकर सरकार की विफलताओं को उजागर करने नहीं दिया जा रहा है. यह नीतीश की नीति को नौकरशाहों के माध्यम से पालन करवाया जा रहा है.
बताया गया है कि 23.05.2011 को रात्रि में करीब 01:40 बजे सुबह दैनिक भास्कर समाचार पत्र के पत्रकार रंजन सिंहा एवं उनके सहयोगियों के द्वारा कोविड मरीजों के वार्ड में बिना अनुमति और कोविड प्रोटोकॉल के पालन के बिना जबर्दस्ती प्रवेश कर कोविड रोगियों के इलाज में बाधा पहुंचाने लगे.इस तरह का पत्रकार पर मामला थाना प्रभारी,मगध मेडिकल थाना के पास जाकर 25.05.2021 को एफआईआर दर्ज कराया गया है.इसका आईओ प्रीति कुमारी है.
कई नेताओं द्वारा इस संबंध में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र भेज कर कार्रवाई की मांग की गई है.मामले को लेकर जदयू के युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष कुमार गौरव उर्फ गौरव सिन्हा ने कहा कि किसी भी संस्था प्रधान के द्वारा किसी को धमकी देना एवं मुकदमा दर्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है.यह दर्शाता है कि वे अपने कार्यों का निष्पादन सही ढंग से नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में सीएम नीतीश कुमार की दूरदर्शिता और कोरोना योद्धाओं की एकजुटता के कारण बिहार कोरोना के भयावह दूसरी लहर को भी पार करने में सफल हो रहा है. गौरव ने कहा कि सरकार ने पत्रकारों को भी फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिया है और उनकी सुविधा और सुरक्षा के लिए भी काम कर रही है क्योंकि ये समाज के वो सदस्य है जो अपनी जान की जोखिम उठा कर आम अवाम को सच्चाई से रुबरु करवाती है और ऐसे में किसी अधिकारी के द्वारा धमकी देना और मुकदमा दर्ज करवाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय है.
इससे पहले बिहार के सीतामढ़ी जिले में दैनिक भास्कर अखबार के स्थानीय पत्रकार गुलशन कुमार मिट्ठू पर एफआईआर दर्ज की गई थी. पत्रकार पर आरोप था कि क्वारंटीन सेंटर की अव्यवस्था पर अखबार में रिपोर्ट लिखने के कारण उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई .
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