यह अरकू घाटी है

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यह अरकू घाटी है

अंबरीश कुमार 

छोटा सा पर साफ सुथरा स्टेशन है अरकू.हम उतरे तो पहले काफी पी गई .वेटिंग रूम में ही काफी मिल गई .लंबी आराम कुर्सीपर कुछ देर पसरे . कुछ उर्जा मिली तो बाहर निकले .यहां का मौसम मौसम भी छत्तीसगढ़ के मुकाबले काफी खुशगवार हो चुका था .चारो ओर हरी भरी पहाड़िया और छोटा सा रास्ता जिसपर कुछ आटों खड़े नज़र आए .बगल में एक बुजुर्ग पेड़ के नीचे एक आदिवासी युवती ठेले पर इडली बनाकर बेचती नज़र आई . जिस पुन्नामी रिसार्ट में रुकना था वहा कार से पहुंचने में करीब बीस मिनट लगा .लम्बा सा लान पर क़र रिसेप्शन पर पहुंचे तो पता चला कि पहली मंजिल पर कमरा दिया गया है और रात के खाने का आर्डर पहले देना होगा .कमरा बड़ा था और बिना एसी वाला था पर कम्बल रखा था .बैरे ने बताया कि रात में जरुरत पड़ सकती है क्योंकि बारिश के बाद ठंड हो जाती है . 

छोटे से इस खुबसूरत शहर में अलग अलग प्रजाती के फूल पौधे भी नज़र आ रहे थे यह शायद मौसम का असर था.शाम हो चुकी थी और शहर का जायजा लेने सड़क पर निकले .करीब घंटे भर में ही परिक्रमा पूरी हो गई .सरसरी नजर में यह छोटा सा पहाड़ी सैरगाह दिलचस्प लगा .कुछ मालगुड़ी डेज वाले गांव जैसा .दूर तक जाती हरियाली .पहाड़ी सैरगाहों पर काफी रुका हूं पर यह कुछ अलग सा था .था भी तो दक्षिण का पहाड़ी सैरगाह .पर कोडाइकनाल ,ऊटी,कन्नूर या मुन्नार स कुछ अलग .इधर नदी थी ,पहाड़ी नाला था तो दूर तक जाता जंगल भी .कश्मीर में खिलनमर्ग से नीचे उतरिए तो कुछ ऐसा ही दृश्य दिखा था .पर उधर देवदार के जंगल थे तो सामने बर्फ स घिरा पहाड़ .उसके नीचे से उतरती नीले पानी वाली नदी .पर इधर न देवदार था और ही बर्फ से घिरे पहाड़ .पर नदी नाले इधर भी अदभुत थे .पानी साफ़ था .

  हालांकि अरकू घुमने वाली जगहों पर अगले दिन सुबह जाने का कार्यक्रम बना .जिसमे आदिवासी संस्कृति की झलक दिखने वाला म्यूजियम ,रोज गार्डन,बोर्रा गुफाए आदि शामिल थी . यहाँ के पदमपुरम गार्डन का मुख्य आकर्षण है इसके ट्री हाउस में साल के पुराने पेड़ों पर बने काटेज काफी लोकप्रिय है जो रोज गार्डन के पास ही है .पहले अपना भी इंतजाम उन्ही काटेज में था . काटेज देखने पेड़ पर सीढी से चढ़े भी पर रुके इसलिए नही कि सर्विस में यहाँ काफी देर होती क्योंकि किचन कुछ दूर था .खैर जिस रिसार्ट में ठहरे थे रात में कमरे पर लौटे तो देखा बगल के कमरे में काफी भीड़ है .बैरे से वजह पूछी तो उसका जवाब था - फिल्म हिरोइन संभावना और भूमिका बगल के कमरें में शूटिंग के सिलसिले में रुकी हुई है .तेलुगु फिल्म की बाकी यूनिट दूसरे होटल में रुकी है . बता चला कि आंध्र प्रदेश में बनाने वाली फिल्मों में हिल स्टेशन के लोकेशन की भरपाई अरकू घाटी ही पूरी करती है .विशाखापत्तनम से अरकू की दूरी करीब सवा सौ किलोमीटर है और वहां से पर्यटकों के लिए दिन भर का भी पैकेज है .पर अरकू कभी आए तो कम से कम तीन रात रुकने का कार्यक्रम बनाकर आना चाहिए तभी इस सैरगाह का भरपूर आनंद ले सकेंगे .यहाँ का आदिवासी म्यूजियम देखने वाला है जो एक बड़े परिसर में बना है .बच्चों के लिए रोज गार्डन और रेल की सवारी मजेदार है .आसपास कई जगहे है जहाँ पिकनिक के लिए भी जा सकते है .जंगल में बना रिसार्ट आपको प्रकृति के काफी करीब ले जाता है .जहां जाकर लगता है समय ठहर गया है .बरसात में यहां के हरेभरे जंगलों के बीच नदी झरनों का सौन्दर्य और निखर जाता है .इस हरियाली से मन नहीं भरता .घाटी में अनन्तगिरी हिल्स के बीच रहस्मय गुफाएं हैं जिन्हें बोरा गुफाएं भी कहते हैं .ये बहुत ही पुरानी और पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से बनी गुफाएं हैं .यहां से  मध्य पाषाण युग के पत्थर के औजार बरामद हुए हैं . ये 30000 से 50000 साल पुराने समय के हैं जिनसे यहाँ उस समय मानव के मौजूद होने का पता चलता है . ये गुफ़ाएँ घुप्प अंधेरी हैं जहाँ कुछ ही जगह पर रोशनी के लिए कुछ सुराख हैं .अरकू घाटी मेंस टायडा नाम का छोटा सा गांव है. ईस्ट कोस्ट रेलवे से यहां की यात्रा आप भूल नहीं सकते हैं . इस यात्रा में अनंतगिरी के घने जंगलों को पार कराती हैं 58 सुरंगों और काफी उंचाई पर बने 84 पुल .यह यात्रा पूरे रास्ते आपको बांधे रखती है .बरसात के बावजूद हमने ट्रेन में खिड़की बंद नहीं की और बाहर देखते ही रहे थे .अरकू में आकर इन दृश्यों में हम खो ही गए थे .आना चाहिए इस जगह पर .

हाड़ से समुंद्र की यात्रा करने का मन हो तो कुछ ही घंटों में विशाखापत्तनम के समुंद्र तट पर पहुंच सकते है जहाँ घंटों लहरों उठते और गिरते देखे तो भी मन नही भरता .विशाखापत्तनम में दिन में भले गर्मी हो पर शाम को समुंद्र तट पर मौसम सुहावना होता है .अगर समुंद्र तट पर लगे बाजार को देखना हो तो वाईएमसीए के सामने के समुंद्र तट पर जाए या फिर आंध्र प्रदेश पर्यटन विभाग के पहाड़ी पर बने रिसार्ट पर जाए. इस रिसार्ट के नीचे लहराते समुंद्र तट पर भीड़ नहीं होती और बहुत साफ सुथरा बीच है यह .इस रिसार्ट के समुंदरी व्यंजन और आफशोर बार विशाखापत्तनम में काफी लोकप्रिय है .पिछली बार आंध्र में एक खबर के सिलसिले में राजमुंदरी गया तो सिर्फ इस रिसार्ट में रुकने की वजह से हैदराबाद से दिल्ली की फलाईट का टिकट कैंसिल करा क़र विशाखापत्तनम से दिल्ली लौटने का कार्यक्रम बनाया था .राजमुंदरी से विशाखापत्तनम के इस रिसार्ट पर पहुंचा तो रात हो चुकी थी पर नहाने के बाद समुंद्र के किनारे पहुंचे और बारिश में काफी देर तक वहां रहे .अंधेरे में भी तट से टकराती समुंद्र लहरों की सफेदी बिजली कड़कने पर चमकती नज़र आती .साथ आए मित्र को भूख लग रही थी और वे पम्फलेट मछली के साथ किंग प्रान का स्वाद लेना चाहते थे लिहाजा हम आफशोर बार के ओपन रेस्तरां में बैठ क़र समुंद्र की नाराज लहरों को देखने लगे.फोटो -साभार 

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