भाकपा-माले के निशाने पर स्वास्थ्य मंत्री

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भाकपा-माले के निशाने पर स्वास्थ्य मंत्री

पटना.भाकपा-माले के निशाने पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे आ गये है.उन पर आरोप है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद करने पर उतारू हैं. माले ने एक बार फिर से मांग करते हैं कि मंगल पांडेय को स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाकर कोविड घोटाले के राजनीतिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए. 
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि कोविड महामारी के दौर के मारे गए तमाम लोगों की सूची बनाकर बिहार सरकार सभी आश्रितों को तत्काल 10 लाख की अनुग्रह राशि देने की गारंटी करे. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक महामारी से एक-एक गांव में 45-45 लोगों तक की मौत की खबरें आ रही हैं. बहरहाल, हमारी पार्टी पूरे राज्य में मृतकों की जांच कर रही है और जल्द ही इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी.  
उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी द्वारा अबतक की प्रारंभिक स्तर की जांच में जो आंकड़े उभरकर सामने आए हैं, वे भयावह हैं.भोजपुर के कुलहड़िया (कोइलवर) में 46, एकवारी (सहार) में 14, धनगावां (तरारी) में 20, डुमरिया (तरारी) में 14, बागर (तरारी) में 21, बंधवां (तरारी) में 14 लोगों की मौत की खबर हमें प्राप्त हुई है. यदि और गहराई से जांच हो तो यह आंकड़ा और बढ़ेगा. लेकिन सरकारी आंकड़ों में उक्त आंकड़ा शायद ही कहीं दर्ज हो रहा है. इसका मतलब यह है कि सरकार मौतों का आंकड़ा छुपा रही है. जब भरा-पूरा परिवार उजड़ जा रहा है, गांव के गांव बच्चे अनाथ हो रहे हैं, वैसी स्थिति में आंकड़ों को छुपाकर सरकार आखिर क्या दिखाना चाहती है? यदि सरकार में थोड़ी भी संवेदना बची है तो उसे ईमानदारी से एक-एक गांव की जांच करानी चाहिए और मृतकों की सूची बनानी चाहिए. 

आगे कहा कि अनेक मौतें ऐसी हैं जिनमें कोविड के तमाम लक्षण पाए गए, लेकिन न तो एंटीजन टेस्ट और न ही आरटीपीसीआर जांच पॉजिटिव आया है. सर्दी-खांसी की शिकायत वाले बड़ी संख्या में ऐसे मृतक भी हैं जो अस्पताल गए ही नहीं. गांव के ही डाक्टर से इलाज कराते रहे और काल कवलित हो गए.  

अस्पतालों में आम बीमारियों का इलाज बंद होने और आवागमन की कठिनाइयों के कारण भी अनेक लोग समुचित इलाज के अभाव में मारे गए हैं. सरकार को चाहिए कि पूरे राज्य में, खासकर ग्रामीण इलाके में हुई मौत का पता लगाने की समुचित व्यवस्था करे. 

आगे कहा कि जनदबाव में सरकार ने अनाथ बच्चों को 1500 रु. प्रति माह सहायता राशि देने की घोषणा की है, लेकिन यह अपर्याप्त है. हमारी मांग है कि अनाथ हुए बच्चों के भरण-पोषण की पूरी जिम्मेवारी सरकार ले, क्योंकि सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण ही इतने सारे लोग मारे गए हैं.  

माले राज्य सचिव ने पिछली बार की ही तरह इस बार भी कोविड टेस्ट में हो रहे घोटाले पर गहरी चिंता व्यक्त की है. कहा कि भाजपा-जदयू के ‘आपदा में अवसर’ की नीति का मतलब अब बखूबी समझ में आ रहा है.  

जब आम लोग बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जूझ रहे हैं, वैसी स्थिति में भी कोविड की जांच में घपला कर पैसा बनाना अव्वल दर्जे का अमानवीय कार्य है. इस तरह का घपला बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं हो सकता है. विगत कई वर्षों से स्वास्थ्य विभाग भाजपा के ही कब्जे में है. इसका मतलब है कि इस घपले के लिए नकारा स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की जिम्मेवारी सबसे पहले बनती है. पूरा विभाग बर्बादी व चरम भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है.  

बिहार की जनता नकारे मंत्री को तत्काल पद से हटाने की लगातार मांग कर रही है, लेकिन कुर्सी के लालच में नीतीश कुमार बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह बर्बाद करने में लगे हुए हैं. हम एक बार फिर से मांग करते हैं कि मंगल पांडेय को स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाकर कोविड घोटाले के राजनीतिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए.

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