सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन पॉलिसी को अतार्किक बताया

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सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीनेशन पॉलिसी को अतार्किक बताया

केंद्र से मांगे  जवाब 
1. वैक्सीनेशन का फंड कैसे खर्च किया 
वैक्सीनेशन सबसे जरूरी चीज है. केंद्र सरकार के सामने ये अकेली सबसे बड़ा काम है. केंद्र ने इस साल वैक्सीनेशन के लिए 35 हजार करोड़ का बजट रखा है. केंद्र यह स्पष्ट करे कि अब तक ये फंड किस तरह से खर्च किया गया है. यह भी बताए कि 18-44 आयुवालों के मुफ्त टीकाकरण के लिए इसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया. 

2. कितनों को वैक्सीन लगी, पूरा डेटा बताइए 
पहले, दूसरे और तीसरे चरण में कितने लोग वैक्सीन लगवाने के लिए एलिजबल थे और इनमें से अब तक कितने प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. इनमें सिंगल डोज और डबल डोज दोनों शामिल कीजिए. इनमें ग्रामीण इलाकों और शहरी इलाकों में कितनी आबादी को वैक्सीन लगी, इसका आंकड़ा भी दीजिए. 

3. वैक्सीन का हिसाब-किताब दीजिए 
कोवीशील्ड, कोवैक्सीन और स्पूतनिक-V की अब तक कितनी वैक्सीन खरीदी गई है. वैक्सीन के ऑर्डर की डेट बताइए, कितनी मात्रा में वैक्सीन का ऑर्डर किया है और कब तक इसकी सप्लाई होगी, ये भी बताइए. 

4. बची हुई आबादी का वैक्सीनेशन कैसे 
केंद्र ने कहा है कि इस साल के अंत तक देश की सारी वैक्सीनेशन योग्य आबादी को टीका लग जाएगा. हमें बताइए सरकार कब और किस तरह पहले, दूसरे और तीसरे चरण में बची हुई जनता को वैक्सीनेट करना चाहती है. 

5. राज्य मुफ्त टीकाकरण पर स्टैंड साफ करें 
केंद्र ने कहा था कि राज्य सरकारें अपनी आबादी को मुफ्त टीका लगवा सकती हैं. ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि राज्य सरकारें इस संबंध में कोर्ट के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करें कि वो ऐसा करने जा रही हैं या नहीं. अगर राज्य अपनी जनता के फ्री वैक्सीनेशन के लिए राजी होते हैं तो ये मूल्यों का मामला बन जाता है. ऐसे में राज्यों के जवाब में उनकी इस पॉलिसी को बताया जाना चाहिए ताकि उनके राज्य की जनता को ये भरोसा हो सके कि वैक्सीनेशन सेंटर पर उन्हें फ्री वैक्सीनेशन का अधिकार मिलेगा. राज्य हमें दो हफ्ते में इस बारे में अपनी स्थिति बताएं और अपनी-अपनी पॉलिसी रखें. 

6. पॉलिसी से जुड़े दस्तावेज हमें दें 
कोविड वैक्सीनेशन पॉलिसी पर केंद्र की सोच को दर्शाने वाले सभी जरूरी दस्तावेज कोर्ट के सामने रखे जाएं. 
18-44 के वैक्सीनेशन पर 3 तल्ख टिप्पणियां 
1. वैक्सीनेशन के शुरुआती दो फेज में केंद्र ने सभी को मुफ्त टीका उपलब्ध कराया. जब 18 से 44 साल के एज ग्रुप की बारी आई तो केंद्र ने वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों पर डाल दी. उनसे ही इस एज ग्रुप के टीकाकरण के लिए भुगतान करने को कहा गया. केंद्र का यह आदेश पहली नजर में ही मनमाना और तर्कहीन नजर आता है. 

2. सुप्रीम कोर्ट ने उन रिपोर्ट्स का हवाला भी दिया, जिसमें यह बताया गया था कि 18 से 44 साल के लोग न केवल कोरोना संक्रमित हुए, बल्कि उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भी रहना पड़ा. कई मामलों में इस एज ग्रुप के लोगों की मौत भी हो गई. 

3. कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के बदलते नेचर की वजह से 18 से 44 साल के लोगों का वैक्सीनेशन जरूरी हो गया है. प्रायोरिटी ग्रुप के लिए वैक्सीनेशन के इंतजाम अलग से किए जा सकते हैं. 

वैक्सीन की कीमतों पर 
राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और प्राइवेट हॉस्पिटल्स को 50% वैक्सीन पहले से तय कीमतों पर मिलती है. केंद्र तर्क देता है कि ज्यादा प्राइवेट मैन्युफैक्चर्स को मैदान में उतारने के लिए प्राइसिंग पॉलिसी को लागू किया गया है. जब पहले से तय कीमतों पर मोलभाव करने के लिए केवल दो मैन्युफैक्चरर्स हैं तो इस तर्क को कितना टिकाऊ माना जाए. दूसरी तरफ केंद्र ये कह रहा है कि उसे वैक्सीन सस्ती कीमतों पर इसलिए मिल रही है, क्योंकि वो ज्यादा मात्रा में ऑर्डर कर रहा है. इस पर तो सवाल उठता है कि फिर वो हर महीने 100% डोजेज क्यों नहीं खरीद लेता है. पंकज चतुर्वेदी की पोस्ट 
 

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