अस्सी पार वालों की देखभाल कैसे हो ?

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अस्सी पार वालों की देखभाल कैसे हो ?

सतेंद्र पीएस  

90 साल के बुजुर्ग चमन लाल खोसला और उनकी 80 साल की बहन राजकुमारी खोसला दिल्ली के अपने मकान में लावारिस हालत में मृत पाए गए.दोनों अविवाहित थे.इतनी उम्र में मृत्यु हुई.खबर के मुताबिक चमनलाल एक दुर्घटना के बाद लकवे के शिकार हो गए थे और उनकी बहन उनकी देखभाल करती थीं.स्वाभाविक है कि इन बुजुर्गों ने शानदार लंबी जिंदगी जी है.भारत की समस्या विकट है.जो विवाह न करें, बच्चे न पैदा करें, बुजुर्ग होने पर उनकी देखभाल का प्रबंध नहीं है.वहीं कल ही एक मामला सुने कि 12,000 रुपये महीने कमाने वाला एक युवक 4 बेटियां पैदा कर चुका है.अब वह बेटे के इंतजार में पांचवा पैदा करने की तैयारी में है, जिससे उसका वंश बढ़े और बुढ़ापा सिक्योर हो.पता नही कौन सा उसका राजवंश है जिसे वह बचाना चाहता है.


इससे भी वीभत्स यह है कि अगर किसी की पहली बेटी हो गई तो वो बेटे के लिए अपनी पत्नी को गर्भवती करते हैं, फिर लिंग चेक करके बच्चा गिरवाते हैं.कुछ मामले तो ऐसे देखे हैं कि तीन बेटी ऑपरेशन से पैदा हो गईं और महिला बेचारी अपने जान पर खेलकर चौथा बच्चा जनने को तैयार है, क्योंकि उसके ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि बेटा पैदा नहीं की तो पति की दूसरी शादी कर दी जाएगी.सेक्स जितना आनन्ददायक होता है, उतना ही पीड़ादायक एबॉर्शन होता है.20 दिन भी गर्भ ठहर जाए तो लड़की का खून खच्चर हो जाता है.पता नहीं कैसे वो मनुष्य होते हैं जो बेटी होने पर, पेट मे उसमें जान आ जाने पर 3-4 महीने के बच्चे को मार डालते हैं.उन्हें ज़रा सा रहम नहीं आती, न अपनी पत्नी पर, न बेटी पर.

तमाम ऐसे कमीने लोग हैं जो महिला के कई अबॉर्शन के बाद अगर वह गर्भ धारण करने की स्थिति में नहीं बचती तो दूसरा विवाह कर लेते हैं.कई कमीने तो यह कल्पना करते हैं कि अगर इस बार बेटी को मार डाले जाते समय पत्नी भी मर जाए तो बहुत अच्छा हो.दूसरे ब्याह का मौका मिल जाएगा.यह मेरी कल्पना नहीं, आस पास के लोगों की सच्ची कहानियां हैं.घिन आती है ऐसे लोगों से.लेकिन आसपास का समाज अगर ऐसा ही हो तो कहां डूब मरूं जाकर?

दिलचस्प यह कि इन कहानियों के ज्यादातर पात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भक्त हैं! उन्हें देश बचाने की चिंता है, अपनी बीवी को बचाने की नहीं.उन्हें मोदी से बड़ा प्यार है, लेकिन वह "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" के मोदी के नारे को सुनने को तैयार नहीं हैं.अपनी ही बेटी में जान आते ही मार डालते हैं.उन्हें अपनी मम्मी से प्यार है, सेक्स के लिए एक लड़की चाहिए लेकिन बेटी को मार डालेंगे.पत्नी अगर बेटा न पैदा करे तो उसे मार डालने की हर सम्भव कवायद करेंगे.


सुना कि कुछ लोगों ने मेरी पत्नी से भी पूछा कि तुम भी बेटे के लिए बच्चा गिरवाई थी क्या? लोगों को यह शक होता है कि मेरी बेटी और बेटे की उम्र में 8 साल का अंतर है तो मैं भी बेटियों को गर्भ में मारता रहा हूँ! मैंने पत्नी से कहा कि अगर कोई तुमसे ऐसा पूछे तो पहले उसे समझा देना कि वो ऐसे सवाल मुझसे न पूछे.अभी तो ऐसे लोगों पर दया आती है, उनसे घिन होती है, लेकिन आमने सामने पूछ देने पर तो मैं आपा खोकर जूते निकालकर पीटने लग सकता हूं .

सरकार को उचित जनसँख्या नीति बनाने के साथ 50 साल के ऊपर के निसंतान दम्पतियों के लिए उचित इंतजाम करने की जरूरत है.कम से कम भविष्य की चिंता में लोग बेटे पैदा करने की कवायद न करें.जब तक सरकार कंडोम और कॉपर टी का धंधा करेगी, कुछ सुधरने वाला नहीं है.

खोसला भाई बहन को विनम्र श्रद्धांजलि.

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