भूमि सुधार के लिए ​आंदोलन खड़ा करने वाले पीवी राजगोपाल

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भूमि सुधार के लिए ​आंदोलन खड़ा करने वाले पीवी राजगोपाल

आलोक कुमार 
पटना.​देश ​में 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में भूमि सुधार के लिए ​देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने वाले पीवी राजगोपाल जी का जन्म 6 जून 1948 को हुआ है. नीति आयोग द्वारा घोषित सर्वश्रेष्ठ केरल राज्य के बहुत ही छोटे किसान परिवार में रहने वाले है. 

उनके बारे में एकता परिषद से जुड़े बिहारवासी अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष हैं पी.व्ही. राजगोपाल.उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के सत्याग्रह पदयात्रा को एक अहिंसक औजार के रूप में प्रयोग करते हुए कई राज्यों में अनगिनत पदयात्रायें, ​संवाद  यात्रायें कर वंचित समुदाय के दुख दर्द को नजदीकी से देखा और उनको लामबंद कर सरकार के साथ पैरवी की. कई राज्यों की सरकारों ने उनके सुझावों को महत्व देते हुए भूमिहीनों को भूमि का आंबटन किया और टास्कफोर्स का गठन भी.आंदोलन से प्रभावित होकर मध्यप्रदे​श ​में लगभग चार लाख भूमिहीनों को भूमि आबंटित हुआ और एक लाख अस्सी हजार वन अपराध के प्रकरणों की वापसी हुई. 

केरल के बहुत ही छोटे किसान परिवार में जन्मे गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली के उपाध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के सदस्य पी.व्ही. राजगोपाल जी, छात्र जीवन के बाद युवावस्था में जब देश में महात्मा गांधी का जन्म शताब्दी समारोह 1969 में मनाया जा रहा था, युवाओं के प्रेरणास्त्रोत और प्रख्यात ​गांधीवादी डा.एस.एन.सुब्बराव भाई जी के ​निर्देशन में ​​ संचालित गांधी ​दर्शन  ट्रेन में न केवल भागीदारी की बल्कि उसके प्रबंधन में महती भूमिका निभायी. 1970 के ​दश​क में चम्बल घाटी के भिण्ड, मुरैना, इटावा, आगरा, धौलपुर, मैनपुरी में हिंसा प्रति हिंसा अपने चरम पर थी, उसी दौरान महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा में लोक नायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए बागी आत्मसमर्पण और उनके पुनर्वास का कार्य आपने डा.एस.एन.सुब्बराव भाई जी के साथ मिलकर किया. 

राजगोपाल ने 1972 में भारत के चंबल क्षेत्र में 578 डकैतों (गैरकानूनी) को निशस्त्र करने के लिए गांधीवादी दिग्गज जेपी नारायण और सुब्बा राव के साथ काम करके अपना शांति-निर्माण शुरू किया. इसके बाद युवा गांधीवादी प्रत्यक्ष हिंसा और डकैतों के बदला लेने के चक्र से दूर हो गए. आदिवासियों, बंधुआ मजदूरों और गरीबी और शोषण से प्रभावित अन्य भूमिहीन समुदायों द्वारा झेली गई अप्रत्यक्ष हिंसा के लिए.नागालैण्ड में युवाओं के बीच जाकर हिंसा की समाप्ति के लिए युवा ​शिविरों के माध्यम से सफल प्रयास करते हुए आप छत्तीसगढ़ में आये और प्रयोग आश्रम की स्थापना कर वंचितों विषेषकर दलित और आदिवासियों की आवाज बनकर उभरे. 

उन्होंने कहा कि राजगोपाल जी का मानना है कि समाज में ढांचागत हिंसा प्रत्यक्ष हिंसा से भी भयावह है, जो समाज को हिंसक बनाती है, इसलिए भूमि अधिकार के माध्यम से आपने मध्यप्र​देश ​, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के आदिवासियों और दलितों को एकजूट कर एकता परिषद की स्थापना की और युवा ​प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से ग्रामीण नेतृत्व तैयार किया और भूमि अधिकार आंदोलन का प्रारंभ किया. 

वर्ष 2007 में ग्वालियर से दिल्ली तक 25 हजार भूमिहीनों के साथ पदयात्रा कर सरकार को भूमि सुधार पर काम करने के लिए बाध्य किया. 29 अक्तूबर,2007 को रामलीला मैदान में राजद के प्रतिनिनिधित्व करने वाले पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह पहुंचे. उनको प्रधानमंत्री ने बतौर प्रतिनिधि के रूप में भेजा.रामलीला मैदान में आकर पूर्व केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति बनाने की घोषणा कर दिये.राष्ट्रीय भूमि सुधार समिति के सदस्यों ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनायी.राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद के अध्यक्ष बतौर प्रधानमंत्री को राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति थमा दी गयी.मगर स्लो चलने और वर्क करने वाले पी.एम.ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति को कानून बनाने की दिशा में पहल नहीं.जो आज भी प्रधानमंत्री की विफलता दर्शाती है. 

इस तरह की वादा खिलाफी होने पर पुनः आपने (राजगोपाल) 2012 में 65 हजार भूमिहीनों के साथ ग्वालियर से दिल्ली की ओर पैदल कूच किये, परिणामस्वरूप भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय और आंदोलनकारियों के बीच भूमि सुधार के 10 बिंदुओं पर समझौता हुआ. 

मध्यप्र​देश ​ में 2013 के विधानसभा चुनाव में श्योपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने श्री गंगाराम आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाया था.गंगाराम सहरिया जनजाति के हैं और 80-90 के ​दशक ​ में सपरिवार बंधुआ मजदूर थे, बंधुआ मजदूरी से मुक्ति, पुनर्वास और उनमें नेतृत्व विकास का कार्य एकता परिषद ने किया.राजगोपाल जी सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा बंधुआ मजदूरों के मुक्ति और पुनर्वास के लिए कमि​श्नर ​ नियुक्त किये गये थे, इनके द्वारा लगभग 10 हजार से अधिक मजदूर बंधुआ से मुक्त होकर गंगाराम जैसे सामुदायिक नेता बनकर समाज परिवर्तन के लिए काम कर रहे हैं. 

अहिंसक समाज की रचना के लिए राजगोपाल जी ​देश और दुनिया में प्रयासरत हैं.अहिंसक आंदोलन​ और ​अहिंसक जीवन शैली में ​विश्वास  रखने वाले राजगोपाल जी यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई देषों तथा अपने दे​श  के अलग-अलग राज्यों में युवाओं को नेतृत्व विकास का प्रशिक्षण देने का कार्य कर रहे हैं.राजगोपाल जी अहिंसक आंदोलन से समाज परिवर्तन की पाठ​शाला ​ हैं, इनके द्वारा ​प्रशिक्षित  नवजवान कई राज्यों के विधानसभा में चुनकर आये, आपको जानकर अच्छा लगेगा कि उत्तरप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता श्री अजय कुमार लल्लू, एकता परिषद के जमीनी कार्यकर्ता रह चुके है. 

राजगोपाल जी हिंसा प्रति हिंसा, साम्प्रदायिकता और नक्सलवाद के प्रति ​हमेशा  सजग और चिंतित रहते हैं.वैश्विक  शांति के लिए वर्ष 2020 में दिल्ली के राजघाट से जेनेवा तक की पदयात्रा करने जा रहे हैं. शांति और आजीविका के क्षेत्र में काम करने के लिए आपको पिछली बार नोबल पुरस्कार के लिए यूरोप के सामाजिक संगठनों के द्वारा नामित किया गया था. 

आपका मानना है कि दे​श  में भूमि सुधार का काम अभी भी अधूरा है, इसे पूरा कराने के लिए 2 अक्टूबर 2018 से आपके नेतृत्व में पलवल से दिल्ली की सत्याग्रह पदयात्रा और 10 लाख लोगों के साथ मिलकर दे​श ​ व्यापी जनआंदोलन की तैयारी एकता परिषद सहित तमाम जनसंगठन कर रहे हैं. 

आपके द्वारा किये गये कार्यो की ​प्रशंसा  ​देश  के कई प्रतिष्ठानों और संस्थानों के द्वारा की गयी है। विगत वर्ष आपको इंदिरा गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार से नवाजा गया. चम्बल घाटी में आपको राजू भाई तो पूरे दे​श ​ में राजा जी के नाम से आपको जाना जाता है.दो प्रतिष्ठित विष्वविद्यालयों द्वारा आपको डी.लिट की मानद उपाधि प्रदान की गयी है. 

​आइये हम  सब मिलकर राजा जी की लम्बी और दीर्घकालिक आयु की कामना उनके जन्म दिन के अवसर पर करें.

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