आलोक कुमार
पटना.इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि देश जब कोरोना की दूसरी खतरनाक लहर से लड़ रहा, तब बाबा रामदेव व उनके अनाम भक्तों ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के चिकित्सकों एवं चिकित्सक शहीदों की खिल्ली उड़ाते हुए हमारी आधुनिक चिकित्सा विज्ञान पद्धति के प्रति आम लोगों में भ्रम, अविश्वास पैदाकर गलत आरोप लगाया है. जिससे हमारे चिकित्सकों की भावनाएं आहत हुई हैं. उनके कारण बहुत बड़ी संख्या में कोविड मरीजों की मृत्यु हुई है तथा कोविड टीकाकरण अभियान को धक्का लगा है.
योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ बिहार में पहला आवेदन पटना के पत्रकार नगर थाने में दिया गया है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. थानेदार का कहना है कि जांच के बाद मामला दर्ज किया जाएगा. दूसरी तरफ आईएमए बिहार के 50 अलग-अलग थानों में मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है.
आईएमए बिहार राज्य के सेक्रेटरी और सहज सर्जरी कंकड़बाग के डॉ. सुनील कुमार ने पत्रकार नगर थाना की पुलिस को दिए गए आवेदन में रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव, पिता राम निवास यादव पता-पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, महर्षि दयानन्द ग्राम, दिल्ली हाइवे, बहादरावाद के निकट, हरिद्वार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. आवेदन में एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 की धारा 3, बिहार एपिडेमिक डिजीज कोविड 19 ( रेगुलेशन ) 2020, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 एवं IPC 1860 की धाराएं 124 ए 153 / 186 / 188 / 269 / 270 / 3361 4201 499 / 500 / 505 / 511 एवं कानून के अन्य प्रावधानों के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA द्वारा दर्ज करवाए गए केस की छानबीन में पटना पुलिस जुट गई है. दर्ज एफआईआर बाबा रामदेव के एक कथित वीडियो का जिक्र है जिसमें आरोप है कि वे कोविड के टीके को बेकार हैं.
वर्तमान कोविड वैश्विक महामारी में बिहार भर की आधुनिक चिकित्सा पद्धति के सरकारी एवं गैर सरकारी चिकित्सकों ने कोविड-19 महामारी के विरुद्ध जागरुकता, रोकथाम, बीमारी की पहचान, इलाज, टीकाकरण में केन्द्र एवं राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार लगातार काम करते हुए कोविड-19 जैसी महामारी से हजारों लोगों को मौत के मुंह से बचाया है. इस दौरान हमने 151 से ज्यादा डॉक्टरों को खोया है.केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति एवं इसके विकास को बार-बार सम्मान करते हुए आभार जताया है.
जून -2020 में बाबा रामदेव की कंपनी ने ‘ कोरोनिल ‘ नाम से दवा के प्रचार-प्रसार के लिए एक प्रेस कांफेंस किया, जिसमें बिना किसी वैज्ञानिक जांच, प्रमाण पत्र के दावा किया की कोरोनिल कोविड-19 के मरीजों को क्योर करता है.उनके इस दावे का आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने 23 जून 2020 को खंडन किया.
IMA झारखंड ने बाबा रामदेव को आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच की लड़ाई बनाने की कोशिश करने, मरने वाले डॉक्टरों का अपमान और एलोपैथिक इलाज पर सवाल सहित कई बिन्दुओं पर 14 दिन के अंदर लिखित गलती स्वीकार करने को कहा है, नहीं तो FIR दर्ज कराने की चेतावनी भी दी है.
बिहार कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कहा कि केंद्र को स्पष्ट करना चाहिए कि वो इस विवाद में आईएमए के साथ है या बाबा रामदेव के साथ? रामदेव के सार्वजनिक तौर पर बार-बार एलोपैथिक चिकित्सकों की मौत पर प्रहसन करना सीधा-सीधा देशद्रोही गतिविधि है. उनके इस हरकतों के बावजूद केंद्र सरकार का उनपर कार्रवाई नहीं करना, मंशा पर भी शक पैदा करता है और निर्बाध सेवाएं देने वाले हमारे चिकित्सकों के शहीद हुए साथियों के प्रति नजर अंदाज रवैय्या प्रदर्शित करता है.
हाल ही में आईएमए झारखंड ने अपनी कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें राज्य के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने हिस्सा लिया था. बैठक में बाबा रामदेव के द्वारा डॉक्टरों के प्रति अमर्यादित भाषा, दुष्प्रचार, कोरोना से मृत चिकित्सकों का मजाक उड़ाने और कोरोना वैक्सीन के प्रति दुष्प्रचार करने के मामले में यह निर्णय लिया गया.
इसी तरह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, उत्तराखंड ने भी रामदेव की कोरोनिल दवा का विरोध किया है. उतराखंड IMA ने पतंजली द्वारा कोरोनिल दवा को कोविड किट में शामिल किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. IMA उत्तराखंड ने कहा है कि कोरोनिल को न तो WHO ने एप्रूव किया है और न ही ये केंद्रीय गाइडलाइन्स में शामिल है. ये कोई ड्रग या मेडिसिन नहीं है जैसा कि रामदेव द्वारा दावा किया जा रहा है.
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