डा शारिक अहमद खान
बाज़ारों में सरसों के तेल में धुली जामुन बिक रही है,जिसमें कीटाणु चिपक जाते हैं,धोने पर नहीं नहीं धुलते.इन जामुनों से कोविड का भी ख़तरा हो सकता है अगर कोविड पीड़ित ने इसे छू लिया या इसके ऊपर खांस दिया.आजकल कौन कोविड पीड़ित है ये बिना जांच के पीड़ित को ही जल्दी नहीं पता चल पाता.बिना तेल लगी जामुन किसी भी शहर में मुश्किल से मिलती है,तेल लगी जामुन की पहचान है कि वो चमकती बहुत है,पानी में सरसों का तेल डालकर धोयी जाती है,पानी के बुलबुले ऐसी जामुन के ऊपर चिपके रहते हैं,तेल लगी जामुन बेचने वाले कहते हैं कि हम लोग तेल इसलिए लगाते हैं ताकि जामुन पर मक्खियाँ ना बैठें.लेकिन उनको नहीं मालूम कि तेल लगी जामुन बेचकर वो आम लोगों की सेहत के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ कर रहे हैं.खाद्य पदार्थों की जांच करने वाला यूपी सरकार का खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी सेहत के लिए हानिकारक ऐसे फलों के बिकने पर रोक नहीं लगा पा रहा है,उदासीन बना रहता है,क्योंकि मेरा और बहुत से लोगों का आरोप रहता है कि इस विभाग के फ़ूड इंस्पेक्टर खाद्य पदार्थ बेचने वालों से घूस लेकर उनकी तरफ़ से आँखें मूंदे रहते हैं,कई तो हफ़्ता और महीना बांधे रहते हैं,तभी ऐसे फल बिक पाते होंगे,या फिर उन फ़ूड इंस्पेक्टरों की आँखों की रोशनी चली गई है जो खुलेआम बिकते ऐसे फल उन्हें नहीं दिखते और आम लोगों को दिख जाते हैं.अगर ये फ़ूड इंस्पेक्टर आँख के अंधे हैं तो नौकरी छोड़ दें.हम कई दिन से जामुन ख़रीदना चाहते थे,लेकिन लखनऊ में हर जगह वही तेल लगी जामुन बिक रही थी,सिर्फ़ लखनऊ नहीं ये हर शहर का हाल हो गया है,अगर आपने जामुन का पेड़ नहीं लगाया तो बिना तेल की जामुन खाना भूल जाइये,या चोर की तरह सड़क के किनारे लगे सरकारी पेड़ों से जामुन तोड़िए या ज़मीन में गिरी जामुन बीनिए.हमें आज़मगढ़ में बिना पेड़ लगाए भी बिना तेल की जामुन मिल जाती थी,लेकिन आसानी से नहीं,पेड़ का स्वामी ही नकद रूपये लेकर देता,वरना वहाँ भी तेल लगी ही बिकती है.पेड़ हम लगाते नहीं,इस मामले में आलसी हैं,हर चीज़ का पेड़ हम लगा भी नहीं सकते,यही एक काम मेरे कने नहीं है,पहले जामुन और आम के पेड़ थे मेरे पास,पुराने होकर सूख गए,नए हमने लगाए नहीं.बहरहाल,आज लखनऊ में एक जगह जामुन दिखी,हमें लगा कि ये बिना तेल की लग रही है,जामुन वाले के पास पहुंचे तो दोनों तरह की जामुन उसके पास थी,तेल लगी जामुन भी थी और बिना तेल की भी.दूसरे नंबर की तस्वीर में तेल लगी जामुन है,ध्यान से देखिए,चमकती नज़र आ रही है,पानी के बुलबुले भी उसके ऊपर हैं,तीसरी तस्वीर में बिना तेल की जामुन,ये बिल्कुल सूखी है,पानी इसके ऊपर से सरक जाता है या जल्दी सूख जाता है.हमने बिना तेल की जामुन ली,ये एक सौ साठ रूपये किलो थी,जो पहली तस्वीर में है.तेल वाली जामुन सस्ती थी,सौ रूपये किलो थी.तेल लगी जामुन से बचिए,जानलेवा हो सकती है.जो पोस्ट पढ़ने के बाद लिखेगा कि उसके पास जामुन का पेड़ है और वो बिना तेल की जामुन उस पेड़ से तोड़कर खाता है तो उसको हम ब्लॉक कर देंगे,वजह कि हमें मूर्खों की जुटान अपनी लिस्ट में नहीं करनी,मुद्दा ये नहीं कि आपको तेल लगी जामुन अपने पेड़ से मिल रही है या नहीं,मुद्दा ये है कि तेल वाली जामुन बाज़ार में कैसे बिक रही,इसके ऊपर रोक कैसे लगे ताकि आमजन की सेहत के साथ खिलवाड़ ना हो.
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