लखनऊ. राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा हुए भूमि घोटाले समेत ट्रस्ट द्वारा किए सभी आय-व्यय की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में बनी एसआईटी से कराने की मांग आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय टीम ने की. टीम के प्रस्ताव को प्रेस को जारी करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आईजी एस. आर. दारापुरी ने बताया कि प्रस्ताव में कहा गया कि भाजपा-आरएसएस की सरकारें देश की जनता को यह बताने की जगह कि चंद मिनटों में 2 करोड़ की सम्पत्ति राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 18.5 करोड़ में कैसे खरीदी गई और कौन इसके गुनाहगार है दोषियों को बचाने में लगी हुई है. गौरतलब हो कि अयोध्या में 18 मार्च को रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से 18.5 करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट ने जो जमीन खरीदी थी उस जमीन को दस मिनट पहले हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने इन्हीं दोनों लोगों को 2 करोड़ में बेचा था. दोनों ही खरीद बिक्री पर अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय व ट्रस्ट के सदस्य के हस्ताक्षर गवाह के रूप में दर्ज है. प्रस्ताव में कहा गया कि राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट ने राष्ट्रपति से लेकर आम आदमी तक चंदा लिया गया है और सरकारी धन का भी बड़े पैमाने उपयोग किया जा रहा है. ऐसे में इस तरह का भूमि घोटाला आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद् द्वारा जनता की आस्था के साथ खिलवाड़ है. अभी तक जो रिपोर्ट मिल रही है अयोध्या में जमीन की खरीद-बिक्री में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है जिससे किसानों में बड़ा विक्षोभ है. इसलिए राम मंदिर निर्माण में हो रहे आय-व्यय को पारदर्शी बनाने व इस तरह के घोटाले पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी बनाना आवष्यक है.
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