बनारस मोहल्ला क्योटो .

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

बनारस मोहल्ला क्योटो .

चंचल  
अमेरिकी प्रवासियों ने बहुत मेहनत , मसक्कत किया कि किसी तरह   महान शहनाई वादक बिस्मिल्ला खान साहब अमेरिका चले चलें . बिस्मिल्ला की सादगी भरी मांग थी - बनारस नही छूटता भाई  - हम  वहां बनारस बसा देंगे  
- लेकिन गंगा कहाँ से लाओगे बच्चू ?  
इसका जवाब नही बन सका और खान साहब यहीं बनारस में आखिरी सांस लिए और अलविदा कह गए .  
प्रवासियों  को अगर हुनर मालूम रहता कि उनके जीते जी गली को सीवर नाली में बदल दो , खान साहब को जहाँ चाहते , उठा ले जाते या गंगा में कूद जाते .  
      गुजरात  में अपने आका केशु भाई को ठिकाने लगा कर , जब आडवाणी का सिपहसालार  मोदी बनारस की ओर  मुड़ा तो काशी की बाछे  खिल गयी . जिस तरह सिकन्दर की तलवार का स्वागत पाखंडी दो मुहों ने किया था , उसी तरह मोदी का इस्तकबाल बनारस किया  . हरहर महादेव की जगह हर हर मोदी , घर घर मोदी बनारस ने किया था . सियासत की गंध से ही जिसकी नाक सिकुड़ जाती रही और अपने पेशे की दुहाई देते मिलते वे कालीन बिछाए फर्सी सलाम में झुके मिले .  
 काशी अनमोल है  , ग्लोब का दस्तावेज कहता है ,. उस काशी को उसने चंद सिक्के से खरीद लिया और तोड़ डाला.  काशी की तमीज , तहजीब , जीवन शैली और आदिम सभ्यता  को .  
           क्योटो बनाएंगे  
 काशी मुह बाए खड़ी , ताली बजाने  लगी .  औरंगाबाद से एक आवाज फिर सुनाई दी - काशी क्योटो का बाप है . एक नही अनेक क्योटो बन सकता है क्यों कि वह पूंजी से तामीर होता है , काशी पूंजी से नहीं पूजा से निकला निर्मल मन है . वास्तु शिल्प का अनूठा बसावट है , मौसम के मुताबिक हवा पानी  के ताप और गति को  यांत्रिक गलाजत  से नही हल करता , यह गलियों के चढ़ान और ढलान से नियंत्रित करता रहा .  इन्ही संकरी गलियों के तिलस्म का  भूल भुलैया दुनिया को आकर्षित करता रहा . उसे तोड़ कर सपाट बना रहे हो ?  काशी को जमीदोज कर कॉरिडोर नाम दे रहे  हो ?  वास्तु  शिल्प पर स्पेंसर को पढ़ लेते - किसी शहर की सभ्यता और संस्कृति को खत्म करना हो तो उसके वास्तु शिल्प को खत्म कर दो .  वैशाली , पाटलिपुत्र , दिल्ली , हस्तिनापुर , द्वारिका में उतने लोग नही मारे गए जितनी बार ये नगर तबाह हुए .  
जब  तुमने अपाहिज और विकलांग को दिव्यांग बोले तभी काशी को समझ लेना था इसके क्योटो का मतलब क्या होगा ?  धूसर गंगा सीवर के रास्ते गली मोहल्ले में हैं और जहां धारा में बहती रहीं , वहां  जल कुम्भी ओढ़े चुपचाप खड़ी हैं . 
     (  गांगा को उपहार दे रही हैं गोमती )

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