आलोक कुमार
बेतिया. उत्तर बिहार में है फिल्म स्टार मनोज बाजपेयी. पश्चिमी चंपारण जिले नरकटियागंज प्रखंड के छोटे से गांव बेलवा बहुअरी में मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को हुआ था.यहां पर ही उनके पिता राधाकांत बाजपेयी जी रहते हैं.पिता जी की तबियत खराब होने की जानकारी मिलने पर बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी गौनाहा के बेलवा बहुअरी स्थित घर पहुंचे.यहां पहुंचने पर उन्होंने पिता की तबियत देखी. उनके पहुंचने की खबर गांव में जंगल की आग की तरह फैल गई.कुशल परिवार को देखने की चाहत लेकर दर्जनों लोग गांव में पहुंचे. मनोज बाजपेयी, पत्नी नेहा व बेटी नायला को देखकर लोग गदगद हो गये.
मनोज बाजपेयी ने बताया कि फिलहाल मैं फैमिली मैन सीजन-2 की शूटिंग में व्यस्त हूं.पिता की तबियत खराब होने की सूचना मिली तो उन्हें देखने चला आया.जल्द ही यहां से मुंबई लौट जाउंगा. फिल्में तो होती रहेंगी, लेकिन पिता के साथ समय बिताना सबसे बड़ी दौलत है.मेरे साथ पत्नी अभिनेत्री शबाना रेजा बाजपेयी (नेहा) भी आयी हुयी हैं. घर पहुंचने के बाद उन्होंने हड़बोड़ा नदी के किनारे, गन्ने के खेत और आम के बगीचे में खूब मस्ती की. यहां उन्होंने पेड़ के पके हुए आम खुद तोड़े और खाए भी. दोस्तों और परिजनों से मुलाकात की और उनके साथ यादें ताजा कीं.इस दौरान वे गांव की सड़कों पर भी निकले.लोग उन्हें देखकर ठिठक जा रहे थे.हालांकि लोगों की भीड़ देखकर वे तुरंत घर लौट गये.
सत्या, गैंग ऑफ वासेपुर फेम मनोज बाजपेयी को गांव में देखकर ग्रामीण खुश दिखे। बेलवा के ग्रामीण दिनेश्वर प्रसाद यादव, विक्रमा सहनी, गोपी यादव, सुधीर उपाध्याय आदि कहते हैं कि ठेठ गंवई परिवेश से बाहर निकलकर मनोज बाजपेयी ने अभिनय की दुनिया में मुकाम हासिल किया है. यह हमलोगों के लिए गर्व की बात है. उन्हें देख कर पूरे गांव के लोगों की छाती गर्व से चौड़ी हो जाती हैं.
बताते चले कि उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ख्रीस्त राजा (के.आर.) हाई स्कूल, बेतिया से हुई. इसके बाद मनोज दिल्ली चले गये और रामजस कॉलेज से अपनी आगे की पढ़ाई की.उन्हे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में तीन कोशिशों के बावजूद प्रवेश नही मिल सका.इसके बाद उन्होंने बैरी जॉन के साथ रंगमंच किया. मनोज ने बैरी जॉन के मार्गदर्शन में स्ट्रीट चिल्ड्रेन के साथ काफी काम किया है.
के.आर.हाई स्कूल,बेतिया के टीचर जेम्स माइकल ने कहा कि आज मेरे शिष्य व फिल्म स्टार मनोज बाजपेयी के.आर.हाई स्कूल में शनिवार को सपरिवार आकर फादर व टीचरों से मिले.अतीत की याद ताजी की.यहां से मनोज मैट्रिक की परीक्षा 1980 में पास किए थे.उन्होंने कहा कि जब भी मनोज अपने गांव बेलवा बहुअरी (नरकटियागंज) आते हैं, तो अवश्य ही स्कूल में आते हैं. वे छात्रवास में रोते थे.पूरे 4 साल पूरा अनुशासन के साथ यह विद्यार्थी जीवन बिताया.इसलिए हमेंशा जब भी आते हैं,अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments