आलोक कुमार
मुजफ्फरपुर.यह पुरानी खेल है.जिले के सिविल सर्जन के नेतृत्व में घपलाबाजी कर नियुक्ति की जाती है.जब खबर ऊपरी स्तर के अधिकारियों तक पहुंची है.तब वरीय अधिकारियों द्वारा नियुक्ति को रद कर दी जाती है.दूध में पड़ी मक्खी की तरह नौकरी से निकाला के विरूद्ध पीड़ित माननीय पटना उच्च न्यायालय में गुहार लगाया जाता है.माननीय पटना उच्च न्यायालय के द्वारा पीड़ितों के पक्ष में आदेश दे दिया जाता है.नौकरी में बहाल कर दिया जाता है.इसी तरह का खेला मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन के द्वारा खेला गया. सिविल सर्जन ने 780 एएनएम की बहाली रद्द कर दिया गया.और पुलिस से लाठी खाने वालों को पुन: बहाली कर दिया.इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने उक्त बहाली को ही रद्द कर दिया.
बताया जाता है कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में संविदा पर रखे गए स्वास्थ्य कर्मी, एएनएम की बहाली रद्द कर दी गई है.संविदा कर्मियों को हटाए जाने की खबर पर स्वास्थ्य कर्मियों और एएनएम का गुस्सा फूट गया. मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल के बाहर हंगामा करती हुई एक एएनएम ने अपने गुस्से का इजहार करते हुए कहा कि "जब तीन महीन के लिए रखा गया है तो बीच में क्यों हटाया जा रहा है.अगर धांधली सिविल सर्जन ने की है तो उसे हटाएं, हमें क्यों हटाया जा रहा है.हम लोग उस समय घर से बाहर निकले हैं जब पीएम मोदी और नीतीश कुमार कहते थे कि घर में रहो.हमने अपनी जान पर खेलकर लोगों को टीका लगाया है.आज हमको घर बैठाएगा हम घर बैठ जाएंगे क्या."
कोरोना महामारी को लेकर सदर अस्पताल से पीएचसी तक 780 पदों पर हुई एएनएम की बहाली को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है. जिलाधिकारी प्रणव कुमार के आदेश पर सिविल सर्जन डा.एसके चौधरी ने नियुक्ति तिथि से नियोजन को रद्द कर दिया है. इसके बाद कोरोना टीकाकरण में सहयोग कर रहे मानवबलों में खलबली मच गई है.एएनएम की बहाली में सदर अस्पताल के डाटा आपरेटर धर्मेंद कुमार ने एएनएम पद की एक अभ्यर्थी से बहाली के लिए तीस हजार रुपये की मांग की.इस तरह 780 एएनएम से 2 लाख 34 हजार रूपए उगाना था.
दुर्भाग्य आडियो वायरल हो गया.हम के जिलाध्यक्ष शरीफुल हक ने जिलाधिकारी को आडियो क्लीप उपलब्ध कराया. डीडीसी के नेतृत्व में एसडीओ पूर्वी व एडीएम ने मामले की जांच शुरू की.टीम ने वायरल आडियो की भी जांच की.जांच कमेटी के समक्ष सिविल सर्जन व संबंधित सहायक तीन दिनों तक कागजात लेकर नहीं पहुंचे.चौथे दिन अधीक्षक के माध्यम से कागजात भेजवाया, जिसकी जांच के बाद कमेटी ने डीएम को नियोजन में काफी गड़बड़ी होने, पारदर्शिता नहीं बरतने और अन्य कई अनियमितता का हवाला देते हुए नियोजन रद्द करने की अनुशंसा की थी.इसके बाद डीएम ने बुधवार शाम सिविल सर्जन को नियोजन को रद्द करने का निर्देश दिया.
कोविड से लड़ाई के लिए दैनिक पारिश्रमिक पर अनियमित रूप से बहाल सैकड़ों कर्मियों को चयनमुक्त कर दिया गया है. डीएम प्रणव कुमार के आदेश पर सिविल सर्जन डॉ. एसके चौधरी ने सभी को चयनमुक्त करने का आदेश जारी किया है.डीडीसी की जांच में बहाली प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने के बाद यह सख्त कदम उठाया गया है.बहाली प्रक्रिया में गड़बड़ी सामने आने के बाद डीएम ने जांच के आदेश दिए थे.
डीडीसी डॉ. एसके झा के नेतृत्व में जांच दल ने बहाली प्रक्रिया में गड़बड़ी पायी व डीएम को अपनी रिपोर्ट सौंपी.इसमें बताया गया कि सैकड़ों कर्मियों की बहाली के लिए न तो पर्याप्त सूचना दी गई और न ही आवेदकों की स्क्रीनिंग प्रावधान के अनुसार की गई. डीडीसी ने पूरी बहाली प्रक्रिया को गलत बताते हुए बहाल कर्मियों को चयनमुक्त करने व दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई की अनुशंसा की थी।.डीएम प्रणव कुमार ने इसके बाद सिविल सर्जन को बहाली रद्द करने का आदेश दिया.इसके अलावा उन्होंने दोषी पदाधिकारी को निलंबित करने की अनुशंसा भी राज्य सरकार से की है. उल्लेखनीय है कि एएनएम अभ्यर्थियों ने बहाली के लिए रिश्वत मांगने की शिकायत डीएम से की थी और ऑडियो सौंपा था.
सिविल सर्जन और जिलाधिकारी के बीच जारी आंखमिचौली के खेल में उनकी नियुक्ति हाशिए पर चली गई है.दरअसल, बढ़ते कोरोना संक्रमण के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों की कमी महसूस किए जाने पर सरकार के निर्देश पर सिविल सर्जन के स्तर पर एएनएम समेत विभिन्न विभागों के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली की गई थी.बहाली में पैसे के लेनदेन का मामले का ऑडियो वायरल होने पर जिलाधिकारी ने जांच कमेटी गठित की गई थी. डीडीसी की अगुवाई में जांच रिपोर्ट में बहाली में अनियमितता उजागर होने के बाद देर से ही सही सिविल सर्जन ने नियुक्तियों को रद्द कर दिया था.
इस बात पर नियुक्ति पत्र पाने वाले कर्मियों ने शुक्रवार को सदर अस्पताल परिसर में जमकर बवाल काटा.जमकर हंगामा नारेबाजी की गई। पदाधिकारियों से हाथापाई हुई.पुलिस बल पर हमला किए गए। जवाब में पुलिस ने भी लाठियां भांजी.लेकिन सफलता उन स्वास्थ्य कर्मियों को हाथ लगी जो संविदा के आधार पर कथित पैसे के लेनदेन से नौकरी पाने में सफल हुए थे.सीएस ने नियुक्ति को स्वीकृत किये जाने का ऐलान कर दिया.
हालांकि उनकी खुशियां अगले 24 घंटे के अंदर ही काफूर हो गईं. जब बिहार सरकार के विशेष कार्य पदाधिकारी आनंद प्रकाश ने जांच रिपोर्ट के हवाले से नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश जारी किया है.साथ ही सिविल सर्जन के जरिए हुए नियुक्तियों को रद्द करने के बाद पुनः मान्य घोषित किए जाने के साथ ही पूरे मामले पर 48 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण देने कहा है.यह भी पूछा है कि बहाली में अनियमितता उजागर होने पर जांच क्यों नहीं की गयी?
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