आलोक कुमार
नयी दिल्ली.लोकजन शक्ति पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाये जाने के बाद चिराग पासवान ने कहा था.पार्टी मां के समान है, उसके साथ दगाबाजी नहीं करनी चाहिए थी. अपने चाचा पशुपति कुमार पारस द्वारा लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के नेता पद से हटाये जाने के बाद चिराग पासवान की ये पहली प्रतिक्रिया थी. चिराग ने हाल के घटनाक्रम को लेकर कई ट्वीट किये हैं.चिराग ने कहा कि चाचा पार्टी हथियाना चाह रहे हैं.पर ऐसा हर्गिज नहीं होने देंगे.संघर्ष से लिखी है जिंदगी की किताब,साजिशों से बुझ जाए हम वो चिराग नहीं.वह तो भविष्य में पता चलेगा.
लोजपा के चिराग पासवान गुट के चिराग पासवान ने कहा कि इस पार्टी और अपने परिवार को साथ रखने के लिए किए मैंने प्रयास किया लेकिन असफल रहा.पार्टी माँ के समान है और माँ के साथ धोखा नहीं करना चाहिए.लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है.पार्टी में आस्था रखने वाले लोगों का मैं धन्यवाद देता हूँ.90 प्रतिशत राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य विश्वास व्यक्त किये हैं.
शनिवार को चिराग पासवान अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात की थी और संसदीय दल के नेता चयन पर अपना पक्ष रखा था.चिराग पासवान का दावा है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 90 फीसदी से अधिक सदस्य उनके साथ हैं. उन्होंने लोकसभा में पारस को पार्टी का नेता घोषित करने के दूसरे खेमे का दावा स्वीकार करने के फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की.चिराग ने दलील दी है कि पार्टी का संसदीय बोर्ड ही संसद में अपने नेता के बारे में फैसला कर सकता है. पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने चिराग के स्थान पर पारस को अपना नेता चुना है.
रविवार को देश की राजधानी दिल्ली के 12, जनपथ में चिराग पासवान राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग की है. पार्टी की तरफ से दावा किया गया है कि इसमें बिहार समेत 12 स्टेट प्रेसिडेंट के साथ ही 90 प्रतिशत राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शामिल हैं.चिराग गुट के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक की गयी.इस बैठक में रामविलास पासवान अमर रहे के लगे नारे लगते रहे.इस अवसर पर चिराग ने पार्टी नेताओं को शपथ दिलाई.उन लोगों से पार्टी के साथ खड़े रहने की शपथ दिलाई.
इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि चिराग ने रविवार को दिल्ली में बड़ा ऐलान कर दिया है कि वह बिहार में संघर्ष यात्रा की शुरुआत करने जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने 5 जुलाई का दिन चुना है जो उनके पिता और दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का जन्मदिवस है.संघर्ष यात्रा की शुरुआत के लिए चिराग ने अपने पिता के संसदीय क्षेत्र रहे हाजीपुर को चुना है.
बैठक में सदस्यों के बीच चर्चा होती रही कि बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश में जदयू को तोड़ा था तब जदयू बिफर गई थी.अब जदयू ने लोजपा के सांसदों को तोड़ दिया.यह है राजनीति की शुचिता. एनडीए में ही तीनों घटक दल हैं पर एक दूसरे को तोड़फोड़ रहे हैं.
आगामी 21 जून के बाद चिराग पासवान बिहार आने वाले हैं. इसकी रूप-रेखा उनकी टीम तैयार कर रही है.एक बड़ी प्लानिंग चल रही है.वह जनता के बीच जाने वाले हैं. उनके सामने अपनी बातों को रखने वाले हैं.चाचा पशुपति कुमार पारस और बागी सांसदों की पोल खोलने वाले हैं.चिराग पासवान और लोजपा की तरफ से दिवंगत राम विलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग सरकार से की गई है.लोजपा की तरफ से कहा गया है कि बिहार में उनकी एक बड़ी प्रतिमा स्थापित की जाए.
दरअसल पार्टी में टूट के बीच चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस दोनों ही खुद को पार्टी का असली नेता बता रहे हैं. यही नहीं पार्टी के बैनरों और झंडों पर दोनों अपना वर्चस्व दिखा रहे हैं.
आखिर लोजपा के बंगले का कौन होगा बॉस? राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चिराग पासवान के साथ हैं जबकि सांसद पशुपति के साथ.अब चुनाव आयोग को तय करना है कि बँगला में चिराग जलेगा या पशुपति रहेंगे?
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