बहुत छोटा समुदाय है, लेकिन बहुत असरदार

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बहुत छोटा समुदाय है, लेकिन बहुत असरदार

आलोक कुमार  
पटना.यह सवाल उठाना प्रासंगिक है कि केंद्र सरकार ने पूरे देश में एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या सिर्फ 296 बताकर लोकसभा एवं विधान सभा में नामित प्रतिनिधित्व करने वाले आरक्षण समाप्त कर दिया है.जनसंख्या की हिसाब से विलुप्त होने के कगार पर खड़ा समुदाय को बचाने के लिए सरकार को आगे आना चाहिए.जो सरकार नहीं कर रही है. 

बता दें कि देश के एंग्लो-इंडियन एकमात्र समुदाय है, जिसके प्रतिनिधि लोकसभा के लिए नामित होते हैं, क्योंकि इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है. तत्कालीन गोरों (ऐंग्लोस) समुदाय के नेतृत्वकर्ता फ्रैंक अंथोनी 1942 से 46 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य थे. उसके बाद 46 से 50 तक कंस्टीट्यूएंट असेंबली ऑफ इंडिया के सदस्य थे. साथ ही एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि थे. उनकी पहल व अनुरोध पर तब के प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू जी के प्रयास से समुदाय के लिए एक विधेयक पास हुआ था.फ्रैंक अंथोनी लंबे समय तक द ऑल इंडिया एंग्लो इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे. भारत में रह गये अंग्रेजों के संरक्षण व विशेष देखभाल के लिए विधेयक में उक्त समुदाय से ही प्रतिनिधि के रूप में दो सांसद व देश के कई राज्यों में मनोनीत विधायक प्रतिनिधि की रिजर्व व्यवस्था की गयी. 

एंग्लो-इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व लोकसभा में दो सदस्यों द्वारा किया जाता है.संविधान के अनुच्छेद 366 (2) के तहत एंग्लो इंडियन ऐसे किसी व्यक्ति को माना जाता है जो भारत में रहता हो और जिसका पिता या कोई पुरुष पूर्वज यूरोपियन वंश के हों. यह शब्द मुख्य रूप से ब्रिटिश लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो कि भारत में काम कर रहे हों और भारतीय मूल के हों. 

अनुच्छेद 331 के तहत राष्ट्रपति लोकसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्य नियुक्त करते हैं. इसी प्रकार विधान सभा में अनुच्छेद 333 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि (यदि विधानसभा में कोई एंग्लो इंडियन चुनाव नहीं जीता है) वह 1 एंग्लो इंडियन को सदन में चुनकर भेज सकता है. इसे 73 साल के बाद समाप्त कर दिया गया. 

सत्रहवीं लोक सभा में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की, और अपने पूर्ण बहुमत बनाये रखा और भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 353 सीटें जीतीं.इससे सरकार काफी उत्साहित थी.सत्तासीन होने के बाद मोदी सरकार की नई घोषणा के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों के लिए सीटें आरक्षित नहीं होंगी.हालांकि हर दस साल के बाद एंग्लो इंडियन के आरक्षण को लेकर समीक्षा होती है, जिसमें तय होता है कि इन दो आरक्षित सीटों पर आरक्षण रखा जाए या नहीं.चूंकि इस बार 25 जनवरी 2020 को पूर्व चयनित सदस्यों की आरक्षण की अवधि समाप्त हो रही है, लेकिन कैबिनेट ने नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है. 

बाकी का काम पटना साहिब के जनप्रतिनिध व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या पर खेल 
खेला.देश के दोनों सदनों में एंग्लो इंडियन समुदाय की जनसंख्या सिर्फ 296 घोषित कर उक्त समुदाय को आरक्षित सीट से वंचित कर दिया.संविधान संशोधन (126वां) बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदायों के आरक्षण को दस वर्ष बढ़ाने का प्रावधान किया गया.आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा था. बिल में इसे 25 जनवरी, 2030 तक बढ़ाने का प्रावधान कर दिया गया. संसद में एंग्लो इंडियन कोटे को भी खत्म करने का बिल में प्रावधान था. 

लोकसभा में अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण को 10 साल बढ़ाने के लिए जहां संशोधन विधेयक पास करा दिया. केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर बहस के दौरान कहा कि 1951 में एंग्लो इंडियन की आबादी करीब 1.11 लाख थी, जो अब सिर्फ 296 रह गयी है. हालांकि कुछ सांसदों ने 1951 की आबादी को 3.5 लाख बताया. पर यह बिल 10 दिसंबर को पहले लोकसभा तथा 12 दिसंबर को राज्यसभा से पास हो गया.इसी के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों को नामित करने के प्रावधान को ख़त्म करने का विधेयक भी पारित कर दिया गया.मगर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आरक्षण को लेकर भविष्य में विचार किया जा सकता है.एक साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी विचार नहीं करने से एंग्लो इंडियन समुदाय में आक्रोश व्याप्त है. 
       
लोकसभा में बहुमत से संविधान संशोधन (126वां) बिल पास करा दिया गया.126 वां बिल कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में पेश किया. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 296 एंग्लो इंडियन हैं.हालांकि टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इसका विरोध किया था.देश में एंग्लो इंडियन समुदाय के 3 से 3.5 लाख लोग हैं.इससे पहले लोकसभा में भी कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी और बीजेडी के सांसदों ने बिल का प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा कि मंत्री के डेटा घोर अतिशयोक्ति है.राज्यसभा द्वारा पास कराए गए संविधान संशोधन (126वां) बिल.भारतीय जनता पार्टी के दो एंग्लो-इंडियन सांसद हैं। ये हैं केरल के रिचर्ड हे और पश्चिम बंगाल के जॉर्ज बेकर. 


इस समय एंग्लो इंडियन समुदाय के लोगों की जनसंख्या का आंकड़ा नहीं है.सरकार को मालूम ही नहीं है कि देश में एंग्लो इंडियन समुदाय के कितने लोग रहते हैं.सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत इस संबंध में जानकारी मांगी गई थी लेकिन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है.तब ऐसी स्थिति में कानून मंत्री का बयान कि देश में मात्र 296 एंग्लो इंडियन हैं, समझ से परे है. 


126वीं संविधान संशोधन विधेयक के पास होने की वजह से इस समुदाय को मिला आरक्षण खत्म हो गया.इन 13 राज्यों में प्रतिनिधि थे. झारखंड (पहले बिहार), आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल. 

बिहार विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व होता था.प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में डॉन बोस्को एकेडमी के प्राचार्य आल्फ्रेड जी रोजारियों को विधान सभा में प्रतिनिधित्व करने के लिए मनोनीत किया था. 

इस बीच राबड़ी देवी मुख्यमंत्री से सत्ता परिवर्तन हो जाने के कारण नीतीश कुमार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री बने.विधान सभा में संख्या बल बढ़ाने के उद्देश्य से एंग्लो इंडियन के रिक्त पद पर संत कैरेंस के निदेशक जोसेफ पी गोलस्टेन को मनोनीत कर दिया.फिर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सत्ता बचा नहीं पाए.मुख्यमंत्री के हाथ में केवल सात दिन ही सत्ता रही.पुन: राबड़ी देवी सत्ता में आ गयी.उनके कार्यकाल में बिहार का बंटवारा15 नवम्बर 2000 को हुआ. 

एक नया प्रदेश झारखंड बना.इस नवनिर्मित प्रदेश में मैकलुस्कीगंज पड़ जाने से झारखंड विधान सभा में प्रथम एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का गौरव जोसेफ पी गोलस्टेन को प्राप्त हुआ.जो एक कीर्तिमान बन गया.बिहार विभाजन के बाद झारखंड के एंग्लो इंडियन समुदाय से जेपी गोलस्टेन विधायक बने थे.उनके निधन के बाद ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन नामित हुए. 

उसके बाद मार्च 2000 से फरवरी 2005 तक मुख्यमंत्री राबड़ी देवी रहीं.इन पांच वर्षों में राबड़ी देवी ने विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व देने का प्रयास ही नहीं किया.सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि चूंकि विधान सभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है,तो उनको बिहार विधान परिषद में मनोनीत किया जाएगा.जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 16 साल के कार्यकाल में करके नहीं दिखाया है. 


भारत के लगभग सभी बड़े नगरों और शहर में आपको ऐसे स्कूल मिल जाएंगे जिनको एंग्लो इंडियन समुदाय द्वारा संचालित किया जाता है. समाज में इस समुदाय को लोगों को अब भी कई लोग 'अंगरेज' समझते हैं. भारत के संविधान के अंतर्गत लोक सभा में 2 और राज्यों की विधान सभा में 1 सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित किया जाता था. लेकिन अब इस प्रावधान पर ब्रेक लग गया है. संसद द्वारा पारित अधिनियम की उत्तर प्रदेश विधान सभा ने भी पुष्टि कर दी. वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधान सभा में 404 सदस्य होते है जिसमें एक सदस्य एंग्लो इंडियन समुदाय से नामित होता था. अब उत्तर प्रदेश विधान सभा में 403 सदस्य रह जाएंगे. 

उत्तर प्रदेश विधान सभा में डेंजिल जे गोडिन नामित ने बताया है कि संभवतः इसमें कुछ आंकड़ों की गलती हो गयी. डेंजिल कहते हैं, "कानून मंत्री द्वारा ये बताया गया कि एंग्लो इंडियन समुदाय के मात्र 296 लोग है. ऐसा संभव नहीं है. हमारे लखनऊ में ही 500 लोग है. पूरे देश में लगभग 3.5 से 6.5 लाख लोग है." 

डेंजिल का मानना है कि चूंकि जनगणना फार्म में एंग्लो इंडियन लिखने का कोई कॉलम नहीं होता उन्होंने धर्म क्रिश्चियन लिखवाया. डेंजिल ने कहा, "इसमें कोई जाति होती नहीं है. एंग्लो इंडियन समुदाय के लोग अंग्रेजी ज्यादा बोलते हैं तो हो सकता है कि उन्होंने धर्म की जगह यही लिखवा दिया गया हो. इस कारण गलती हुई है. लेकिन गलती को सुधारा भी जा सकता है. हमें नेताओं से यही आशा है.” 

एंग्लो इंडियन समुदाय से सोलहवीं लोकसभा में नामित सदस्य जॉर्ज बेकर भी इस सुविधा को जारी रखने के पक्ष में है. बेकर 2014 की लोक सभा के सदस्य थे. बेकर कहते हैं, "ये सुविधा अगर लोक सभा में नहीं तो कम से कम विधान सभा में जरूर जारी रखनी चाहिए. एंग्लो इंडियन समुदाय पूरे भारत में फैला हुआ है. उनका अगर विधान सभा में प्रतिनिधित्व रहेगा तो वो अपनी आवाज रख सकते हैं. हालांकि इस संदर्भ में कानून मंत्री का बयान देना कि देश में मात्र 296 एंग्लो इंडियन हैं, समझ से परे है.” 

एंग्लो इंडियन समुदाय के नामित सदस्य गोलस्टेन ने कहा 
झारखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के नामित सदस्य ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन ने कहा कि उनके समुदाय को लोकसभा व विधानसभा में देय आरक्षण अब समाप्त होने से वह दुखी हैं.उन्होंने कहा कि देश भर में हमारी आबादी 296 नहीं, बल्कि लाखों में है. सिर्फ झारखंड में हमारी आबादी 10-12 हजार होगी. यहां हम मैकलुस्कीगंज, रांची, जमशेदपुर, घाटशिला व धनबाद में रहते हैं. गॉलस्टेन ने कहा कि दिल्ली स्थित हमारे राष्ट्रीय संगठन ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को आरक्षण बरकरार रखने के लिए ज्ञापन दिया है. पर अभी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. गोलस्टेन ने कहा कि मैकलुस्कीगंज में लॉ एंड ऑडर की समस्या से निबटने के लिए थाना बनाने का आग्रह मैंने ही किया था. यह थाना आज भी मेरे ही मकान में चल रहा है. हालांकि, इसका नया भवन बन गया है. उन्होंने कहा कि सदन में प्रतिनिधित्व होने से हम अपने हित की बात कर सकते थे, जो अब नहीं हो सकेगा. 

 

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