पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तालिबानी फरमान

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पश्चिम बंगाल में बीजेपी का तालिबानी फरमान

सोशल मीडिया मित्र वही जिस पर पार्टी मुहर लगाए 
प्रभाकर मणि तिवारी 
कोलकाता .पश्चिम बंगाल में पहले विधानसभा चुनाव में लगे झटके और उसके बाद पार्टी से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में बढ़ते पलायन और बेसुरे होते नेताओं को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने एक तालिबानी फरमान जारी करते हुए तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं की सोशल मीडिया गतिविधियों पर कई किस्म की पाबंदियां लगा दी हैं. इनमें फेसबुक पर किसी बीजेपी-विरोधी से मित्रता करने से लेकर सोशल मीडिया पर किसी भी पार्टी-विरोधी पोस्ट को लाइक करने पर भी शो काज जारी करने का प्रावधान है. नेताओं और कार्यकर्ताओं की सोशल मीडिया पोस्ट पर निगाह रखने के लिए गठित अनुशासन समिति ने यह फरमान जारी किया है. पार्टी के एक नेता इसकी पुष्टि करते हैं. 

यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद के छोटे-बड़े कई नेता सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर पार्टी की नीतियों और कामकाज की आलोचना कर चुके हैं. इनमें प्रदेश स्तर के कई नेता भी शामिल हैं. किसी ने सीधे टिप्पणी की है तो किसी ने परोक्ष रूप से. ऐसे में प्रदेश बीजेपी नेताओं को आशंका है कि अगर यह सब इसी तरह चलता रहा तो पार्टी में अनुशासन नामक कोई चीज नहीं रह जाएगी. पार्टी के भीतर के दुश्मनों पर नकेल कसने के लिए ही यह नया फरमान जारी किया गया है. 

अनुशासन समिति ने पार्टी-विरोधी टिप्पणियों के लिए अब तक दर्जनों लोगों को शो कॉज जारी किया है तो कइयों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि कई कार्यकर्ता खुद भले पार्टी-विरोधी पोस्ट नहीं लिख रहे हों, वे दूसरों की लिखी ऐसी पोस्ट को लाइक कर रहे हैं और उस पर टिप्पणी कर रहे हैं. 

बीजेपी ने पार्टी के बांकुड़ा के सांसद सुभाष सरकार को अनुशासन समिति का प्रमुख बनाया है. सुभाष का कहना है कि समिति ने तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को दो-टूक शब्दों में कह दिया है कि बीजेपी के खिलाफ टिप्पणी करने वालों को फेसबुक मित्रों की सूची में नहीं रखा जा सकता. अगर किसी की मित्र सूची में ऐसे व्यक्ति हैं तो उनको तत्काल हटाना होगा. ऐसा नहीं करने पर पार्टी कड़ी कार्रवाई करेगी. सांसद ने कहा है कि पार्टी विरोधी किसी पोस्ट पर लाइक या कमेंट भी नहीं किया जा सकेगा. ऐसा करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. 

लेकिन अनुशासन समिति के इस तालिबानी फतवे के खिलाफ पार्टी में आवाजें उठने लगी हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर सवाल करते हैं कि यह कैसा फतवा है? अब क्या यह भी पार्टी तय करेगी कि फेसबुक पर कौन मेरा मित्र होगा और कौन नहीं? इस फतवे से निचले स्तर के कर्मचारियों में फैली नाराजगी और असंतोष को दबाना मुश्किल है. 

जिला स्तर के कई नेताओं की राय में ऐसे फतवे का प्रतिकूल असर होने की संभावना ही ज्यादा है. कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के एक नेता कहते हैं कि ऐसे फतवों से कोई फायदा नहीं होगा. कार्यकर्ताओं में फैले असंतोष को दूर करना जरूरी है. वैसा नहीं होने की स्थिति में हताशा और बढ़ेगी. 

दूसरी ओर, अनुशासन समिति की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं. पार्टी के एक गुट का कहना है कि खुद इस समिति में ही अनुशासन की कमी है. समिति की ओर से उत्तर 24-परगना जिले के कमरहाटी के एक बीजेपी कार्यकर्ता अमिताभ राय को बीते शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय बुलाया गया था. लेकिन उनके साथ वहां मारपीट की गई. अमिताभ का कहना था कि समिति के प्रमुख सुभाष सरकार ने उनको बातचीत के लिए बुलाया था. लेकिन युवा मोर्चा के कुछ कार्यकर्ताओं ने वहां मारपीट की. सुभाष सरकार ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा है कि अमिताभ लगातार सोशल मीडिया पर पार्टी-विरोधी टिप्पणियां कर रहे थे. इससे कुछ कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी. 


 

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