लखनऊ. भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि शनिवार को प्रदेश में हुए जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भाजपा ने खरीद-फरोख्त के बल पर जीता है, क्योंकि इस चुनाव में वोट डालने वाले जिला पंचायत सदस्यों का पर्याप्त संख्या बल उसके पास था ही नहीं.
भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार शाम को घोषित चुनाव परिणामों पर त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष का अधिकांश चुनाव धनबल, बाहुबल और प्रशासनिक मशीनरी का दुरुपयोग कर जीता है. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव में काफी पीछे रही भाजपा की लोकप्रियता में अचानक रातों-रात इजाफा नहीं हो गया. यहां तक कि मथुरा, अयोध्या, बनारस, लखनऊ, गोरखपुर जैसे भाजपा के लिए महत्वपूर्ण जिलों में भी उसके जिला पंचायत सदस्य काफी कम संख्या में जीते थे और पार्टी बहुमत से दूर थी. लेकिन इन जिलों में भी उसका अध्यक्ष पद पर कब्जा करना बताता है कि यह लोकप्रियता का नहीं, बल्कि मुख्य रूप से 'सुटकेस राजनीति' या थैले का कमाल है.
माले नेता ने कहा नामांकन के दिन (26 जून) से ही यह साफ हो गया था कि भाजपा विधानसभा चुनाव की पूर्व वेला में जिला पंचायत अध्यक्ष के पद हड़पने के लिए सारे हथकंडे अपना सकती है और किसी भी हद तक जा सकती है. इसके लिए विपक्षी उम्मीदवारों को कई जिलों में नामांकन करने से रोका गया. भाजपा-विरोधी जिला पंचायत सदस्यों को धमकाने से लेकर पुलिस का उपयोग कर उत्पीड़न करने, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने और नजरबंद करने जैसी कार्रवाइयां की गईं और भाजपा प्रत्याशी को वोट करने के लिए अनावश्यक दबाव डाला गया. इसके साथ-साथ सत्तारूढ़ दल की ओर से पैसों का खेल भी खूब चला. भाजपा ने यह चुनाव लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर और संविधान का अपहरण कर भ्रष्टाचार के बल पर जीता है.
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