चंचल
8 जुलाई . आज एक 'समाजवादी ' चंद्रशेखर जी की पूण्यतिथि है, गो कि इस अजीम शख्सियत के साथ कई और तमगे लटके हैं, मसलन ' प्रधान मंत्री ' 'जनता पार्टी सदर' , या 'यंग टर्क' वगैरह . इन सब खिताबों को ' पूर्व ' लगा कर लपेटा जा सकता है , लेकिन एक सोच , जिसे वे आजीवन जीते रहे , और चिता तक साथ ले गए, वह थी उनकी समाजवादी सोच और उसका जीवन . चंद्रशेखर का ख्वाब कभी भी प्रधानमंत्री बनने का नही था , उनका सीधा सा हस्तक्षेप था - वे जिस पार्टी के सदस्य हैं , सांसद हैं , वह पार्टी सरकार में है , और उस पार्टी से बना प्रधानमंत्री छल और कपट से उस ओहदे तक आया है , यह उनका विरोध था . इस ' छल और कपट ' की कहानी सब को मालूम है कि किस तरह देवीलाल को सामने लाकर वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने . वीपी बनाम चंद्रशेखर एक अधूरा चैप्टर है . बहरहाल
77 में सत्ता पर पहुंची जनता पार्टी में प्रधानमंत्री बनने का दावा चंद्रशेखर पेश कर सकते थे , लेकिन वे उससे दूर ही रहे गो कि चंद्रशेखर जी जे पी के सबसे प्रिय थे , तमाम दलों के मिलन से बनी जनतापार्टी में समाजवादी लोंगो का मजबूत दबदबा भी था , जो हरहाल में चंद्रशेखर जी के साथ रहता . तो चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर क्यों नही बढ़े ? इस पर बाद में आते हैं . चंद्रशेखर यंग टर्क हैं . धारा के विरुद्ध खड़े होने की आदत चंद्रशेखर को यंग टर्क बना देती है . संक्षेप में बता रहा हूँ - 1954 मै जे पी प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को एक खत लिखते हैं ,पंडित नेहरू के उस खत के जवाब में ,जिसमे जवाहर लाल जी समाजवादियों से कांग्रेस में वापसी का आग्रह करते हैं . जे पी अपने खत में 14 शर्त बताते हैं कि इसे पूरा कर दीजिए हम कांग्रेस में वापस आ जांयगे . पंडित नेहरू इस चौदह सूत्र से सहमत हैं, लेकिन उन्हें यह भी मालूम है कि अगर ये शर्त मान लिया तो पार्टी टूट जयगी . पंडित नेहरू यह जोखिम नही लेना चाहते थे चुनांचे जेपी का खत ठंढे बस्ते में चला गया . यही शर्त पंडित नेहरू की बेटी श्रीमती इंदिरागांधी 1969नेकीराम नगर कांग्रेस में उठा देती हैं और कांग्रेस पार्टी श्रीमती गांधी को पार्टी से बाहर कर देती है . इंदिरा जी के साथ पांच लोग और निकलते हैं वे हैं - चंद्रशेखर , कृष्ण कांत, मोहन धारिया , रामधन और अर्जुन अरोड़ा . इन्हें यंग टर्क कहा गया .
इतिहास बहुत लंबा है . नेपथ्य में एक सवाल चीख चीख कर पूछ रहा है - क्या ये तीन लोग जे पी , चंद्रशेखर और मधु लिमये - जनतापार्टी तोड़ कर कांग्रेस को पुनः लाना चाहते थे ?
जवाब मिलेगा .
विनम्र नमन 'अध्यक्ष ' जी
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