सरकार हड़ताल को अवैध घोषित करने वाला अध्यादेश वापस ले

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सरकार हड़ताल को अवैध घोषित करने वाला अध्यादेश वापस ले

भोपाल . किसान संघर्ष समिति  के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम की अध्यक्षता में 283 वीं  किसान पंचायत  ऑनलाइन सम्पन्न हुई.ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित करते हुए  डॉ सुनीलम ने  कहा कि दिल्ली की बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन को आज 228 दिन हो गए हैं.525 किसानों की शहादत के बावजूद केंद्र सरकार 3 किसान विरोधी कानून रद्द करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने तथा सभी कृषि उत्पादों की लागत से डेढ़ गुना दाम पर खरीद की कानूनी गारंटी देने को तैयार नहीं है. इसी तरह कोरोना काल में सरकार ने श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए 4 लेबर कोड देश के 54 करोड़ मजदूरों पर थोप दिए हैं .16 जून को डिफेंस फैक्ट्रियों की हड़ताल से घबराकर मजदूरों  की हड़ताल को अवैध घोषित करने वाला अध्यादेश लागू कर दिया गया है जैसा 1974 की हड़ताल के पहले लागू किया गया था.  
डॉ सुनीलम ने कहा कि हाल ही मे 23 हजार करोड़ से बनने वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट जिससे देश में 182 एम्स के स्तर के अस्पताल बन सकते है, के खिलाफ संघर्ष की शुरूआत की गई है.किसान संघर्ष समिति आन्दोलन का समर्थन करेगी। 
      किसान पंचायत में मुंग उत्पादक किसानों की पूरी उपज खरीदने, चिंकी बांध निर्माण कार्य पर रोक लगाने , रेल्वे द्वारा अधिग्रहित की गई  भूमि के बदले परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और पांच लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने , खरगोन में सेंचुरी कपड़ा मिल के मजदूरों को जबरिया वी आर एस रोक लगाने , आदिवासियों को जमीन से  वन विभाग द्वारा बेदखल किए जाने पर तत्काल रोक लगाने, ग्रामीण क्षेत्रों में सभी का वेक्सिनेशन निशुल्क करने की मांग सम्बन्धी प्रस्ताव पारित किए गए। 
      किसान पंचायत को संबोधित करते हुए किसंस की उपाध्यक्ष एड. आराधना भार्गव ने कहा कि सरकार किसानों की उपज की एमएसपी पर खरीदी करने के लिए पंजीयन तो कराती है लेकिन पूरी उपज की सही समय पर खरीद नही करती. मुंग उत्पादक किसानों के पंजीयन होने के बावजूद एक महिने से खरीद शुरू नही की है। 
उन्होंने नेमावर  हत्याकांड पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में आदिवासियों पर लगातार आत्याचार हो रहे है. 
        किसान संघर्ष समिति के मालवा निमाड़ संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने मानपुर की खेती की जमीन पर पीथमपुर की कंपनियों का जहरीला केमिकल डंप किए जाने और उससे पेयजल स्रोत और खेती बर्बाद होने की स्थिति पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले 1 महीने से इंदौर और धार जिले की 2 पंचायतों के 40 से ज्यादा गांव के लोग पीने के पानी को तरस रहे हैं और आदिवासियों में आक्रोश है.रविवार को वहां बड़ी किसान महापंचायत हुई है और आगे भी आंदोलन को तेज किया जाएगा.इसी के साथ सेंचुरी कपड़ा मिल के मजदूरों को जबरिया वी आर एस और गैरकानूनी तरीके से मिल बंद किए जाने तथा आदिवासियों को जमीन से  वन विभाग द्वारा बेदखल किए जाने पर भी उन्होंने प्रकाश डाला और अपील की कि आदिवासियों की भूमि और मकान छीने जाने के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की जरूरत है जिसमें सभी जन संगठनों की भागीदारी होना चाहिए। 
     रीवा से संयुक्त किसान मोर्चा संयोजक शिव सिंह  ने कहा  कि रेलवे भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की एक बड़ी समस्या प्रदेश के अंदर खड़ी है.रीवा सीधी सिंगरौली रेल मार्ग के लिए सन 2009 एवं 2010 में किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी.मुआवजे के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी दिए जाने का प्रावधान था.जब नौकरी नहीं दी जा रही थी उस दौरान उन्होंने लगातार लड़ाई लड़ी है.अभी तक  भूमि अधिग्रहित लगभग 800 परिवारों में से लगभग 400 परिवारों के एक एक सदस्य को नौकरी दी गई है शेष अभी नौकरी से वंचित है.जिन किसान परिवारों के बच्चे नाबालिग थे उनको नौकरी नहीं दी जा रही और जिन किसानों ने अपने नाती को नौकरी हेतु आवेदन दिल आया था उनको नौकरी नहीं दी जा रही तथा एक आदेश रेलवे बोर्ड ने नवंबर 2019 में जारी किया है की अब जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाएगी उनको मुआवजे के साथ नौकरी के बदले पांच लाख रूपये की सहायता अतिरिक्त दी जाएगी नौकरी नहीं दी जाएगी.इसी तरह बालाघाट के किसानों के साथ भी रेलवे प्रबंधन निर्णय किया है कटंगी तिरोड़ी ब्रॉड गेज लाइन हेतु 214 किसान परिवारों की जमीन अधिग्रहित की गई थी  जिसमें  मात्र 42 लोगों को नौकरी दी गई है शेष अभी भी वंचित हैं । 
      सागर से भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन के अध्यक्ष संदीप ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में हर एक छोटे-छोटे कामों के लिए सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाने पड़ते हैं.मनरेगा, मकान निर्माण कार्य ,कूप खनन, सड़क निर्माण कार्य सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों की सिफारिश के बगैर नहीं किए जाते हैं.कई महीने से किसान आंदोलन चल रहा है प्रदेश में भी कई बार धरना प्रदर्शन ज्ञापन दिए गए लेकिन यह गूंगी बहरी सरकार देखने, और सुनने को तैयार नहीं। 
      सागर से किसंस के जिलाध्यक्ष एवं सेवा निवृत्त सैनिक अभिनय श्रीवास ने कहा कि सागर के किसानों की आवाज को दबाई जा है.किसान आंदोलन से सागर के किसानों को ताकत मिली  है.सागर की  प्रसिद्ध झील पर अतिक्रमण की मांग को लेकर वे शीघ्र ही जिलाधीश को ज्ञापन सौंपेंगे। 
    किसंस के रीवा क्षेत्र संयोजक इंद्रजीत सिंह ने कहा कि रीवा में 191 दिन से  किसान आंदोलन  चल रहा है.  13 जुलाई को अघोषित बिजली कटौती व अन्य विद्युत समस्याओं को लेकर रीवा में अधीक्षण अभियंता कार्यालय पर घेरा डालो -डेरा डालो आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किया जा रहा है .रीवा जिले से 22 जुलाई को लोकसभा कार्यवाही दौरान  किसान  दिल्ली आंदोलन में शामिल होंगे तथा कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन करेंगे.  
    सिवनी से किसंस के प्रदेश सचिव डॉ राजकुमार सनोडिया ने कहा कि  पेंच व्यापवर्तन परियोजना से प्रभावित किसानों की भूमि जिसमें मलवा ,पत्थरों का ढेर पड़ा है एवं पानी निकासी ना होने से किसानों को हर वर्ष फसल क्षति हो रही है उन स्थलों का निरीक्षण कर क्षति पूर्ति राशि दिलाई जाय एवं सरकार द्वारा किये गये वादे का पालन करते हुए लालमाटी क्षेत्र में पानी की अविलंब व्यवस्था किसानों के लिए की जाय । 
    रायसेन से किसंस के प्रदेश सचिव श्रीराम सेन ने कहा कि 22जुलाई को किसानों की आवाज संसद तक पंहुंचाने   वे साथियों के साथ दिल्ली पहुंचेंगे। 
    हरदा से किसंस जिलाध्यक्ष योगेश तिवारी ने कहा कि सरकार फसल बीमा की किस्त किसानों से लेती है लेकिन फसल नष्ट होने पर ना तो फसल बीमा की दावा राशि दी जाती है ना मुआवजा मिलता है.प्रदेश में अवैध रेत खनन माफिया पर अंकुश लगाने में सरकार नाकाम रही है। 
    सिवनी से वरिष्ठ किसान नेता रघुवीर पटेल ने कहा कि किसान एक ओर महामारी से लड़ रहा है दूसरी ओर सरकार महंगाई बढ़ाकर किसान, मजदूर और आम नागरिकों का शोषण कर रही है.हमें बीमारी के साध साध सरकार की गलत नीतियों से भी लड़ना है। 
    नरसिंगपुर से बीकेयू के जिला अध्य्क्ष  बाबूलाल पटेल ने कहा कि चिंकी बांध बहुत उंचाई तक बन रहा है .सरकार डूब क्षेत्र की सही जानकारी किसानों को नही दे रही है. किसानों को मात्र  2 से 3 क्विंटल मूंग की ही एमएसपी पर (7275रू) खरीदी  के मैसेज मिले है. बाकी ऊपज मजबूरन व्यापारियों को 4500 - 5000रू प्रति क्विंटल पर बेच रहे है. 
        सिवनी से किसंस के जबलपुर संभाग के संयोजक राजेश पटेल ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार एवं भाजपा शासित राज्यों की सरकारें  जनांदोलन को खत्म करने पर तुली रही,परंतु किसानों की एकता के सामने  सरकारें चारों खाने चित हो गई है.तमाम हथकंडो से हारकर केंद्र में भारी फेरबदल कर जम्बुजेट अर्थात डायनासोर रूपी मंत्रीमंडल बनाकर जिसमें एक सैकड़ा मंत्रीमंडल का गठन कर टूटी हुई अर्थव्यवस्था की कमर को और तोड़ डाला है और झूठा प्रचार किया जा रहा है कि यह बहुजनों की सरकार है।  
      किसान पंचायत को किसंस महामंत्री भागवत परिहार, मंडला जिलाध्यक्ष राम सिंह कुलस्ते, अलीराजपुर  जिलाध्यक्ष नवनीत मंडलोई, सिवनी से युवा किसान नेता परसराम सनोडिया, महेंद्र कुमार राय,उत्तरप्रदेश प्रदेश महामंत्री रमेश यादव, ग्वालियर से प्रदेश सचिव एडवोकेट राय सिंह किसंस जिला प्रवक्ता कृष्ण कुमार आदि किसान नेताओं ने भी ऑनलाइन किसान पंचायत को संबोधित किया.   

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