डा लीना
पटना. बिहार में चमकी बुखार से डेढ़ सौ से अधिक मौत के बावजूद राजनीतिक हल्कों में सन्नाटा ही है. पक्ष को तो छोड़िये, विपक्ष भी मुद्दे पर राज्य सरकार को नहीं घेर पाया. वहीं विरोध प्रदर्शन करने वाले ग्रामीणों पर ही प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है.
बिहार के मुजफ्फरपुर सहित अन्य जिलों में चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत की हल्की गूंज ही संसद में सुनाई पड़ी, वह भी कई सप्ताह बाद. जबकि बिहार से दर्जनों सांसद दोनों सदनों में हैं. लेकिन इस मसले पर 26 जून को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों की मौत पर पहली बार बोले. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों बिहार के चमकी बुखार की चर्चा हुई है. आधुनिक युग में ऐसी स्थिति हम सभी के लिए दुःखद और शर्मिंदगी की बात है. एक ओर जहाँ संसद में सरकार ने दुख व्यक्त किया वहीं चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत के खिलाफ जब लोग सड़क पर विरोध करने उतरे तो प्रदर्शन करने वाले 39 लोगों के विरूद्ध ही एफआईआर दर्ज करा दी गयी.
घटना वैशाली जिले की है. 23 जून को हरिवंशपुर गांव के लोगों ने चमकी बुखार से बच्चों की मौत, पीने के पानी की कमी और जन सुविधाओं की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था साथ ही हाल जानने आये विधायक राजकुमार को बंधक बना लिया था. काफी मशक्कत के बाद पुलिस उन्हें छुड़ा पाई. जिला प्रशासन ने इस मामले में 25 जून को 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया. खबर है कि गांव के पुरुष गिरफ्तारी के डर से गांव छोड़कर भाग गए हैं. गांव में सिर्फ महिलाएं बची हैं.
चमकी बुखार से प्रभावित भगवानपुर प्रखंड के हरिवंशपुर गांव में 23 जून को पहुंचे लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस और लालगंज विधायक राजकुमार साह को लोगों के जबर्दस्त आक्रोश का सामना करना पड़ा. लोगों ने विधायक को आधा घंटा तक बंधक बनाये रखा. सूचना पर पहुंचे सदर एसडीओ को भी लोगों का आक्रोश झेलना पड़ा. आधा घंटे की मशक्कत के बाद एसडीओ ने विधायक को ग्रामीणों से मुक्त कराया. गांव से निकलते वक्त ग्रामीणों ने विधायक व उनके सुरक्षाकर्मियों को खदेड़ दिया. भगवानपुर प्रखंड के हरिवंशपुर गांव में चमकी बुखार से सात बच्चों की मौत हो चुकी है. दर्जनों बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. इससे ग्रामीणों में जबर्दस्त आक्रोश व्याप्त था.
जहाँ एक ओर चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत से मांओं की गोद सुनी हो रही है. वहीं आक्रोश जताने पर लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया जा रहा है. देखा जाये तो यह शर्मनाक कदम है. चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत के खिलाफ विपक्षी दलों ने भी देर सबेर ढीला-ढाला प्रदर्शन ही किया है. आम लोग बच्चों की मौत पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग करते मिल रहे हैं, लेकिन राज्य के विपक्षी दल इस मुद्दे को नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि विपक्ष की खामोशी के बीच सरकार जनता की आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है.
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