चंचल
यह बनारस है .यहां के सांसद हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी . मोदी का कार्यकाल जिन कई वजूहात से देर तक चर्चा में रहेगा ,उसमे एक होगा उनका भाषा ज्ञान . यह भाषा- तंज और गाली से भी बदतर तासीर से सनी एक सोच की अभिव्यक्ति है . हुकूमत में आते ही सबसे पहले उन संस्थाओं के नाम बदले गए जो हिंदी में थे . अंग्रेजी के नाम पट्टी को नही छुआ गया . योजना आयोग , स्वास्थ्य मंत्रालय वगैरह बहुत उदाहरण है . यहां तक गनीमत रहा , सबसे ज्यादा क्रूर और हैबतनाक मजाक हुआ विकलांगों के साथ . उन्हें दिव्यांग बोला जाने लगा . अब दूसरी तरफ देखिये -
विकलांग में दृष्टिबाधित भी आते हैं . उत्तर प्रदेश में जितने दृष्टिबाधित लोग हैं उनके तादात के मुताबिक अंध विद्यालय नही हैं . जोड़ घटा कर कुल पांच के आस पास अंध विद्यालय है . बनारस में भी एक बड़ा और प्रतिष्ठित विद्यालय है - हनुमान पसाद पोद्दार अंध विद्यालय . और यह बहुत पुराना विद्यालय है . अब तक इस विद्यालय को सरकार द्वारा 75 फीसद सहयोग सरकार देती थी 25 फीसद विद्यालय प्रबंधन करता रहा . मोदी काल आते ही जब विकलांग को दिव्यांग बनाया गया तो 75 फीसद सरकारी सहयोग में कटौती हो गयी और यह 75 से 50 फीसद पर आ गयी . इधर कुछ महीनों से यह 50 फीसद भी बन्द है . विद्यालय प्रबंधन और सत्ता प्रशासन में तकनीकी दिक्कत बता कर विद्यालय को बंद होने के कगार तक पहुंचा दिया है .
नीचे जो फोटो देख रहे हैं यह किसी तमाशे या नुक्कड़ नाटक की नही है . ये सब दृष्टिबाधित छात्र हैं और अपने सांसद से इस सवाल को हल करने की गुहार लगा रहे है .
चित्र विजय मलिक के सहयोग से .
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