कोरोना वारियर्स की मौत का मुआवजा में कितनी देरी

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कोरोना वारियर्स की मौत का मुआवजा में कितनी देरी

पूर्णिया. इस जिले के रहवासी थे मरहूम मो फखरे आलम.पटना के गर्दनीबाग अस्पताल स्थित एड्स कंट्रोल के आईसीटी सेंटर में लेबोरेटरी टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत थे.आईजीआईएमएस, पटना में कोविड 19 जांच की ड्यूटी के दौरान उनकी  मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण 27 जुलाई 2020 को हो गया था.उनकी मौत को एक वर्ष 27 जुलाई 2021पूरा होने में 15 दिन बचा है तब आज  उनकी पत्नी को 50 लाख रु का बीमा राशि प्राप्त हुआ है.  

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कोरोना से मृतक स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को 50 लाख रु बीमा राशि देने का प्रावधान है.हालांकि फखरे आलम के परिजन भाग्यशाली हैं,जिनको बीमा राशि मिल गयी है.ऐसे अनेक बिहार के वॉरियर्स हैं जिनको राशि नसीब नहीं हो रहा है.बिहार के आईएमए मृत चिकित्सकों की सूची पर सूची पेश कर रहे हैं पर मिलता ही नहीं है.  
अनेकों आशाकर्मियों की मौत कोरोना ड्यूटी के कारण हुई है,लेकिन एक को भी 50 लाख रु नहीं मिल सका है. 

आईजीआईएमएस में कार्यरत स्टाफ नर्स श्वेता रॉबर्ट कार्य करने के दरम्यान कोरोना संक्रमण के बाद 13 अगस्त 2020 को मौत हो गयी.स्टाफ नर्स और उसका पति इग्नासियुस केरकेट्टा बेतिया,पश्चिम बिहार के रहने वाले हैं.पति इग्नासियुस केरकेट्टा ने कहा कि आईजीआईएमएस के निदेशक के द्वारा संपूर्ण कागजी औपचारिका पूर्ण कर आवेदन असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को दी गयी.मृत्यु के एक साल होने में एक माह कम में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बीमा राशि नहीं मिली. 

बताया गया कि बिहार राज्य एड्स कंट्रोल कर्मचारी संघ के सचिव मो. फखरे आलम थे.इस 50 लाख को लेने के लिए क्या -क्या पापड़ बेलना पड़ा है,अगर यह कहानी लिखा जाय तो एक किताब बन जाए., काफी जदोजहद , बहुत सारे पेपर तैयार करने व एक वर्ष में लगभग 100 बार ताकीद करने,कार्यलयों का चक्कर काटने के बाद यह 50 लाख रु प्राप्त हुआ है. 

मोदी जी देख लीजिए अपने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत कोरोना से मृतक स्वास्थ्य कर्मियों के परिजनों को 50 लाख रु बीमा राशि देने का यह स्पीड को 5 जी करें.आज अनेकों आशाकर्मियों की मौत कोरोना डयूटी के कारण हुई है,लेकिन एक को भी 50 लाख रु नहीं मिल सका है.अपने अनुभव से कहा जा सकता हूँ कि बीमा का 50 लाख रु सरकार से प्राप्त करना  पूरे भारत की परिक्रमा करने जैसा है.काहे का सुशासन! काहे का डिजिटल इंडिया! कोरोना से जंग कैसा! काहे की सरकार ,जब सबकुछ नियति के अधीन है. 

इस संदर्भ में धीरज कुमार कहते हैं कि आप सभी बिहार राज्य एड्स कंट्रोल कर्मचारी संघ के पदाधिकारी की सच्ची लगन और मेहनत का ही परिणाम है जो ये आज संभव हो सका है.संघ जिंदाबाद . इसी तरह राजा राम सिंह भी कहते हैं कि हमने बहुत महत्वपूर्ण साथी, जनता का सच्चा सेवक और एक बहादुर साहसी कोरोना वॉरियर्स को खोया था.आप सबके प्रयास और मेहनत से मिली यह सफलता राहत पहुंचाने वाली है.शुक्रिया !वहीं बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा राज्य सरकार के निर्णयानुसार 4 लाख अनुग्रह अनुदान परिजन को देने में ढिलाई बरती जा रही है.

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