आलोक कुमार
शेखपुरा.शेखपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे लाखों रुपये के नए 39 रिवाल्विंग बेड कूड़े के ढेर में तब्दील हो गए हैं.इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि यह बिहार की दशा, दिशा और दुर्दशा है.इससे आप समझिए कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में कोरोना काल में पहली बार इस्तेमाल करने के बाद नए रिवाल्विंग बेड को सेंटीटाइज करने के नाम पर फेंक दिया गया है.जो कोरोना प्रथम लहर के समय से पड़ा-पड़ा अब गमले के रूप ले चुके है.जहां दूसरी लहर में कोरोना पीड़ितों को बेड नहीं मिल रहा था,वहां बेड पर फूल खिल रहा है.यह घोर कुव्यवस्था है.
जी हां यह बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के कार्यकाल में हो रहा है.स्वास्थ्य विभाग पंगू बन गया है.इसका नमूना शेखपुरा जिले के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की घोर लापरवाही देखने को मिल रहा है.शेखपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे लाखों रुपये के नए बेड कूड़े और कबाड़खाने में तब्दील हो गए हैं.
एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के तमाम अस्पतालों को 15 दिनों के अंदर तमाम सुविधाओं से सुसज्जित करने की बात कह रहे हैं. वहीं, शेखपुरा के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से लाखों रुपये का सामान कबाड़खाने में तब्दील हो गया है.
इस संदर्भ में शेखपुरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ.अशोक कुमार ने कहा कि केंद्र के पीछे जो रिवाल्विंग बेड पड़ा हुआ है वह दरअसल कीटाणुरहित( डिसइंफेक्ट )करने के लिए रखा गया है.कुल 39 बेड पर कोरोना पीड़ित इस्तेमाल किये थे.सभी बेड को सेनेटाइज कर धूप में रखा गया है.''कोरोना की पहली वेव के समय विभिन्न स्थानों पर कोविड केयर सेंटर बनाया गया था. कोरोना की लहर समाप्त होने के बाद सभी बेडों को यहां रखा गया है, जिसे जल्द ही सभी पीएचसी में भेज दिया जाएगा.'' यह कैसा सेनेटाइज किया जा रहा है कि जहां बेड में फूल और जंगली झाड़ उग गए हैं डॉ.अशोक कुमार? बेहतर जगह पर रख देते.
यह भी अब सवाल उठता है कि कोरोना काल की दूसरी लहर में लोगों को बेड के लिए जद्दोजहद करना पड़ा था. यदि उस समय इन बेडों को उपयोग में लाते तो शायद कई जिंदगियाों को बचाया जा सकता था.
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