पर यह कश्मीर है किसका ?

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पर यह कश्मीर है किसका ?

चंचल 

कश्मीर कई है. एक है पंडित नेहरू का.दूसरा है तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल का.तीसरा है कश्मीर का एक मात्र नेता शेखअब्दुल्ला का.चौथा है शेखचिल्ली का. सबक एक - पंडित नेहरू कश्मीरी पंडित थे , कश्मीर से उनका विशेष लगाव था वे किसी भी कीमत पर कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा नही बनने देना चाहते थे. सबक दो - सरदार पटेल निजाम हैदराबाद के विलय के जबरदस्त पैरोकार थे न कि कश्मीर के.अपने एक बयान में सरदार पटेल कश्मीर को पाकिस्तान को दे देना चाहते थे , तुर्रा देखिए कश्मीर के भारत मे बने रहने पर पंडित नेहरू से ज्यादा मोहम्मद अली जिन्ना अड़े हुए थे कि हमे कश्मीर नही चाहिए शेख अब्दुल्ला मुसलमानों का ही नही सारे कश्मीर का नेता है वह इस्लाम सरकार को कत्तई नही कबूल करेगा.

 जिन्ना की सोच अपनी जगह बिल्कुले सही थी , क्यों जब पाकिस्तान बनने की चर्चा चली तो पूरे देश मे जिस तरह हिन्दू बनाम मुसलमान हुआ वह कश्मीर में कत्तई नही था.वहां दोनों कौमे एक दूसरे के साथ मोहब्बत से रह रही थी.सबक तीन - भारत मे कश्मीर का विलय कुछ शर्तों के साथ हुआ है उसमें 370 भी है.कश्मीर को अन्य सूबों से अलग एक विशेष दर्जा मिला है.इसी के तहत कश्मीर में अपना संविधान बना.इस संविधान को बनाने वाली संविधान सभा को ,संविधान स्वीकृति के बाद भंग कर दिया गया.यह ' भंग' कश्मीर और भारत के संबंधों की सबसे बड़ी पेंच है.भारत की संविधान सभा भांग नही हुई है , ' स्थगित ' की गई है.अब कश्मीर और दिल्ली कोई भी इस 370 कि तरफ बढ़ कर उसे उठानी की कोशिश करेगा तो कश्मीर खुदमुख्तारी की दरखास्त लेकर दुनिया की पंचायत के सामने होगादिलचश्प बात है कि दिल्ली सरकार के सैकड़ो संसोधन कश्मीर के चुने प्रतिनिधि उसी (कश्मीर ) अपने संविधान में जोड़ चुके हैं वे अपने आप निरस्त हो जायेंगे.

सबक पांच - भारत की सियासत में शेखचिल्लियों का एक अपना कनफूसिया इतिहास है.वह बगैर पांव के चलता है.अनाप शनाप.इस कनफूसिया का पहला सबक है नेहरू से भिड़े रहो.संसद में कांग्रेस ने रोका क्यों नही इतिहास के गलत बयानी पर ?

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