'ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है'

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'ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है'

पटना.भारत एक कल्याणकारी राज्य है.लोक-कल्याणकारी राज्य के द्वारा नागरिकों को न्यूनतम जीवन-स्तर की गारण्टी दी जानी चाहिए. ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि नागरिकों को अपने आपको स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त भोजन, वस्त्र, निवास, शिक्षा और स्वास्थ्य की सामान्य सुविधाएँ अवश्य ही प्राप्त हों. इसके साथ ही राज्य के द्वारा नागरिकों के जीवन-स्तर को निरन्तर ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए. 

नागरिकों के जीवन-स्तर को निरन्तर ऊँचा उठाने का प्रयत्न किया जाना चाहिए.इसी क्रम में अगर किसी नागरिक की भूख से मौत हो जाती है.तो नीचे से ऊपर तक के नौकरशाह भूख से मौत को नकारने में लग जाते है.पोस्टमार्टम करने के दरम्यान पेट में अन्न दिखाकर ही भूख से मौत नहीं होने का प्रमाण पत्र  निर्गत कर देते हैं.इसी तरह ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश में होने की जानकारी राज्यों से' नहीं मिलने का राज्य सरकार पर ठीकरा थोप दिया है.  

बताते चले कि अभी कोरोना का खतरा टला नहीं है.इस बीच केंद्र सरकार की तरफ से मंगलवार को कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है.हालांकि, केंद्र सरकार ने यह माना है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड काफी बढ़ गई थी. दरअसल कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने सरकार से पूछा था कि क्या यह सच है कि Covid-19 की दूसरी लहर में कई सारे कोरोना मरीज सड़क पर और अस्पताल में इसलिए मर गए क्योंकि ऑक्सीजन की किल्लत थी? इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने इस सवाल के लिखित उत्तर में बताया कि 'स्वास्थ्य राज्य का विषय है. सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को कोरोना के दौरान हुई मौतों के बारे में सूचित करने के लिए गाइडलाइंस दिये गये थे. किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि किसी की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है.' 

स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने आगे बताया कि महामारी की पहली लहर के दौरान, इस जीवन रक्षक गैस की मांग 3095 मीट्रिक टन थी जो दूसरी लहर के दौरान बढ़ कर करीब 9000 मीट्रिक टन हो गई. उनसे पूछा गया था कि क्या दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है.पवार ने बताया कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश कोविड के मामलों और मौत की संख्या के बारे में केंद्र को नियमित सूचना देते हैं.उन्होंने बताया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कोविड से मौत की सूचना देने के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं. 

उन्होंने कहा ''इसके अनुसार, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नियमित रूप से केंद्र सरकार को कोविड के मामले और इसकी वजह से हुई मौत की संख्या के बारे में सूचना देते हैं.बहरहाल, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश ने ऑक्सीजन के अभाव में किसी की भी जान जाने की खबर नहीं दी है. 


जब राज्यों की ओर से जानकारी ही नहीं दी गयी तो केंद्र सरकार कैसे आंकड़ाबाजी कर दे.इस ओर केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के भरोसा न बैठकर  पेगासस से जानकारी हासिल करना शुरू कर दी है.पेगासस-फोन टैपिंग मामले पर तेजस्वी यादव का बयान यह है कि बेडरूम में कोई क्या कर रहा है, सरकार अगर ये देखने लग जाए तो इससे बुरा क्या हो सकता है... सरकार को इसमें उत्तर देना चाहिये. 

राष्ट्रीय जनता दल ने कहा कि "ऑक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा!"इस पर राजद का कहना है इसे बेशर्मी, संवेदनहीनता, नंगापन, सीनाजोरी, क्रूरता, सफेद झूठ.... कुछ भी बोल लीजिए, शब्द कमज़ोर ही लगेगा.बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने कहा कि सरकार का जवाब आया है ,कोविद में ऑक्सीजन की वजह से एक भी मौत नही हुई.अगर शर्म आती है सरकार के रहनुमाओं को तो चुल्लू भर पानी में डूब मरों. 

7 महीने पहले आजतक Join करने वाले पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने प्रधानमंत्री को ' बेशर्म' कहा था तो उनको लफ्फाजी और भाषणबाज के कारण नौकरी  छोड़ना पड़ा.कहते हैं मेरे देश के लाखों नागरिकों को कोरोना में मरने के अकेला छोड़ दिया. सरकार ने कहा है कि दूसरी लहर में oxygen की कमी से किसी की मौत नहीं हुई है. अब इस सरकार को क्या कहा जाए? इसके शीर्ष पर बैठे प्रधानमंत्री को क्या कहा जाए? जब मौत ही मानने से ही इनकार कर दिया, तो पीड़ित परिवार मुआवजे के लिए भी क्लैम नहीं कर सकते. 

 

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