आलोक कुमार
रांची.आदिवासी समुदाय और गांवों में विधि-विधान/संस्कार के साथ पत्थलगड़ी (बड़ा शिलालेख गाड़ने) की परंपरा पुरानी है. इनमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है. वंशावली, पुरखे तथा मरनी (मृत व्यक्ति) की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है. कई जगहों पर अंग्रेजों–दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है.झारखंड के आंदोलनों का इतिहास का दस्तावेज पत्थलगड़ी पर शहीद फादर स्टेन स्वामी सहित अन्य साथियों के नाम अंकित कर दिया गया.
स्टेन स्वामी स्टेनस्वामी स्टेन झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता थे. स्टेन स्वामी को सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. झारखंड में चल रहे जल, जंगल, जमीन, विस्थापन जैसे आंदोलन को उन्होंने बौद्धिक समर्थन दिया. फादर स्टेन स्वामी 60 के दशक में तमिलनाडु के त्रिचि से झारखंड पादरी बनने आए थे. थियोलॉजी (धार्मिक शिक्षा) पूरी करने के बाद वह पुरोहित बने, लेकिन ईश्वर की सेवा करने की बजाय उन्होंने आदिवासियों और वंचितों के साथ रहना चुना. वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी और अन्य वंचित समूहों के लिए काम करते रहे. उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों के ओर से लूट, विचाराधीन कैदियों के साथ-साथ कानून पर काम किया. इससे पहले पिछले जुलाई 2018 में झारखंड की खूंटी पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो समेत 20 अन्य लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया था.
शहीद स्टेन स्वामी पर पत्थलगड़ी आंदोलन के मुद्दे पर तनाव भड़काने के लिए झारखंड सरकार के खिलाफ बयान जारी करने के आरोप थे. झारखंड की खूंटी पुलिस ने स्टेन स्वामी समेत 20 लोगों पर राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया था.सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने स्टेन स्वामी समेत 20 लोगों पर से राजद्रोह का मामला उठा लिये.
इस बीच स्वामी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 08 अक्टूबर 2020 में एल्गार परिषद मामले में कड़े गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत रांची से गिरफ्तार किया था और नवी मुंबई के तलोजा सेंट्रल जेल में 09 अक्टूबर बंद कर दिया था.
उन पर आरोप था कि एल्गार परिषद मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को एक सभा में कथित भड़काऊ भाषण देने से संबंध है. पुलिस का दावा है कि उक्त भाषण के बाद पश्चिमी महाराष्ट्र के बाहरी इलाकों में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़की थी. पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सभा को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था. एनआईए ने स्टेन स्वामी पर आरोप लगाया था कि वो प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के सदस्य थे. एनआईए ने आरोप लगाया था कि वह इसके मुखौटा संगठनों के संयोजक थे और सक्रिय रूप से इसकी गतिविधियों में शामिल रहते थे. जांच एजेंसी ने उनपर संगठन का काम बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के माध्यम से पैसे हासिल करने का आरोप लगाया था.
आदिवासी और वंचितों के अधिकार के लिए मुखर रहने वाले और भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में आरोपी स्टेन स्वामी का सोमवार 05 जुलाई 2021 को निधन हो गया. मुंबई के होली फैमिली हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली. स्टेन स्वामी की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई होनी थी.
पत्थरगड़ी आंदोलनकारियों को बलात्कारी और मदर टेरेसा के आश्नम को बच्चा बेचने वाला संस्थान बताने वाला अखबार, जिस वजह से खूंटी में हजारो आदिवसियों पर देशद्रोह का मुकदमा हो गया, वह एकबारगी भाजपा विरोधी अखबार कैसे बन गया. इसका अर्थ यही कि देशहित और आदिवासी हित कही आपस में टकराते हैं.झारखंड के आंदोलनों का इतिहास का दस्तावेज पत्थलगड़ी पर शहीद स्टैन स्वामी सहित अन्य साथियों के नाम अंकित कर दिया गया.
6 प्रकार के होते हैं पत्थलगड़ी:-
पत्थर स्मारक: ये खड़े और प्रायः अकेले होते हैं.
मृतक स्मारक पत्थर: ये चैकोर और टेबलनुमा होते हैं. जैसे चोकाहातु (झारखंड) का ससनदिरि के पत्थर स्मारक.
कतारनुमा स्मारक: ये एक कतार में या फिर समान रूप से कई कतारों में होते हैं.
अर्द्धवृताकार स्मारक: ये अर्द्धवृताकार होते हैं.
वृताकार स्मारक: ये पूरी तरह से गोल होते हैं. जैसे महाराष्ट्र के नागपुर स्थित जूनापाणी के शिलावर्त. ज्यामितिक स्मारक: ये ज्यामितिक आकार वाले होते हैं.
खगोलीय स्मारक: ये अर्द्धवृताकार, वृताकार, ज्यामितिक और टी-आकार के होते हैं.जैसे पंकरी बरवाडीह (झारखंड) के पत्थर स्मारक.
पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोधी केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के आह्वान पर प्रखंड के बोहटा चौक में मानव श्रृंखला बना कर शहीद फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि दी गई. यह श्रृंखला सुबह 11 बजे से लेकर 3 बजे तक बना रहा. इस संबंध में मानव श्रृंखला बनाए हुए केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के सदस्यों एवं अन्य प्रदर्शनकारियों ने बताया कि फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु सत्ता प्रायोजित सांस्थानिक हत्या है। जिसके प्रतिवाद में मानव श्रृंखला बनाई गई है, क्योंकि फादर स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगांव मामले में फंसाया गया था.
जिस सबूत का दावा एनआईए कर रही थी उसे फादर स्टेन के कम्प्यूटर में प्लांट किया गया था. यह विदेशी जांच एजेंसी ने साफ कर दिया है. हम सभी प्रदर्शनकारी राज्यपाल व राष्ट्रपति से आग्रह करते हैं कि फादर स्टेन स्वामी की मौत की निष्पक्ष न्यायिक जांच कराई जाए और यूएपीए जैसे कानून को रद्द किया जाए.मौके पर कोर्नेलियुस मिंज, गोपाल खाखा, राजेश टोप्पो (मुखिया चैनपुर पंचायत) जेरोम जेराल्ड कुजूर, सेलेस्टिन कुजूर फ्रांसिस्का सांगा समेत अन्य मौजूद थे.
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