प्रेमचंद की जीवनी लिखो !

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

प्रेमचंद की जीवनी लिखो !

चंचल  
मुंशी प्रेमचंद , सादर नमन .  
31 जुलाई 1880 जन्मतिथि 
प्रश्न छोटे होते थे , जवाब बड़ा होता था . अब प्रश्न सात गुना बड़ा होने लगा और जवाब जुबान से बाहर होकर उंगलियों की हरकत पर आकर टिक गया . पटना के रिकसावालों के ' हैं नू' की तरह . तुक्का है गर आप  कूद कर बैठ गए तो रिक्सा चल पड़ा ,  'नू' को  ना समझ लिए तो घूमते रहिये .  
    छोटा सवाल देखिये . जमाने तक यही चला है . इसी सवाल जवाब पर गांधी , नेहरू , सुभाष ,  लोहिया , मौलाना  निकले हैं . पाणिनि , से लेकर चार्वाक , राजा रमन्ना से लेकर नार्लीकर तक आये हैं .  कहाँ तक गिनाए . बहरहाल आइये प्रश्न देखा जाय .  
पहला सवाल लिखो  
एक - निम्न में से   किसी एक की जीवनी लिखो .  
क - मुंशी प्रेमचंद  
ख- ईश्वर चंद विद्यासागर  
ग-  राम वृक्ष बेनीपुरी  
घ - रहीम खानखाना  
और हम दो पन्ने कम से कम लिखते थे .  'मोटकी'  कलम से - जन्म ,  कार्य स्थल ,  कार्य क्षेत्र , रचनाएं और उपसंहार . ' पतरकी ' कलम से पूरा जीवन परिचय . इस तरह कुल तीन पन्ना लेख लिखा जाता था . कामा , सेमी कोलन , अर्धविराम , पूर्ण विराम , मुरधन्नी स , वगैर वगैरह  का ख्याल रखा जाता था . चुन्नी लाल वाहिद तालिबे इल्म रहा जिसने मुतवातिर मार खाने के बावजूद इन तमाम ' विरामो '  'कामा ' कोलन वगैह को छुआ तक नही . बाबू साहब से मार पड़ती तो छड़ी के साथ जानकारी  भी मिलती . मुफ़्त में /  
     -  कमबख्त उर्दू समझ रखा है , उनके यहां ये सारे नुक्ते नही लगते , लेकिन यह देवनागरी  लिपि है इसमें कामा , पूर्ण. विराम लगेगा .  
     - बाबू साहब !उर्दू में ये सब नही लगता ?  
     - नही लगता  अगरचे कई बार बड़े बड़े तुर्रम खान भी गड़बड़ा जाते हैं . मसलन गालिब को सुनो - नुक्ता चीं है गमे दिल उनको सुनाए न बने . अमूमन लोग नुक्ता चीं को गमे दिल के साथ जोड़ लेते हैं , यह गलत है .  
     - आप उर्दू कहाँ से पढ़े बाबू साहब ?  
      - हमारे जमाने मे उर्दू अरबी फारसी की पढ़ाई होती थी . हमारे उस्ताद थे पंडित चिंतामणि उपाध्याय .  
       - बाभन होकर उर्दू पढ़ाते थे ?  
       -  भाषा किसी जाति या धर्म की नही होती .  
       - हम लोग उर्दू पढ़ना चाहें तो पढ़ सकते हैं ? आप पढा देंगे ?  
         - बिल्कुल पढा  देंगे . नाम बताओ कौन कौन उर्दू पढ़ेगा ?  
      चुन्नी लाल सबसे पहले हाथ उठाया .( ससुरा कामा पूर्ण विराम से तो जान बचेगी . ) 
      और छुट्टी हो गयी . बच्चे अपने अपने गांव की ओर भागे ,  फदर फदर करते . साथ मे संदेश भी गया - भाषा किसी जाति या धर्म की नही होती .  
                    000 
जमाना बदला . तरक्की का ऐलान हुआ . पहला घन  गिरा  किताब पर . अब सवाल लम्बे थे और उत्तर , पेंसिल की बांकी अदा पर जा गिरी . तुक्का  लगाओ .  
प्रश्न है -   
           मुंशी प्रेमचंद  पैदा हुए - यहां चार ऑप्शन है. इसमे से एक सही है .  जो सही  है उस पर पेंसिल से टिक का निशान लगाइए  
     A - 26 जनवरी 1951  ,  B - 9 अगस्त 1942 
     C - 31 जुलाई 1880  , D- 2 अक्टूबर 1869 
 
      चन्नी लाल पहले ही झटके में पास बाद बाकी सब फेल .  
           आज मुंशी प्रेमचंद का जन्मदिन है . सादर प्रणाम मुंशी जी .

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :