अमित प्रकाश सिंह
सच्चे दिन या अच्छे दिन ? ! कुछ समझ नहीं आया.हालांकि एक मित्र ने बताया, हमारा अभी स्वर्णिम युग है. दीदी कह गई है ,आएगा नवयुग तब होगा हमें खतरा !.किसी ने कहा,सुनते रहो जानकारों की बातें.जिनके दिल में कमल है वे ही आज भी दीदी की सवारी ढो रहे हैं और दोनों ओर से पगार ले रहे हैं. जो हो, दीदी ने दिल्ली से विदा ली.
बंगाल में फिर अपनी सरकार जमा कर दीदी बमुश्किल अपनी दिल्ली यात्रा पर आईं. इसबार उनकी जीत की खासियत रही कि राज्य में कभी तीन दशक से ज्यादा राज करने वाले तो एकदम ही साफ हो गए. क्या यह मिलाजुला खेल था ? खैर, दीदी ने दिल्ली में अंदरखाने भी थाह ली. विपक्ष के बाजुएजोर को परखा .अपने लोगों पर खास ध्यान दिया. जो दिखाने को उनके साथ तो थे , पर मन से हमेशा कमल के साथ रहे और आगे भी रहेंगे. पर दीदी ने उन्हें जता दिया , एबार दिल्ली में खेला होबे.
दिल्ली की सीमाओं पर अपनेआन्दोलन के आठ महीने पूरा करने जा रहे किसान तीन काले कानून पास कराने का आंदोलन और तेज चला रहे है.उन्होंने समांतर जनसंसद भी चलाई . इजराइल के जासूसी हथियार पेगासस से हिंदुस्तानी जन नेताओं ,सेना के लोगो, न्यायाधीश,मंत्रियों,पत्रकारों आदि की जासूसी कराने वाले साफ्टवेयर का इस्तेमाल करने वाली लोकप्रिय सरकार को संसद चलाने में विपक्ष ने दो सप्ताह तक जम कर छकाया. यहीं जानकारी मिली कि कोई मरीज आक्सीजन के बिना नहीं मरा.और कि कोरोना महामारी को बेहतर तरीके से वूपी की सरकार ने संभाला .भले गंगा में लाशें देखी गई, और गंगा किनारे इतने शव दफनाए गए.दिलली और आसपास के श्मशानों के बाहर भी लाशों का दाह संस्कार हुआ. यदि सब कुछ बडे अच्छे तरीके से हुआ तो मरने वालों के आंकडों में क्यों इतना अंतर.और तो और,सीमाविवाद में एक राज्य की पुलिस ने दूसरे राज्य की पुलिस पर गोली चला दी .इसमें पांच मारे गए. खैर. बिना चर्चा, संसद में दो बिल जरूर पास हो गए जिससे सबको यह संदेश मिला कि सरकार को कतई परवाह नही.विरोध की.
अब जनता सोच रही है कि यही सुशासन है क्या ?
दीदी के दिल्ली आने से जनता को एक उम्मीद जरूर बंधी. आने वाले दशहरे के दिनों में कोलकाता के कुम्हारतुली में शायद ऐसी मूर्ति भी बने . घायल बाघिनी ने कैसे परास्त किया बल, धन और संपदा संपन्न उस पार्टी को जो आदमी को आदमी से जाति,धर्म,और लिंग के आधार पर अलग अलग करके बंगाल जीतने चली थी. बंगाल को बचा लिया तब घायल हुई दीदी ने. दीदी ने कहा था ,खेला होबे .
दीदी ने अपनी यात्रा में अपने प्रदेश की सडकों,ग्रामीण सडकों,समुद्री और ग्रामीण इलाकों में विकास,उद्योग आदि मुद्दों पर केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों से बातचीत की.सबको जता दिया कि देखो राज्यों से भेदभाव कितना है.उन्होंने देश में पेट्रोल - डीजल और रसोई गैस की कीमतों में उछाल पर भी चिंता जताई .केंद्र को जिम्मेदार बताया .पूछा ,इस देश की गरीब जनता क्या खाए,क्या पीए, कैसे इलाज कराए ? राज्य को कोरोना बीमारी के इंजेक्शन भी उतने नहीं दे पाती यह केंद्र सरकार .यह कैसा सुशासन है ?
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