आलोक कुमार
पटना.बिहार की 59 जेलों में क्षमता से लगभग 14000 कैदी अधिक बंद हैं.इन जेलों में बंद कैदियों को संतुलित भोजन नहीं मिलने का आरोप है.यह आरोप दीघा पटना के रहवासी मनोज मांझी ने लगाया है.इनको किसी के इशारे पर दीघा थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दी थी.फुलवारीशरीफ कैम्प जेल में थे.कोरोना काल में गिरफ्तार होने के बाद आरोपियों को कैम्प जेल में रखा जाता है.जहां इम्युनिटी बढ़ाने वाला भोजन के बदले इम्युनिटी घटाने वाला भोजन दिया जाता है.कहा जाता है कि केवल छापामारी के दौरान ही दिलखुश कर देने वाला ही भोजन परोसा जाता है.शेष दिन भोजन को देखकर ही छोड़ देने को मजबूर होना पड़ता है.
इसके साथ कोरोना महामारी के दौरान कैदियों की बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है. लिहाजा अब प्रदेश में जेलों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है. जेल प्रशासन से मिल रही जानकारी के अनुसार एक-एक हजार की क्षमता की 9 जेलों का निर्माण किया जाएगा. इसमें नालंदा का राजगीर, नवादा का रजौली, सारण का मढ़ौरा, सिवान का महाराजगंज, गोपालगंज का हथुआ, पूर्वी चंपारण चकिया और पकड़ीदयाल वैशाली का महनार और सहरसा का सिमरी बख्तियारपुर शामिल है.इन सभी काराओं की क्षमता एक-एक हजार बंदी रखने की होगी. जिसके लिए गृह विभाग की ओर से कारा निर्माण के लिए जमीन चिह्नित करने के लिए संबंधित डीएम को निर्देश दिया गया है.
जानकारी के अनुसार मंडल कारा भभुआ, जमुई और औरंगाबाद में नए कार्य भवन का निर्माण अंतिम चरण में है. अरवल जिले के मंडल कारा और पटना के पालीगंज में उपकारा का निर्माण भी लगभग पूरा हो गया है. जल्द ही इसका उद्घाटन कर कैदियों को वहां भी शिफ्ट किया जाएगा.बिहार में 59 जेलों में लगभग 46000 कैदी रखने की क्षमता है और मौजूदा वक्त में लगभग 60000 कैदी बंद हैं, जो की क्षमता से 14000 कैदी ज्यादा है. कोरोना के मद्देनजर लगभग 90 फीसदी बंदियों को करोना की पहली और 15 प्रतिशत को कोरोना वेक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है. इसके अलावे 10 वर्ष की सजायाफ्ता कैदी, जिनकी सजा लगभग पूरी हो चुकी है वैसे डेढ़ सौ कैदियों को भी चिह्नित किया गया है. जल्द ही उनको भी रिहा किया जाएगा.
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