बांग्ला सिनेमा की 'महानायिका' सुचित्रा सेन

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बांग्ला सिनेमा की 'महानायिका' सुचित्रा सेन

जयनारायण प्रसाद 
बांग्ला सिनेमा की 'महानायिका' सुचित्रा सेन ने अपनी मातृभाषा बांग्ला में अनगिनत फिल्में की हैं, लेकिन हिंदी में सिर्फ सात. सुचित्रा सेन जब अपने अभिनय की सबसे ऊंचाई पर थीं, तभी सिनेमा से तौबा कर लिया. बांग्ला सिनेमा से भी और हिंदी से भी. 
वर्ष 1978 के बाद सुचित्रा सेन ने कोई फिल्म नहीं की. उसके बाद पूरी जिंदगी उन्होंने अकेलेपन में बिताया. आधुनिक भारतीय सिनेमा के जितने भी 'लीजेंड' थे, सुचित्रा सेन ने सबके साथ अभिनय किया. दिलीप कुमार, उत्तम कुमार, संजीव कुमार, भारत भूषण, देवानंद, अशोक कुमार से लेकर अभिनेता सौमित्र चटर्जी तक.  
वर्ष 2005 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादा‌ साहेब फाल्के' पुरस्कार देने की घोषणा हुई, लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया. वजह थी सबके सामने आना. वह सबके बीच आना नहीं चाहती थी, क्योंकि सिनेमा से उन्होंने तौबा कर लिया था और एकाकी जीवन जी रही थी. 
सुचित्रा सेन की पहली बांग्ला फिल्म थी 'सात नंबर कैदी', जो वर्ष 1953 में आई थी. सुचित्रा सेन के पहले रुपहले नायक थे समर राय. 'सात नंबर कैदी' के निर्देशक थे सुकुमार दासगुप्ता. उसके बाद आई निर्मल दे निर्देशित फिल्म 'साढ़े चौहत्तर' (1953), जिसके नायक थे 'महानायक' उत्तम कुमार. वर्ष 1953 में सुचित्रा सेन की कुल पांच बांग्ला फिल्में आई थीं. वर्ष 1954 के बाद सुचित्रा सेन की फिल्मों की ऐसी झंडी लगी कि सिनेमा से संन्यास के बाद ही उनका कांरवा थमा. उस समय के बांग्ला सिनेमा के सभी 'दिग्गजों' के साथ सुचित्रा सेन ने काम किया. देवकी कुमार बोस, सुकुमार दासगुप्ता, नरेश मित्रा, अग्रदूत (विभूति लाहा), अजय कर, सुधीर मुखर्जी, अग्रगामी, सुशील मजुमदार, खगेन राय, जात्रिक, असित सेन, सुबोध मित्रा से लेकर हरिसाधन दासगुप्ता तक. सुचित्रा सेन की आखिरी बांग्ला फिल्म थी 'प्रणय पाशा', जो वर्ष 1978 में आई थी और इस फिल्म के निर्देशक थे मंगल चक्रवर्ती. अभिनेता थे सौमित्र चटर्जी. 
जहां तक हिंदी फिल्मों का सवाल है, सुचित्रा सेन ने पहली हिंदी फिल्म की थी 'देवदास'. यह फिल्म वर्ष 1955 में आई थी. निर्देशक थे विमल राय. दिलीप कुमार के साथ सुचित्रा सेन ने अभिनय किया था. फिर, आई 'मुसाफिर' (1957). शेखर इस हिंदी फिल्म के अभिनेता थे. एच मुखर्जी ने इस फिल्म को निर्देशित किया था. वर्ष 1977 में आई भारत भूषण के साथ सुचित्रा सेन की फिल्म 'चंपाकली'. इस फिल्म के निर्देशक थे नंदलाल जसवंतलाल. वर्ष 1960 में बनी 'बंबई का बाबू'. राज खोसला निर्देशित इस फिल्म के हीरो थे देवानंद. वर्ष 1960 में ही देवानंद के साथ सुचित्रा सेन की एक और हिंदी फिल्म आई. नाम था 'सरहद'. निर्देशक थे शंकर मुखर्जी. वर्ष 1966 में आई असित सेन निर्देशित फिल्म 'ममता', जिसके नायक थे अशोक कुमार. 'ममता' असित सेन की ही एक बांग्ला फिल्म का रिमेक थी. हिंदी में सुचित्रा सेन की आखिरी फिल्म थी 'आंधी', जो वर्ष 1974 में रिलीज हुई. संजीव कुमार अभिनीत इस फिल्म के निर्देशक थे गुलज़ार. 
सुचित्रा सेन की यह सदाबहार हिंदी फिल्म अमूमन रोज कहीं न कहीं किसी टीवी चैनल पर दिखाई जाती है. और 'आंधी' के गानों का भी यही हाल है. आते-जाते कानों में इस फिल्म के गाने सुनाई पड़ ही जाते हैं. 

(नीचे तस्वीर में : सुचित्रा सेन और पति दीवानाथ सेन.)

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