रुचि सोया को खरीदने की कहानी भी सुन लें !

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रुचि सोया को खरीदने की कहानी भी सुन लें !

गिरीश मालवीय 

नई दिल्ली देश की एक बड़ी कंपनी पर 12 हजार करोड़ का कर्ज बैंको और बकाएदारों का चढ़ गया.मामला सुलझ नही पाया तो स्पेशल कोर्ट में चला गया, स्पेशल कोर्ट ने कहा कि बैंको और बकायदारों का पैसा कंपनी को बेचकर वसूला जाए.दो कंपनिया सामने आई .दोनों ने बोला कि इसको कंपनी को हम खरीद तो लेंगे लेकिन इसको खरीदने का लिए आधा कर्जा हम उन्ही बैंको से लेंगे जिसके हजारो करोड़ इसमे डूबे हुए है.कोर्ट ने ओके कर दिया.

पहले वाले बोला हम इसे 5474 करोड़ में खरीदेंगे.दूसरे ने बोला हम 5765 करोड़ देगे जिसमे से 4065 ही कर्जदारों को मिलेंगे.कोर्ट ने कहा कि 'पहला वाला भले ही रकम कम दे रहा है, लेकिन कर्जदारों को अधिक प्रॉफिट है. कंपनी चलाने के लिए पैसा लगाने के मुकाबले कर्ज का भुगतान अधिक महत्‍व रखता है. इसलिए पहले वाले की बोली मंजूर है.'

बाद में पहले वाला पीछे हट गया. दूसरे वाले ने कहा कि 'हम सौ -दो सौ करोड़ बढ़ा देते हैं .कोर्ट ने कहा कैसे पैसे दोगे, तो कंपनी ने कहा कि 3,233 करोड़ रुपए बैंकों से उधार लेंगे और 1,185 करोड़ रुपए अपनी जेब से देंगे .कोर्ट ने ओके कह दिया.



जब बात पैसे देने की आ गयी तो कंपनी पलट गई, बोली हम तो 1185 करोड़ नही दे पाएंगे, हम अपनी जेब से 600 करोड़ ही दे पाएंगे, अब हम 3700 करोड़ का कर्ज लेंगे, स्पेशल कोर्ट बेचारी क्या करती, उसने फिर ओके  कर दिया.पहली कम्पनी इसके बावजूद हीलेहवाले करने लगी, बोली कि हमको अब भी दिक्कत है. कोर्ट ने कहा तू तो भैया बस हमे इतना बता देना कि ये 600 करोड़ कहा से लाया है, आज से कंपनी तेरी हुई.ये है कहानी रूचिसोया की, जिस पर 12 हजार करोड़ का कर्जा है, जिसे अपनी जेब से सिर्फ 600 करोड़ देकर बाबा #रामदेव की पतंजलि खरीद रही है ,स्पेशल कोर्ट है एनसीएलटी  .कोर्ट के सामने पतंजलि के वकील ने कहा था कि 600 करोड़ की राशि आंतरिक स्त्रोतों से जुटाई जाएगी लेकिन अभी तक विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया है, जबकि ट्रिब्यूनल 2 बार निर्देश दे चुका है.

. इस रेजोल्यूशन प्रक्रिया से रुचि सोया के कर्जदाताओं को 60फीसद से भी ज्यादा का नुकसान होगा.इसके बावजूद भीएनसीएलटी ने गुरुवार को पतंजलि की बोली को आखिरी मंजूरी दे दी है. उसने बस इतना कहा है कि 1 अगस्त को अगली सुनवाई से पहले, पतंजलि द्वारा 600 करोड़ रुपए की फंडिंग के स्त्रोत की जानकारी दे दी जाए. इस मामले  से आप समझ जाइये कि इन अदालतों की क्या कार्य प्रणाली है.

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