संजय कुमार सिंह
नई दिल्ली .पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर लोगों की अलग-अलग राय है. ऐसा मानने वालों की कमी नहीं है कि उन्होंने अमित शाह जैसी हस्ती को तड़ी पार करवाया तो "फल" भोगना ही था.
मेरा मानना है फल देने की कोशिश में तो सरकार पांच साल से लगी थी और कुछ मिल नहीं रहा था. दूसरी ओर, फल देना जरूरी इसलिए हो गया था कि वे पांच साल से लगातार हर हफ्ते सरकार के कारनामों की पोल खोल रहे थे. छापों, गिरफ्तारी के डर और बेटे की गिरफ्तारी से भी कॉलम ना रुका ना तेवर ठंडे पड़े. उल्टे और मारक होते गए. उन्हें गिरफ्तार किया गया. दीवार फांद कर और पिछले हफ्ते पहली बार कॉलम नहीं आया.
कॉलम छपता इतवार को है पर लिखा शुक्रवार को जाता है. उन्हें बुधवार की रात गिरफ्तार किया गया और इतनी लंबी जांच, इतने बड़े मामले के बाद वीरवार को रिमांड मांगी गई चार दिन की. बाद में उनकी हिरासत अवधि 30 अगस्त तक बढ़ा दी गई. देखना है कल क्या होता है और अगले इतवार का कॉलम आता है कि नहीं.
अनपढ़ों और पढ़ने लिखने से दूर रहने वालों की बात अलग है. जो लिखता पढ़ता है वो जानता है कि प्रभाष जोशी ने बाईपास करवाकर भी अपना कॉलम डिक्टेट कराया था और नियमित कॉलम छपा था. साथी संजय सिन्हा छह साल से फेसबुक पर रोज सुबह एक पोस्ट लिख रहे हैं. लगातार. बिना नागा. इसमें एक दिन भी नागा होने का मतलब पाठक ही जानेंगे बाकी लोगों को क्या फर्क पड़ना.और सरकार है कि कश्मीर में अखबार ही नहीं छप पा रहे.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments