संजय कुमार सिंह
दैनिक भास्कर में गुरुवार, 5 सितंबर को आखिरी पन्ने पर एक खबर है, लद्दाख में ₹ 325 करोड़ की लागत से बनेगा पहला मेडिकल कॉलेज. कश्मीर की समस्या खत्म करने की कार्रवाई के तहत लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की घोषणा की गई है. कश्मीर में तो बंद चल रहा है इसलिए आवश्यक है कि कम से कम लद्दाख में गतिविधियां शुरू हों. शायद इसीलिए लद्दाख में पहला मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा देश भर में 75 मेडिकल कॉलेज खोलने की हफ्ते भर पहले की गई घोषणा से अलग है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के इस फैसले की घोषणा की थी और इस बारे में मैंने पिछले हफ्ते लिखा था कि ये कॉलेज कहां खुलेंगे, इसके लिए पैसे कहां से आएंगे यह सब तय नहीं है. देश में मेडिकल कॉलेज के लिए फैकल्टी की कमी पहले से है. नए कॉलेज के लिए फैकल्टी कहां से आएगी इस बारे में भी कुछ नहीं बताया गया था.
ऐसी हालत में हफ्ते भर बाद ही एक और कॉलेज खोलने की घोषणा इस और पहले की घोषणा की गंभीरता पर सवाल उठाती है. यह अलग बात है कि इस कॉलेज की घोषणा केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने की है और अभी यह प्रस्ताव की स्थिति में है. खास बात यह भी है कि आज यह खबर मुझे किसी और अखबार में नहीं मिली. दैनिक भास्कर ने मंत्रालय से मिली जानकारी के हवाले से लिखा है कि 325 करोड़ रुपए की लागत से सरकार मेडिकल कॉलेज शुरू करेगी. इस पर 90% रकम केंद्र सरकार देगी. मेडिकल कॉलेज में लद्दाख के ही 85% स्टूडेंट्स को दाखिला मिलेगा. यहां के स्टूडेंट्स के कोटे की सीटें खाली रहने पर दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स को उन पर दाखिला दिया जाएगा. लद्दाख के सरकारी अस्पताल में फिलहाल बिस्तरों की संख्या 270 है. मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए अस्पताल में कम से कम 300 बिस्तर होने चाहिए. लिहाजा सिर्फ 30 बिस्तर बढ़ने के बाद यहां मेडिकल कॉलेज शुरू किया जा सकता है.
वैसे, किसी अस्पताल में 30 बिस्तर बढ़ाने का मतलब 30 पलंग और गद्दे चादर खरीदकर रख देना ही नहीं होता है। स्टाफ, जगह और दूसरी सुविधाएं भी बढ़ानी होती है और यह इतना आसान नहीं है। यह अलग बात है कि केंद्र सरकार चाहे तो कोई काम मुश्किल भी नहीं है. इसीलिए मैंने लिखा है कि मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना भी देश भर में 200 स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना के रास्ते जाती लग रही है. इसे जितना आसान समझा जा रहा है उतना आसान है नहीं. यही नहीं, इंडिया टुडे की एक खबर के अनुसार, लद्दाख से भारतीय जनता पार्टी के सांसद जमयांग सेरिंग नाग्याल ने लेह में मेडिकल कॉलेज बनाने की मांग की थी.
एक अगस्त 2019 की इस खबर के मुताबिक लद्दाख के सांसद ने शून्य काल में उस मेडिकल कॉलेज की स्थिति के बारे में जाना चाहा था जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में अपने लेह दौरे के समय की थी. सांसद के मुताबिक मेडिकल कॉलेज के लिए लेह में 200 कनाल जमीन भी निर्धारित है. इसके बावजूद पिछले हफ्ते 75 मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा में लेह का नाम नहीं था और आज की खबर लद्दाख के लिए है जिसकी घोषणा पहले हो चुकी है. इंडिया टुडे की खबर बताती है कि जम्मू के ऊधमपुर और कश्मीर के हंदवारा में मेडिकल कॉलेज खोलने की पुष्टि हो चुकी है. निश्चित रूप से ये 75 मेडिकल कॉलेज से अलग होंगे.
अखबारों की इन खबरों से यह तय करना मुश्किल है कि देश में कुल कितने मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं. और कहां खुल रहे हैं. हालांकि, पिछले हफ्ते की खबर के साथ उम्मीद जताई गई थी कि नए कॉलेज खुलने से देश भर में 15,700 मेडिकल सीटें बढ़ जाएंगी. आज की खबर में मेडिकल सीटों की खबर नहीं है. एक अगस्त 2019 की इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक सांसद ने शून्य काल में उस मेडिकल कॉलेज की स्थिति के बारे में जाना चाहा था जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में अपने लेह दौरे के समय की थी. सांसद के मुताबिक मेजिकल कॉलेज के लिए लेह में 200 कनाल जमीन भी निर्धारित है. इसके बावजूद पिछले हफ्ते 75 मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा में लेह का नाम नहीं था और आज की खबर लद्दाख के लिए है जिसकी घोषणा पहले हो चुकी है. इंडिया टुडे की खबर बताती है कि जम्मू के ऊधमपुर और कश्मीर के हंदवारा में मेडिकल कॉलेज खोलने की पुष्टि हो चुकी है. निश्चित रूप से ये 75 मेडिकल कॉलेज से अलग होंगे.
आठ फरवरी 2018 की दैनिक जागरण की एक खबर के अनुसार बजट में घोषित 'आयुष्मान' योजना को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार ने करीब 14,931 करोड़ रुपये की लागत से 2019-20 तक देश में 24 नए मेडिकल कॉलेज खोलने, 18058 स्नातक व परास्नातक मेडिकल सीटें बढ़ाने तथा 248 नर्सिग व मिडवाइफ स्कूल खोलने का निर्णय लिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय बैठक में इस आशय के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई थी. इस मामले में क्या प्रगति हुई है इसका पता नहीं चला है.
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